हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
मध्य भारत का एक छोटा सा गांव, तुलसी, अब डिजिटल क्रांति का प्रतीक बन चुका है। यहां सोशल मीडिया, खासकर यूट्यूब, न सिर्फ आर्थिक बल्कि सामाजिक बदलाव का भी जरिया बन गया है। यह कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि डिजिटल युग में एक नई पहचान बना रहे भारत की झलक दिखाती है।
यूट्यूब ने बदली तुलसी गांव की तस्वीर
सितंबर 2024 की एक सुबह, जब तुलसी गांव के लोग अपने खेतों की ओर जा रहे थे, तभी 32 वर्षीय यूट्यूबर जय वर्मा वहां पहुंचे। उन्होंने महिलाओं के एक समूह को अपने वीडियो में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। महिलाएं खुशी-खुशी कैमरे के सामने आईं, अपनी साड़ियों को ठीक किया और शूटिंग का हिस्सा बनीं।
वर्मा गांव के सांस्कृतिक उत्सवों को भी शूट करते हैं, जिन्हें वे यूट्यूब के जरिए दुनिया तक पहुंचाना चाहते हैं। कुछ ही किलोमीटर दूर, एक और ग्रुप यूट्यूब वीडियो बनाने में व्यस्त था। 26 वर्षीय राजेश दिवार अपने फोन कैमरे के सामने हिप-हॉप गाने पर डांस कर रहे थे।
तुलसी गांव पहले एक सामान्य भारतीय गांव की तरह था, लेकिन अब इसे ‘यूट्यूब विलेज’ के नाम से जाना जाता है। यहां के 4000 निवासियों में से लगभग 1000 लोग किसी न किसी रूप में यूट्यूब से जुड़े हुए हैं।
यूट्यूब ने कैसे बदली गांव की अर्थव्यवस्था?
यूट्यूब से गांव को आर्थिक मजबूती मिली है। जिन लोगों ने सफलतापूर्वक अपने चैनल लॉन्च किए, उन्हें नई आय का स्रोत मिला। महिलाओं को भी आर्थिक स्वतंत्रता के अवसर मिले, जिससे गांव की सामाजिक संरचना में बदलाव आया।
गांव की डिजिटल क्रांति की शुरुआत 2018 में हुई जब जय वर्मा और उनके दोस्त ज्ञानेंद्र शुक्ला ने ‘बीइंग छत्तीसगढ़िया’ नामक यूट्यूब चैनल लॉन्च किया। उनके तीसरे वीडियो में वेलेंटाइन डे पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा जोड़ों को परेशान करने की घटना को व्यंग्यात्मक तरीके से दिखाया गया, जो वायरल हो गया।
आज इस चैनल के 1.25 लाख से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं और इसकी व्यूअरशिप 26 करोड़ के पार जा चुकी है।
छत्तीसगढ़ के सफल यूट्यूब चैनल
पहले सोशल मीडिया को समय की बर्बादी समझने वाले गांव के लोग, अब इसे करियर के रूप में देखने लगे हैं। जब शुक्ला और वर्मा की कमाई ₹30,000 प्रति माह से अधिक होने लगी, तो परिवारों की चिंता दूर हो गई। अब, वे अपने एक्टर्स को भुगतान भी करते हैं और स्क्रिप्ट राइटिंग व वीडियो एडिटिंग की ट्रेनिंग देते हैं।
राज्य सरकार का सहयोग और स्टेट आर्ट स्टूडियो का निर्माण
गांव वालों की सफलता को देखते हुए राज्य सरकार ने 2023 में तुलसी में एक अत्याधुनिक स्टेट आर्ट स्टूडियो स्थापित किया। पूर्व जिला अधिकारी सरवेश्वर भूरे ने इसे डिजिटल डिवाइड को खत्म करने की दिशा में एक कदम बताया।
महिलाओं की भागीदारी और सामाजिक बदलाव
तुलसी में 27 वर्षीय पिंकी साहू गांव की सबसे बड़ी यूट्यूब स्टार हैं। उनके एक्टिंग टैलेंट को ‘बीइंग छत्तीसगढ़िया’ चैनल के फाउंडर्स ने पहचाना और उन्हें अपनी टीम में शामिल किया।
अब पिंकी साहू ने 7 क्षेत्रीय फिल्मों में काम किया है। उनकी सफलता ने अन्य लड़कियों को भी प्रेरित किया है।
गांव की पूर्व सरपंच, द्रौपदी वैष्णु, कहती हैं कि यूट्यूब महिलाओं की सोच और परंपराओं को बदलने का जरिया बन सकता है। हाल ही में, उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर एक वीडियो किया, जिसमें उन्होंने एक सास के रूप में अपनी बहू को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया।
यूट्यूब से बॉलीवुड और हॉलीवुड तक सफर
आदित्य बघेल, जो कभी कॉलेज के छात्र थे, अब एक सफल स्क्रिप्ट राइटर और असिस्टेंट डायरेक्टर बन चुके हैं। उन्हें रायपुर की एक बड़ी फिल्म ‘खारुन पार’ में काम मिला। वह कहते हैं, “मुझे उम्मीद है कि एक दिन हॉलीवुड में भी काम करने का मौका मिलेगा।”
इसी तरह, मनोज यादव, जो यूट्यूब वीडियोज में अभिनय करते थे, अब रामायण से जुड़े एक टीवी शो में बालक राम का किरदार निभा चुके हैं।
नया सपना: तुलसी को म्यूजिक हब बनाना
गांव में कंटेंट क्रिएशन के साथ-साथ अब संगीत की दुनिया में भी कदम रखा जा रहा है। 26 वर्षीय राजेश दिवार हिप-हॉप डांस और रैप म्यूजिक पर वीडियो बनाते हैं। वह चाहते हैं कि तुलसी “वीडियोज के साथ-साथ म्यूजिक के लिए भी पहचाना जाए।”
यूट्यूब ने गांव को नई पहचान दी
तुलसी की डिजिटल यात्रा बताती है कि इंटरनेट और यूट्यूब सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि रोजगार, पहचान और सामाजिक बदलाव का साधन भी बन सकता है।
गांव की 56 वर्षीय गृहिणी, रामकली वर्मा, कहती हैं, “मुझे अपने गांव के यूट्यूब चैनलों के लिए वीडियो करने में खुशी मिलती है।”
आज, तुलसी सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि डिजिटल युग में एक मिसाल बन चुका है।
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