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रायपुर

झुमाड़ में मॅगाड़ ; छत्तीसगढ़ में माओवाद के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन: 36 से अधिक माओवादी ढेर

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हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट

हालांकि अभी भी थोड़े-थोड़े समय में छत्तीसगढ़ में माओवादी सक्रिय हो गए हैं और युवाओं को चुनौती दी जा रही है, लेकिन इस साल की शुरुआत से ही उनकी आक्रामकता पर नजर बनी रही। सरकारी दस्तावेज़ ये वही है जो पहले ही सशक्त कार्रवाई के माध्यम से माओवादियों को हटा दिया जाता है। पिछले महीने दो बड़े माओवादी विरोधी ऑपरेशन किये गये। 

पहले अप्रैल महीने में कांकेर में और दूसरे 4 अक्टूबर (शुक्रवार) को दांते-नारायणपुर जिले की सीमा पर हुआ। इस ऑपरेशन को अब तक का सबसे बड़ा पक्षपात विरोधी अभियान बताया जा रहा है। 

इस ऑपरेशन में 30 से अधिक प्रमुख रॉकेटों के जाने का दावा किया जा रहा है। इससे पहले अप्रैल में कांकेर में हुई मछलियां में 29 रॉकेट के मारे जाने का दावा किया गया था।

पुलिस के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में दंते ज्वाइंट और नारायणपुर एस्कॉर्ट की सीमा पर मुठभेड़ क्षेत्र में माओवादियों की पहचान की सूचना मिली। वहां 4 अक्टूबर को जापान की संयुक्त पार्टी रवाना हुई। 

आधिकारिक जानकारी के अनुसार दोनों शैतान से लगभग 1000 युवा इस संयुक्त दल में शामिल थे। संयुक्त दल के आतंकियों ने थुलथुली इलाके में अपना मोर्चा संभाल लिया। इसी दौरान माओवादियों की ओर से गोलीबारी शुरू हो गई। सुरक्षा बल के बंदूकों ने जवाबी हमला किया।

पुलिस के मुताबिक, माओवादियों और सिगरेट के बीच फोटोग्राफी का दौरा करने में काफी समय लग गया। दांते के जासूस गौरव राय ने मीडिया को बताया कि दांते के जासूसों ने दांते के 500 बदमाशों के घर में घुसकर ऑपरेशन ऑपरेशन किया था और पहले राउंड की गैंग में ही सात माओवादी मारे गए थे। 

दावा किया गया कि इस गैंगस्टर में 36 से ज्यादा माओवादी मारे गए। टेक्सटाइल के आइजी सुंदरराज पी. के अनुसार 28 शव बरामद किये गये हैं जबकि तीन चार शव और बरामद होने की संभावना है।

अधिकारियों का कहना है कि मारी फिल्म एक बजे से चार बजे तक चली। मछुआरे के बाद एके-47 समेत कई स्मारकों के अलावा बड़ी मात्रा में गोला-बारूद भी बरामद हुआ है। बताया जा रहा है कि इस ऑपरेशन में माओवादियों के सबसे सुरक्षित टुकड़ों को नष्ट कर दिया गया है। इसमें अब तक की सबसे बड़ी सफलता बताई गई है। 

यह पहला अवसर है जब पुलिस के दावे के अनुसार इतनी बड़ी संख्या में माओवादी मारे गये। इससे पहले कांकेर में 29 माओवादियों को मारे जाने का दावा किया गया था, लेकिन एक गिरोह में 36 से ज्यादा माओवादियों को मारे जाने का यह पहला मामला है। 

इससे पहले 2016 में पड़ोसी राज्य ओडिशा के मलकानगिरी स्थित रामागुड़ा के तटीय क्षेत्र में स्पेशल फोर्स के ऑपरेशन में 34 माओवादियों के मारे जाने का दावा किया गया था। सुरक्षाबल उसे सबसे बड़ी मशीनें दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट में 235 लायगेट्स मारे जा रहे हैं। 

बाद में देर रात मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने निवास कार्यालय में मजदूरों और माओवादियों के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक की बैठक की। इसमें पुलिस और मुख्यमंत्री सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं। उन्होंने पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ कोई ढील न बजे। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार छत्तीसगढ़ को माओवाद से मुक्त कराने का संकल्प है।

करीब दो महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ आए थे। उन्होंने मताधिकार के लिए छह राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में उग्रवाद की समीक्षा की और प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए।

उस बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप-मुख्यमंत्री विजय शर्मा, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए), बिल्डर, कमिश्नर, एसएसबी और सह-बीपी के देवता शामिल थे। इसके अलावा बैठक में आंध्र प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक भी शामिल थे। 

माओवाद को लेकर केंद्र सरकार की प्राथमिकता दिल्ली में 7 अक्टूबर को आठ प्रभावित राज्यों की अलोकेशन की बैठक से पता चला है। इस समीक्षा बैठक को अमित शाह ने बुलाया था। 

बैठक के प्रमुख केंद्र में 31 मार्च, 2026 तक माओवाद को देश से पूरी तरह से समाप्त करने की रणनीति थी। शाह ने मुख्यमंत्री और राज्य प्रशासन को बधाई देते हुए दी जानकारी दी कि जनवरी से लेकर अब तक छत्तीसगढ़ में कुल 194 माओवादी मारे गए, 801 गिरफ्तार किए गए और 742 ने आत्मसमर्पण कर दिया। पिछले साल अक्टूबर में भी गृह मंत्री ने माओवाद प्रभावित राज्यों की ऐसी ही एक बैठक रखी थी।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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