चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां किशोरी के अपहरण के मामले में फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसे बालिग दिखाने का गंभीर आरोप लगाया गया है। इस मामले में तत्कालीन चौकी प्रभारी, एक विद्यालय के प्रधानाचार्य और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ सदर कोतवाली में न्यायालय के आदेश पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।
घटना का पूरा विवरण
मामला महोबा के सदर कोतवाली क्षेत्र के सुभाष चौकी इलाके का है। 18 अप्रैल 2024 को एक युवक, कृष्ण कुमार, 17 वर्ष 6 महीने की किशोरी को भगा ले गया। किशोरी की मां ने कृष्ण कुमार के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। लेकिन मामले की जांच के दौरान कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
किशोरी के पिता का आरोप है कि जांच अधिकारी, तत्कालीन चौकी प्रभारी सुजीत जायसवाल, ने विद्यालय के प्रधानाचार्य के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इन दस्तावेजों में किशोरी की उम्र को गलत तरीके से बढ़ाकर उसे बालिग दिखाने का प्रयास किया गया। इतना ही नहीं, फर्जी शपथ पत्र बनवाने के लिए उनके हस्ताक्षर भी जालसाजी के माध्यम से लगाए गए।
जांच अधिकारी पर गंभीर आरोप
किशोरी के पिता ने बताया कि उन्होंने जांच के दौरान अपनी बेटी की असली जन्मतिथि के प्रमाण प्रस्तुत किए थे। लेकिन चौकी प्रभारी ने उन प्रमाणों को गायब कर दिया और फर्जी दस्तावेजों के जरिए किशोरी की जन्मतिथि में हेरफेर कर उसे बालिग साबित कर दिया। इस फर्जीवाड़े का उद्देश्य आरोपी को बचाना और उसे कानूनी लाभ पहुंचाना था।
न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद मामला दर्ज
किशोरी के पिता ने मामले की शिकायत कोतवाली पुलिस और उच्च अधिकारियों से की, लेकिन जब उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने न्यायालय का सहारा लिया। न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने चौकी प्रभारी सुजीत जायसवाल, शिशु शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज राठ रोड के प्रधानाचार्य और आरोपी कृष्ण कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया है।
जांच प्रक्रिया जारी, पुलिस विभाग की साख पर सवाल
सदर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अर्जुन सिंह ने जानकारी दी कि मामले की जांच की जा रही है और जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। हालांकि, एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ इसी थाने में मामला दर्ज होने से पुलिस विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
जनपद में पुलिस की छवि खराब
फर्जी दस्तावेजों के जरिए नाबालिग को बालिग साबित करने के मामले ने महोबा पुलिस विभाग की साख पर बट्टा लगा दिया है। जनपदवासियों में इस घटना को लेकर चर्चा तेज है और पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस घटना ने दिखा दिया है कि कुछ पुलिसकर्मियों की कार्यशैली न केवल कानून व्यवस्था को प्रभावित करती है, बल्कि पूरे विभाग की छवि भी खराब करती है।
यह मामला एक बार फिर इस बात को उजागर करता है कि कैसे प्रभावशाली लोगों के दबाव या लालच के चलते न्याय प्रणाली से खिलवाड़ किया जा सकता है। अब देखना होगा कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ क्या सख्त कदम उठाए जाते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."