अदम गोंडवी की मशहूर पंक्तियां— “तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है… मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है”— लखीमपुर खीरी के इंदिरानगर गांव के तीन अनाथ बच्चों की हालात पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। मां-बाप और दादी का साया उठ जाने के बाद ये बच्चे भीख मांगकर गुजारा करने को मजबूर हैं।
माता-पिता और दादी के निधन के बाद बदहाल जीवन
करीब चार साल पहले आसमीन (13 वर्ष), शकीना (11 वर्ष) और शेर मोहम्मद (10 वर्ष) के पिता रहीश उर्फ कोयले (40) और मां रेशमा (38) का निधन हो गया। इसके बाद इनका सहारा बनीं दादी जुमा बानो (70), जो किसी तरह बच्चों की परवरिश कर रही थीं। उनके नाम पर अंत्योदय कार्ड था, जिससे हर महीने कोटे की दुकान से 35 किलो राशन मिलता था। बच्चे दादी के मिले आवास में रहते थे, जो अब जर्जर हालत में पहुंच चुका है।
छह महीने पहले दादी का भी निधन हो गया, जिसके बाद तीनों बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी का संकट गहरा गया। अब हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि आसमीन और शकीना को भीख मांगने तक की नौबत आ गई।
ईद की खुशियों पर संकट
ईद का पर्व नजदीक है, लेकिन इन अनाथ बच्चों के लिए त्योहार की कोई खुशी नहीं है। उनके पास न खाने का इंतजाम है और न ही पहनने के लिए नए कपड़े। ऐसे में यह सवाल उठता है कि इन मासूमों की ईद कैसे मनेगी?

राशन कार्ड पर रोका गया हक
आसमीन के अनुसार, जब वह अपनी दादी का अंत्योदय कार्ड लेकर कोटेदार के पास राशन लेने गई, तो कोटेदार ने यह कहकर राशन देने से मना कर दिया कि दादी अब इस दुनिया में नहीं रहीं। इसके बाद से ही बच्चों को भूखे पेट सोने की नौबत आ गई।
प्रशासन से उम्मीदें जिंदा
बच्चे अब स्थानीय प्रशासन और जिला स्तरीय अधिकारियों की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं कि कोई उनकी मदद को आगे आएगा। रमियाबेहड़ ब्लॉक की बीडीओ श्रद्धा गुप्ता ने कहा कि अनाथ बच्चों के लिए सरकार की कई योजनाएं हैं, लेकिन यह मामला उनके संज्ञान में नहीं था। अब इस पर कार्रवाई होगी और बच्चों को हरसंभव सहायता दी जाएगी।
जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने आश्वासन दिया कि स्थानीय प्रशासन से जानकारी जुटाकर जल्द से जल्द बच्चों को राहत पहुंचाई जाएगी। उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाली सभी सुविधाएं दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन और सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया है। अनाथ बच्चों की स्थिति पर जल्द से जल्द ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन अपने वादों को कितनी जल्दी अमल में लाता है।
➡️ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

Author: samachardarpan24
जिद है दुनिया जीतने की