हास परिहास
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आओ, नेता-नेता खेलें!!
भारत के लोकतंत्र का सबसे प्रिय खेल है— नेता-नेता। यह कोई सामान्य खेल नहीं, बल्कि ऐसा जादुई तमाशा है जिसमें…
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दूध का कारोबार और गाढ़ापन का अंत
सुरभि चौधरी [इस व्यंग्य का संदेश दूध के घटते हुए स्तर और गुणवत्ता की गिरावट के बहाने पर केंद्रित है।…
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हंसो हंसाओ, मत करो मजाक…देखा नहीं संसद का हुआ है हाल…
अनिल अनूप मिर्जाग़ालिब का शेर है कितने शीरीं हैं तेरे लब कि रकीब गालियां खा के बे-मज़ा न हुआ वह…
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‘गोली’ सह लेता ‘गाली’ खा लेता पर ‘गाय’ से डर लगता है साहब….
पी.ए. सिद्धार्थ गाय, गाली और गोली में दो समानताएं हैं। पहला, इन तीनों का आरम्भाक्षर ग है। दूसरा, समय, मौत…
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बड़ा मजा “नंगई” में
अनिल अनूप गांव में थे तो कुएं पर नहाना होता था। चूंकि खुले में नहाते थे तो स्वाभाविक तौर पर…
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….ये लत लगी तो छूटेगी नहीं…
अनिल अनूप शायरी शुरू की तो पिताजी ने बड़ा डांटा। बोले-‘बरखुरदार कोई अच्छा काम करो। यह बीमारी ठीक नहीं, लत…
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