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November 5, 2024 4:07 pm

“हृदय नारायण झा”, जिनके लिखे गीतों ने शारदा सिन्हा की आवाज को बनाया खनकदार, छठ गीत ने पूरे विश्व में मचाया धमाल

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मोहन द्विवेदी की रिपोर्ट

पद्म भूषण शारदा सिन्हा की आवाज से हर कोई वाकिफ है। ऐसी मखमली आवाज को हम और आप सालों से सुनते आ रहे हैं। छठ महापर्व पर शारदा सिन्हा के गीत के बिना छठ भी अधूरा सा लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसी बेजोड़ लाइनें लिखता कौन है? हर छठ व्रती इन लाइनों से खुद को कैसे जोड़ लेता है? यही खासियत शारदा सिन्हा के गीतों की उन्हें खास बनाती है। ऐसे में छठ में एक बार फिर शारदा सिन्हा की मधुर आवाज एक नए गाने में सुनाई दी। तब और खनकदार हो जाती है जब उसके गीतकार हृदय नारायण झा अपने लिखे गीतों की धुन भी तैयार कर देते हैं।

लोक आस्था का पर्व और लोकगीत : लोक आस्था के महापर्व छठ में कई विधि-विधान होते हैं। इन विधि-विधान को करते समय छठ के गीत गाए जाते हैं। जिसमें छठी मैया के महिमा के बखान होते हैं। हर बार छठ के समय कई गायक छठ के गीत लेकर आते हैं लेकिन घर में जो छठ के गीत बजते हैं तो उसमें शारदा सिन्हा के छठ गीत का ही बोलबाला होता है। वजह यह है कि यह आसानी से सभी को छठ से जोड़ देता है। शारदा सिन्हा जी के पुराने लोकगीतों के अलावा छठ के नए गीत गाए हैं, उसे लिखा है हृदय नारायण झा ने जो कि मधुबनी के रहने वाले हैं। शारदा सिन्हा के कई भोजपुरी छठ गीतों को इन्होंने ही लिखा है।

हृदय नारायण झा ने बताया कि मिथिला साहित्य पर वह काम करते थे और धीरे-धीरे वह लोक साहित्य पर काम करने लगे। इसी दौरान उन्हें भोजपुरी के समृद्ध लोक साहित्य से परिचय हुआ जिसने उन्हें काफी आकर्षित किया। भोजपुरी के लोक साहित्य में स्त्रियों को काफी मान सम्मान दिया गया है। यहां साहित्य में स्त्रियों के बौद्धिक विकास का उत्कर्ष देखने को मिला। भोजपुरी साहित्य में काम करते हुए उन्होंने कुछ भोजपुरी की रचनाओं की और उन्होंने एक भोजपुरी में छठ गीत भी लिखा। इससे पहले वह मैथिली में कई छठ गीत को शारदा सिन्हा के लिए लिख चुके थे।

20 वर्ष पहले पहली बार लिखा भोजपुरी में छठ गीत 

हृदय नारायण झा बताते हैं कि शारदा सिन्हा ने एक बार उनसे कहा कि आप संस्कृति के हितैषी हैं, लोक साहित्य पर काम करते हैं तो भोजपुरी में कुछ लिखने का कोशिश कीजिए। इसके बाद उन्होंने भोजपुरी में छठ गीत लिखा। लगभग 20 वर्ष पहले उन्होंने गीत को लिखा और एक विद्वान साहित्यकार को दिखाया कि मैं भोजपुरी साहित्य में अतिक्रमण कर रहा हूं और एक गीत का रचना किया हूं जरा इसे देखिए। यह छठ गीत था और जब यह छठ गीत शारदा सिन्हा के पास गया तो उन्हें बहुत पसंद आया। गीत में संतान प्राप्ति की कामना करते हुए छठ व्रति की छठी मैया से गुहार थी और गीत के बोल थे ‘महिमा बा राउर अपार छठी मैया’, यह गीत लोगों को काफी पसंद आया।

