जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़ कभी बसपा का भी गढ़ माना जाता रहा। अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने आजमगढ़ लोकसभा सीट को प्रयोगशाला बना दिया है। यही कारण है कि लगातार अब तक तीन बार बसपा प्रत्याशियों के टिकट बदले जा चुके हैं। आजमगढ़ में बसपा ने अब तीसरी बार प्रत्याशी बदल दिया है।
2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व बसपा के प्रत्याशी रहे शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के समाजवादी पार्टी में चले जाने के बाद से बसपा को आजमगढ़ जिले में प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। बसपा ने प्रत्याशियों की घोषित चौथी लिस्ट में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे भी राजभर को आजमगढ़ लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। 12 दिन आजमगढ़ के प्रत्याशी रहे भी राजभर को 24 अप्रैल को आजमगढ़ से शिफ्ट करते हुए बलिया जिले के सलेमपुर लोकसभा सीट पर शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट बसपा की खाली हो गई। आजमगढ़ लोक सभा सीट से बसपा माइनॉरिटी प्रत्याशी की तलाश में लगी थी इसी क्रम में 28 अप्रैल को बसपा की नौवीं लिस्ट में सबीहा अंसारी को प्रत्याशी बनाया गया।
चार दिन बाद पति बने प्रत्याशी
28 अप्रैल को बसपा की प्रत्याशी बनी सबीहा अंसारी अपनी चुनावी तैयारियां कर रही थी। इसी बीच दो मई को बसपा ने उनके पति मसहूद अहदम को बसपा का प्रत्याशी बना दिया। मसहूद अहमद को कांग्रेस ने अपनी नई कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष बनाया हुआ है। इंडिया गठबंधन और एनडीए गठबंधन से चुनौती के सवाल पर मसहूद अहमद का कहना है कि किसी भी दल से कोई चुनौती नहीं है।
मसहूद अहमद ब्राइट एजूकेशनल एंड सोशल नाम से एक संगठन चलाकर गरीबों की सेवा करते हैं।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."