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लखनऊ

कोई इधर हटे, कोई उधर बंटे ; बसपा के 10 सांसद, किन-किन दलों में पहुंचे, कौन रहेगा हाथी पर सवार कौन नहीं?

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है। बसपा प्रमुख मायावती साफ कह चुकी हैं कि वो किसी भी दल के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी बल्कि अकेले किस्मत आजमाएंगी। मायावती के एकला चलो के फैसले से बसपा के मौजूदा सांसद अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर नहीं आ रहे। 

ऐसे में बसपा की हाथी से उतरकर सुरक्षित ठिकाने की तलाश शुरू कर दी है। 2019 में बसपा से 10 सांसद जीते थे, लेकिन उनमें से 2024 में कितने पार्टी के साथ बने रहेंगे, यह कहना मुश्किल है?

2024 की चुनावी तपिश के साथ ही बसपा के सांसदों हाथी से उतरना शुरू कर दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उत्तर प्रदेश से 10 सीटें जीती थीं, जो बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा थीं। पांच साल बाद अब चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही चार कोनो यानी सूबे के चारों दलों में बंट गए हैं। बसपा के टिकट पर गाजीपुर से सांसद बने अफजाल अंसारी को सपा ने इस बार अपना प्रत्याशी बनाया है। अफजाल अंसारी 2024 में सपा की साइकिल पर सवार हो गए हैं। अफजाल ही नहीं बाकी सांसद भी इसी राह पर खड़े नजर आ रहे हैं। 

कुंवर दानिश अली को बसपा ने निलंबित कर दिया था

अमरोहा संसदीय सीट से सांसद कुंवर दानिश अली को बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी से निलंबित कर दिया था। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शिरकत कर उन्होंने अपने लिए सियासी ठिकाना तलाश लिया है‌। माना जा रहा है कि वो कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। सपा के साथ सीट शेयरिंग में अमरोहा सीट कांग्रेस के हिस्से में गई है, जिसके चलते भी यह साफ है कि दानिश अली कांग्रेस का हाथ थाम कर 2024 के चुनावी रण में उतर सकते हैं। इस तरह बसपा के शेष आठ मौजूदा सांसद अनिश्चित हैं, जिनमें से कौन किस के साथ खड़ा नजर आएगा, उसकी तस्वीर भी साफ हो रही है। 

हाजी फजलुर्रहमान साइलेंट मोड में

बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद मलूक नागर आरएलडी के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। आरएलडी का बीजेपी के साथ गठबंधन होने के बाद से यह माना जा रहा है कि मलूक नागर आरएलडी में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि बिजनौर लोकसभा सीट जयंत चौधरी के खाते में जाने की चर्चा है। इसी तरह सहारनपुर से सांसद हाजी फजलुर्रहमान सपा के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ा रहे थे, लेकिन सीट शेयरिंग में सहारनपुर सीट कांग्रेस के खाते में चली गई है। हाजी फजलुर्रहमान साइलेंट मोड में नजर आ रहे हैं और बसपा ने उनकी सपा के बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए माजिद अली को सहारनपुर सीट का प्रभारी नियुक्त कर रखा है। फजलुर्रहमान अब वक्त की नजाकत को समझ रहे हैं और उस हिसाब से फैसला लेने के लिए मंथन कर रहे हैं। 

जौनपुर से बसपा सांसद श्याम सिंह यादव दिसंबर 2022 में राहुल गांधी की पहली भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे। इसके बाद बीजेपी से लेकर सपा के साथ भी अपनी नजदीकियां बढ़ाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से श्याम यादव ने मुलाकात भी किया था। इसके बाद चर्चा तेज हो गई थी कि जौनपुर लोकसभा सीट से बीजेपी का टिकट चाहते हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें अभी तक लेने की हरी झंडी नहीं दी। लोकसभा चुनाव के लिए उनकी योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर श्याम यादव कुछ बोलने से इनकार कर दिया है। 

पांच साल से जेल में बंद हैं अतुल राय

पूर्वांचल के लालगंज लोकसभा सीट से सांसद संगीता आजाद का भी बसपा से मोहभंग हो रहा है। उनके पति पूर्व विधायक अरिमर्दन आजाद बीजेपी के साथ जाने के कोशिश में जुटे हैं। माना जाता है कि सांसद ने पिछले साल घोसी विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की मदद की थी, लेकिन पार्टी सपा से हार गई। अरिमर्दन आजाद और सीमा आजाद बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि सीएम योगी से लेकर पीएम मोदी तक से मुलाकात कर चुके हैं। घोसी से सांसद अतुल राय पिछले पांच साल से जेल में बंद हैं, लेकिन उनके करीबी 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके लिए सियासी बिसात बिछाने में जुटे हैं। हालांकि, बसपा से चुनाव लड़ेंगे या फिर नहीं यह तस्वीर साफ नहीं है। 

अंबेडकरनगर सीट पर रितेश पांडे ने यू-टर्न ले लिया है

अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से बसपा से टिकट पर सांसद बने रितेश पांडेय के पिता राकेश पांडेय सपा से विधायक हैं। रितेश पांडे भी अखिलेश यादव से मिले चुके हैं, लेकिन सपा ने अंबेडकरनगर सीट से लालजी वर्मा को अपना प्रत्याशी बना दिया है। इसके बाद रितेश पांडे ने यू-टर्न ले लिया है और अब कह रहे हैं कि अभी मैं वहीं हूं, जहां हूं। वो मायावती के आदेश का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी में भी अपनी संभावना तलाश रहे हैं। श्रावस्ती से बसपा सांसद राम शिरोमणि वर्मा भी अपने लिए सुरक्षित ठिकाना तलाश रहे हैं। वो बीजेपी के बड़े नेताओं से मिल चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें लेकर तस्वीर साफ नहीं है। रितेश पांडेय, अतुल राय और श्याम सिंह यादव बीजेपी में जाने को लेकर ताक लगाए बैठे हैं और उन्हें बुलावे का इंतजार है। 

नगीना से गिरीश चंद भी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं

नगीना सुरक्षित सीट से बसपा सांसद गिरीश चंद्र भी बिना गठबंधन के अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है, लेकिन हाथी से उतरने के लिए तैयार नहीं है‌। बसपा के पुराने और वफादार नेताओं में हैं। ऐसे में 2024 में बसपा के टिकट पर ही नगीना सीट के किस्मत आजमा सकते हैं, क्योंकि जाटव और मुस्लिम वोट के समीकरण से अपनी सीट जीत सकते हैं, लेकिन इस बार उनका मुकाबला आजाद समाज के नेता चंद्रशेखर आजाद से हो सकता है। चंद्रशेखर नगीना सीट से चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से मैदान में उतर चुके हैं। 

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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