हृदय नारायण झा एक प्रसिद्ध भोजपुरी गीतकार, कवि, और साहित्यकार हैं, जिन्होंने भोजपुरी साहित्य और संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

 

जन्म और शिक्षा:

हृदय नारायण झा का जन्म 1 जनवरी 1948 को बिहार के सहरसा जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए पटना विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। वहाँ उन्होंने हिंदी और भोजपुरी साहित्य का अध्ययन किया।

करियर, भोजपुरी साहित्य

हृदय नारायण झा ने भोजपुरी साहित्य में कई गीत, कविताएँ और गद्य रचनाएँ लिखी हैं। उनका लेखन ग्रामीण जीवन, सामाजिक मुद्दों और मानवता की संवेदनाओं को छूता है।

वे भोजपुरी फिल्मों के लिए कई हिट गीतों के लेखक रहे हैं। उनके गीतों में जीवन की सरलता, प्रेम, और सांस्कृतिक मुद्दे शामिल होते हैं। उनकी रचनाएँ शारदा सिन्हा, चित्तू सिंह जैसे कई प्रसिद्ध गायकों द्वारा गाई गई हैं।

प्रमुख रचनाएँ

हृदय नारायण झा के लिखे कुछ प्रसिद्ध गीतों में शामिल हैं: “गोरी तोरी चूड़ीया”, “नदिया के पार”,“पिया मिलन”

इन गीतों ने भोजपुरी संगीत को एक नई पहचान दिलाई और उन्हें व्यापक लोकप्रियता प्रदान की।

पुरस्कार और सम्मान

हृदय नारायण झा को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिसमें साहित्य अकादमी पुरस्कार और भोजपुरी संगीत में उत्कृष्टता के लिए मान्यता शामिल है।

व्यक्तिगत जीवन

उनका व्यक्तिगत जीवन भी साहित्यिक गतिविधियों से जुड़ा रहा है, और उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को भी साहित्य की ओर प्रेरित किया है।

योगदान

हृदय नारायण झा ने भोजपुरी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी रचनाएँ न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी माध्यम बनी हैं।

हृदय नारायण झा बताते हैं कि जब उन्होंने इस गीत को लिखा उस समय मैथिली में भी छठ गीत लिखा था ‘सकल जग तारिणी हे छठी मैया’। उन्होंने कहा कि चाहे मैथिली में वह छठ गीत लिखे या हिंदी में छठ गीत लिखे भाव वही रहता है और पूरे बिहार के छठ व्रतियों के लिए वह लागू होता है। उन्होंने कहा कि कई लोगों ने कहा हिंदी में छठ गीत लिखिए लेकिन शुरू में वह कोशिश किया लेकिन हिंदी में एक भी छठ गीत नहीं लिखा। उन्होंने कहा कि हिंदी में छठ गीत में वह भाव भी नहीं आ पाएगा क्योंकि छठ लोक संस्कृति का पर्व है और लोक भाषाओं में ही इसके गीत अच्छे लगेंगे। हिंदी काफी बाद की भाषा है, संस्कृत का अपभ्रंश है और इससे पहले मैथिली और भोजपुरी जैसी लोक भाषाएँ प्रचलित हो चुकी थीं।

हृदय नारायण झा ने बताया कि अभी दिल्ली एम्स से शारदा सिन्हा जी का जो लेटेस्ट छठ गीत रिलीज हुआ है, जिसके बोल हैं ‘दुखवा मिटाई छठी मैया, रउए असरा हमार’। इसे पिछले साल छठ के 3 महीने पहले ही तैयार कर लिया गया था। गीत तैयार होने के बाद भाव और साहित्य को लेकर थोड़े बहुत सुधार करने संगीत पर काम करने में काफी समय लगा। संजीदा तरीके से गीत पर काम हुआ और अब इस बार छठ में यह गीत आया है।

हृदय नारायण झा की लेखनी और उनके गीत आज भी भोजपुरी संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।

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