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बंगाल का नया एंटी रेप बिल…नियम इतने कठोर, रेप तो दूर, छूने से भी कतराएंगे मनचले👇वीडियो

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर केस को लेकर ममता सरकार की काफी आलोचना हुई थी। इसके बाद अब बंगाल सरकार नया बिल लाने की तैयारी में है। इस बिल को सोमवार को विधानसभा में पेश किया जाएगा।

इस एंटी रेप बिल में बलात्कार से जुड़े सभी मामलों में आरोपी को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी। इसके अलावा मुआवजा/ जुर्माने की भी मांग की जाएगी।

क्या है एंटी रेप बिल?

डॉक्टर के रेप मर्डर केस में के बाद बंगाल में रेप को लेकर एक कड़ा कानून बनने जा रहा है। ये बिल सोमवार को विधानसभा में पेश किया जाना है। रेप के बढ़ते मामलों को देखते हुए बंगाल सरकार ने इस बिल को मंजूरी दे दी है। 

इस नए कानून के तहत रेप करने वालों को सीधे मौत की सजा या मरने तक जेल में रखा जाएगा। ऐसे केसों में अप पीड़िता जिंदा भी बचती है तो आरोपी पर हत्या का केस चलेगा। इसके अलावा जुर्माने का भी प्रस्ताव रखा गया है।

मृत्युदंड का प्रावधान

पहले आजीवन कारावास के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 1983 के मिठू बनाम पंजाब राज्य मामले में खारिज कर दिया था। IPC की धारा 303 में अनिवार्य मृत्युदंड का प्रावधान था जिसे खारिज किया गया था। 

कोर्ट का इसपर कहना था कि इस कानून से समक्ष समानता के मौलिक अधिकार (संविधान का अनुच्छेद 14) और जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन होता है। 

इसमें कहा गया कि इससे कोर्ट अपने विवेक प्रयोग करने की इजाजत नहीं देता है। इसकी वजह से कई गलत फैसले लिए जा सकते हैं जिससे व्यक्ति अपना जीवन खो सकता है।

बंगाल सरकार ने कोर्ट से क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट में इस बिल पर बंगाल सरकार के वकील संजय बसु ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हमने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई फैसलों पररिस्रच की है। इसके बाद ही बंगाल सरकार बालात्करियों के लिए मौत और कारावास दोनों का प्रस्ताव करते हैं। इसके अलावा पीड़िता के इलाज के लिए जुर्माना या मुआवजे की भी मांग करते हैं।

आपको बता दें कि इस तरह के विधेयक महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में बनने के लिए तैयार हैं। आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक, 2019 और महाराष्ट्र शक्ति विधेयक, 2020 में भी सामूहिक बलात्कार के मामलों में मौत की सजा की मांग की गई है। इन विधेयकों अभी राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।

কলকাতার শিক্ষানবিশ চিকিৎসক ধর্ষণ-খুন মামলা নিয়ে তুমুল সমালোচনার মুখে পড়েন মমতা সরকার।  এর পর এবার নতুন বিল আনার প্রস্তুতি নিচ্ছে বঙ্গ সরকার।  সোমবার বিধানসভায় এই বিল পেশ করা হবে।

এই ধর্ষণবিরোধী বিলে ধর্ষণ সংক্রান্ত সব মামলায় অভিযুক্তকে মৃত্যুদণ্ড বা যাবজ্জীবন কারাদণ্ড দেওয়া যেতে পারে।  এ ছাড়া ক্ষতিপূরণ/জরিমানাও দাবি করা হবে।

 অ্যান্টি রেপ বিল কি?

চিকিৎসক ধর্ষণের হত্যা মামলার পর বাংলায় ধর্ষণ সংক্রান্ত কঠোর আইন হতে যাচ্ছে।  সোমবার বিধানসভায় এই বিল পেশ হওয়ার কথা।  ধর্ষণের ক্রমবর্ধমান ঘটনার পরিপ্রেক্ষিতে বাংলা সরকার এই বিল অনুমোদন করেছে। 

এই নতুন আইনে ধর্ষকদের সরাসরি মৃত্যুদণ্ড দেওয়া হবে বা মৃত্যু পর্যন্ত কারাগারে রাখা হবে।  এ ধরনের মামলায় ভিকটিম বেঁচে গেলেও অভিযুক্তের বিরুদ্ধে হত্যার অভিযোগ আনা হবে।  এ ছাড়া জরিমানার প্রস্তাবও করা হয়েছে।

মৃত্যুদণ্ডের বিধান

আগে যাবজ্জীবন কারাদণ্ডের দোষীদের মৃত্যুদণ্ডের বিধান ছিল যা 1983 সালের মিঠু বনাম পাঞ্জাব রাজ্যের মামলায় সুপ্রিম কোর্ট প্রত্যাখ্যান করেছিল।  আইপিসির 303 ধারায় বাধ্যতামূলক মৃত্যুদণ্ডের বিধান ছিল যা প্রত্যাখ্যান করা হয়েছিল। 

আদালত বলেছে যে এই আইনটি সমতার মৌলিক অধিকার (সংবিধানের অনুচ্ছেদ 14) এবং জীবনের অধিকার (অনুচ্ছেদ 21) লঙ্ঘন করে। 

বলা হয়েছিল যে এটি আদালতকে তার বিচক্ষণতা প্রয়োগ করতে দেয় না।  এই কারণে, অনেক ভুল সিদ্ধান্ত নেওয়া হতে পারে যার কারণে একজন ব্যক্তির জীবন হারাতে পারে।

আদালতে কী বলল বাংলা সরকার?

 সুপ্রিম কোর্টে এই বিল নিয়ে নিজের মতামত পেশ করেন বাংলা সরকারের আইনজীবী সঞ্জয় বসু।  তিনি বলেন, আমরা এ বিষয়ে সুপ্রিম কোর্ট ও হাইকোর্টের অনেক সিদ্ধান্ত নিয়ে গবেষণা করেছি।  এর পরেই বঙ্গ সরকার ধর্ষকদের মৃত্যু ও কারাদণ্ডের প্রস্তাব করে।  এ ছাড়া নির্যাতিতার চিকিৎসার জন্য জরিমানা বা ক্ষতিপূরণও দাবি করেন তারা।

 আসুন আমরা আপনাকে বলি যে মহারাষ্ট্র এবং অন্ধ্র প্রদেশে এই জাতীয় বিল তৈরির জন্য প্রস্তুত রয়েছে। 

অন্ধ্রপ্রদেশ দিশা বিল, 2019 এবং মহারাষ্ট্র শক্তি বিল, 2020 এছাড়াও গণধর্ষণ মামলায় মৃত্যুদণ্ডের দাবি করে।  এসব বিল এখনো রাষ্ট্রপতির অনুমোদনের অপেক্ষায় রয়েছে।

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Author:

Kamlesh Kumar Chaudhary

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