सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
देवरिया जिले में वर्तमान समय में राजनीतिक दलों के बीच गतिविधियाँ तेज़ी से बढ़ रही हैं, विशेषकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में। पार्टी ने मिशन 2027 की सफलता के लिए अपने संगठन का विस्तार करते हुए विपक्षी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ने का अभियान चलाया है। पिछले एक सप्ताह में, समाजवादी पार्टी समेत विभिन्न दलों के लगभग एक हजार से अधिक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है।
भाजपा के इस सदस्यता अभियान में नगर पंचायतों के अध्यक्ष, पूर्व विधायकों के परिजन, मुस्लिम समुदाय के प्रधान, और अन्य प्रमुख व्यक्तित्व शामिल हुए हैं। उदाहरण के लिए, पूर्व विधायक और कांग्रेस के दिग्गज नेता स्वर्गीय भास्कर पांडेय की बेटी सुमन पांडेय, पूर्व विधायक सुरेश तिवारी के बेटे एवं उद्योगपति संजय तिवारी, और बरहज नगर पालिका की अध्यक्ष श्वेता जायसवाल ने भाजपा की सदस्यता ली है।
भाजपा के नेताओं का मानना है कि पार्टी का ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार आवश्यक है, ताकि “अबकी बार चार सौ पार” के नारे को साकार किया जा सके। इसके लिए ग्राम प्रधानों, नगर पंचायत अध्यक्षों, और सभासदों को पार्टी में शामिल करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
वहीं, विपक्षी दलों के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। भाजपा के इस आक्रामक सदस्यता अभियान के चलते समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, और कांग्रेस जैसे दलों के कई प्रमुख नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं। इससे विपक्षी दलों की संगठनात्मक संरचना और जनाधार पर प्रभाव पड़ रहा है।
देवरिया जिले में भाजपा के इस विस्तारवादी कदम से राजनीतिक संतुलन में परिवर्तन देखा जा रहा है। पार्टी के नेताओं का दावा है कि भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है और इसमें योग्यता के आधार पर कार्यकर्ताओं को महत्व दिया जाता है, जबकि अन्य दलों में ऐसा नहीं है।
इस प्रकार, देवरिया जिले में वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य भाजपा के पक्ष में झुकता दिखाई दे रहा है, जहां विपक्षी दलों को अपने संगठन को मजबूत करने और जनाधार को बनाए रखने के लिए नई रणनीतियाँ अपनानी होंगी।