हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) में महिला स्टाफ और मेडिकल छात्राओं के लिए न्याय पाना बेहद कठिन हो गया है। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा के लिए बनाई गई विशाखा कमेटी निष्क्रिय पड़ी है, जिससे पीड़ित महिलाओं को अपनी शिकायतों के निपटारे के लिए पुलिस और कोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा है।
पीजी छात्रा को पुलिस की मदद लेनी पड़ी
हाल ही में एक पीजी छात्रा ने मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज टेंभूर्णिकर पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया। पहले उसने डीन से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उसने जूनियर डॉक्टरों से मदद मांगी, जिसके दबाव में डीन ने आरोपी डॉक्टर को परीक्षा कार्य से अस्थायी रूप से हटा दिया। हालांकि, जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो छात्रा ने छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन से सहायता ली।
फेडरेशन ने मामले को मुख्यमंत्री और विशाखा कमेटी के समक्ष रखा, लेकिन फिर भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया। आखिरकार, पीड़िता को पुलिस में एफआईआर दर्ज करानी पड़ी।
विशाखा कमेटी निष्क्रिय, महिलाओं की शिकायतें अनसुनी
सरकारी संस्थानों में विशाखा कमेटी का गठन महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। नियमों के अनुसार, किसी भी शिकायत पर कमेटी को स्वत: संज्ञान लेकर जांच करनी चाहिए। लेकिन सिम्स में महिला कर्मियों और छात्राओं की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता।
महिलाओं के साथ अन्याय के चर्चित मामले
केस 01
एक जूनियर डॉक्टर ने डॉ. पंकज पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था।
विशाखा कमेटी और डीन ने कोई संज्ञान नहीं लिया।
डॉक्टर को संस्थान से इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा।
केस 02
2019 में एक वरिष्ठ महिला प्राध्यापक को प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
विशाखा कमेटी ने शिकायत को अनदेखा कर दिया।
महिला प्राध्यापक को मामला महिला आयोग के समक्ष रखना पड़ा, जिसकी जांच अब भी चल रही है।
महिला स्टाफ मानसिक प्रताड़ना झेलने को मजबूर
सिम्स की एक नर्सिंग स्टाफ कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुरुष स्टाफ और डॉक्टर उनके साथ गलत व्यवहार करते हैं, लेकिन शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं होती। नौकरी जाने के डर से ज्यादातर महिलाएं चुप रहती हैं।
विशाखा कमेटी के निष्क्रिय रहने से अपराधियों के हौसले बुलंद
यदि सिम्स की विशाखा कमेटी सक्रिय होती, तो महिलाओं को पुलिस और कोर्ट के चक्कर नहीं काटने पड़ते। लेकिन कमेटी की निष्क्रियता के कारण महिलाएं न्याय से वंचित हो रही हैं।
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हाल ही में, सिम्स प्रशासन ने विशाखा समिति की अध्यक्ष डॉ. संगीता जोगी को हटाकर डॉ. आरती पांडेय को यह जिम्मेदारी सौंपी है। डॉ. आरती पांडेय ने कहा कि उन्हें सोमवार को ही पता चला कि उन्हें विशाखा कमेटी की अध्यक्ष बना दिया गया है, और अब वे पीजी छात्रा के मामले की जांच कर रही हैं।
विशाखा समिति के कार्य और जिम्मेदारियां
कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना।
यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच और समाधान करना।
महिलाओं को सुरक्षित और स्वस्थ कार्यस्थल प्रदान करना।
लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और मौलिक अधिकारों की रक्षा करना।
सिम्स में महिला कर्मचारियों और छात्राओं को न्याय दिलाने के लिए विशाखा कमेटी को तत्काल सक्रिय करने की जरूरत है। अगर यह कमेटी निष्पक्ष रूप से काम करे, तो महिलाओं को कोर्ट-कचहरी जाने की नौबत नहीं आएगी और कार्यस्थल को सुरक्षित माहौल मिल सकेगा। अब देखना यह होगा कि नई अध्यक्ष के नेतृत्व में क्या सुधार होते हैं या फिर यह कमेटी सिर्फ नाम मात्र की बनकर रह जाएगी।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की