जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़। भारत के संगीत इतिहास में गौहर जान का नाम सुनहरी अक्षरों से दर्ज है। वह वह शख्सियत थीं, जिन्होंने संगीत को न केवल एक नई पहचान दी, बल्कि इसे उस दौर में अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
किसी भी लड़की के साथ दुष्कर्म की घटना एक तरह से उस लड़की की आत्मा तक को खंडित कर देती है। वो चाह कर भी फिर उस जीवन में लौट नहीं पाती जैसा जीवन वो दुष्कर्म से पहले जिया करती थी। किन्तु कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जो ऐसी घटना के बाद खुद की हिम्मत को टूटने नहीं देतीं बल्कि पहले से ज्यादा मजबूत हो जाती हैं और इतिहास उन्हें हमेशा याद करता है।
ऐसी ही महिलाओं में एक नाम आता है गौहर जान का। वो महिला जिसके साथ मात्र 13 वर्ष की उम्र में दुष्कर्म हुआ, उसने खुद को संभाला और फिर जिस दौर में औरतों को घूंघट से बाहर आने तक की इजाजत नहीं थी उस दौर में पहली रिकॉर्डिंग सुपरस्टार बनीं। गौहर जान पहली ऐसी सिंगर थी जिनके गाए गानों को 78आरपीएम पर रिकॉर्ड किया गया था। यह रिकॉर्ड भारत की प्रसिद्ध ग्रामोफोन कंपनी ने रिलीज किया था। इसलिए गौहर जान को रिकॉर्डिंग सुपरस्टार के नाम से भी जाना जाता है. हर रिकॉर्डिंग के आखिर में गौहर जान अंग्रेज़ी में कहती, ‘My Name is Gauhar Jaan’…
26 जून 1873 को आजमगढ़ में जन्मी गौहर जान का असली नाम एंजेलिना योवर्ड था। उनके पिता विलियम रॉबर्ट और मां विक्टोरिया हेमिंग आर्मेनियाई मूल के ईसाई थे। हालांकि, परिस्थितियों ने उनकी ज़िंदगी को ऐसे मोड़ दिए, जिन्होंने उन्हें एक साधारण लड़की से हिंदुस्तान की सबसे चर्चित और समृद्ध गायिका बना दिया।
बचपन से गायकी तक का सफर
एंजेलिना जब महज छह साल की थीं, उनके माता-पिता का तलाक हो गया। इसके बाद उनकी मां ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर खुर्शीद नामक मुस्लिम युवक से विवाह किया। मां विक्टोरिया ने भी अपना नाम बदलकर मलका जान रख लिया। यह परिवार 1883 में कोलकाता आ गया, जहां मलका जान ने गायन और नृत्य में अपने हुनर से पहचान बनाई। बेटी एंजेलिना का नाम बदलकर गौहर जान रखा गया और उन्हें भी शास्त्रीय गायन और नृत्य में प्रशिक्षित किया गया।
1888 में, गौहर जान ने अपनी पहली सार्वजनिक प्रस्तुति दी। उनकी कला के कद्रदान उन्हें दरभंगा के शाही दरबार तक ले गए, जहां वह दरबारी गायिका के रूप में नियुक्त हुईं। उनका हुनर उन्हें कोलकाता की पहली “डांसिंग गर्ल” का खिताब दिला गया।
रिकॉर्डिंग की दुनिया में कदम
गौहर जान के जीवन का सबसे बड़ा मोड़ तब आया, जब उन्होंने भारत में ग्रामोफोन रिकॉर्डिंग की शुरुआत करने वाले व्यवसायी फ्रेडरिक गाइसबर्ग के प्रस्ताव को स्वीकार किया। 1902 में उन्होंने अपना पहला गीत रिकॉर्ड किया। यह गीत मात्र दो मिनट 30 सेकंड का था, लेकिन इसने पूरे संगीत जगत को झकझोर दिया। उनके बोल “मेरा नाम गौहर जान है” के साथ समाप्त होते थे, जो रिकॉर्डिंग की एक नई परंपरा बन गई।
बेमिसाल शोहरत और दौलत
गौहर जान की रिकॉर्डिंग इतनी लोकप्रिय हुईं कि उनके रिकॉर्ड हाथोंहाथ बिकने लगे। उस समय वह प्रति रिकॉर्डिंग 1000 से 3000 रुपये की भारी-भरकम फीस लेती थीं। यह वह दौर था, जब आम परिवारों की सालाना आय मुश्किल से 300 रुपये होती थी। वह भारत की पहली महिला थीं, जिन्होंने रिकॉर्डिंग के जरिए न केवल शोहरत कमाई, बल्कि उस दौर की पहली करोड़पति कलाकार बनकर मिसाल कायम की।
विलासिता और जीवनशैली
गौहर जान का जीवन विलासिता का प्रतीक था। वह कोलकाता की सड़कों पर बग्गी में सैर करती थीं, जिसे सिर्फ ब्रिटिश वायसराय जैसे बड़े अधिकारी ही इस्तेमाल करते थे। कहा जाता है कि वह हर रिकॉर्डिंग में नए गहने पहनकर जाती थीं और अपने परिधानों पर खास ध्यान देती थीं।
अंतिम सफर
अपार शोहरत और संपत्ति के बावजूद, गौहर जान का अंतिम जीवन संघर्षों से भरा रहा। खराब स्वास्थ्य और आर्थिक तंगी ने उन्हें मैसूर की शरण लेने पर मजबूर कर दिया। 17 जनवरी 1930 में, मात्र 56 वर्ष की आयु में, उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
विरासत
गौहर जान का जीवन और कला अपने आप में प्रेरणादायक है। उन्होंने न केवल भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई, बल्कि यह भी दिखाया कि कला के माध्यम से जीवन को कितनी ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। उनका नाम आज भी संगीतप्रेमियों के दिलों में जीवित है।