जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़। लोकसभा के बजट सत्र में आजमगढ़ के सांसद धर्मेंद्र यादव ने ओबीसी आरक्षण से जुड़े एक अहम मुद्दे को संसद में उठाया। उन्होंने नियम 377 के तहत भारत सरकार से यह जानकारी मांगी कि 2014 में यूपीएससी द्वारा चयनित अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के युवाओं को अभी तक नियुक्ति क्यों नहीं दी गई है।
सरकारी नीतियों पर सवाल उठाए
सांसद धर्मेंद्र यादव ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1993 के आदेश के अनुसार क्रीमी लेयर निर्धारण में वेतन और कृषि आय को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन 2004 में सरकार की गलत व्याख्या के कारण ग्रुप-C और ग्रुप-D के कर्मचारियों के बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने आगे बताया कि दिल्ली, मद्रास और केरल उच्च न्यायालयों ने सरकार की इस व्याख्या को पक्षपातपूर्ण माना है। बावजूद इसके, सरकार ने क्रीमी लेयर में वेतन को शामिल कर दिया, जिससे ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति में बाधाएं खड़ी हो गई हैं।
सांसद यादव ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि सरकार ने इस मुद्दे को जानबूझकर जटिल बना दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार की नीतियां ओबीसी समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण हैं, जिसके कारण ओबीसी उम्मीदवार सरकारी नौकरियों से वंचित हो रहे हैं।
धर्मेंद्र यादव ने सरकार से सीधे सवाल पूछे:
1. क्या सरकार ने 1993 के आदेश में कोई संशोधन किया है? यदि हां, तो कब और क्यों?
2. अगर 2004 से पहले बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों और विद्यालयों के प्रमाण पत्र मान्य थे, तो अब उन्हें अमान्य क्यों कर दिया गया है?
3. क्या केंद्र सरकार राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए ग्रुप-C और ग्रुप-D के प्रमाण पत्रों को मान्यता देने से हिचकिचा रही है?
ओबीसी आरक्षण को लेकर बढ़ी बहस
धर्मेंद्र यादव के इस सवाल के बाद ओबीसी आरक्षण को लेकर बहस तेज हो गई है। ओबीसी समुदाय के कई संगठनों ने भी इस मुद्दे को उठाया है और सरकार से स्पष्ट जवाब की मांग की है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और ओबीसी वर्ग को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाती है।
Author: मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की