अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। देशभर से साधु-संतों का यहां आगमन हो रहा है। इन साधुओं में बड़ा उदासीन अखाड़े से जुड़े विशेष साधु वर्ग, जिन्हें तंगतोड़ा साधु कहा जाता है, खास आकर्षण का केंद्र हैं। तंगतोड़ा साधु अखाड़े की सबसे महत्वपूर्ण परंपराओं और गतिविधियों का संचालन करते हैं। साधारण नागा साधुओं से अलग, ये साधु अखाड़े की एक विशिष्ट श्रेणी में आते हैं और इनका चयन एक अत्यंत कठिन प्रक्रिया के माध्यम से होता है।
तंगतोड़ा साधु: कौन होते हैं ये साधु?
भारतीय अखाड़ा परंपरा में साधुओं की विभिन्न श्रेणियां होती हैं। शैव अखाड़ों में नागा साधुओं को विशिष्ट दर्जा प्राप्त है, लेकिन बड़ा उदासीन अखाड़ा तंगतोड़ा साधुओं को एक अलग और ऊंचा स्थान देता है।
तंगतोड़ा साधु न केवल अखाड़े की परंपराओं को आगे बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं, बल्कि धार्मिक आयोजनों और कोर टीम का हिस्सा बनकर अखाड़े के निर्णयों में अहम योगदान देते हैं।
तंगतोड़ा साधु बनने के लिए साधुओं को कठोर प्रक्रिया से गुजरना होता है। इस प्रक्रिया की तुलना अक्सर IAS के इंटरव्यू से की जाती है, परंतु इसे और कठिन माना जाता है।
यह परीक्षा आध्यात्मिक ज्ञान, अखाड़े की परंपराओं, सेवा भाव, और कठिन परिस्थितियों में साधु के धैर्य और समर्पण को परखने के लिए होती है।
इस प्रक्रिया में शामिल होने वाले साधुओं को वर्षों तक अखाड़े की सेवा करनी होती है और अखाड़े की परंपराओं का गहन ज्ञान प्राप्त करना होता है।
चयन प्रक्रिया की विशेषताएं
1. योग्य चेलों की संस्तुति
अखाड़े के लगभग 5,000 आश्रमों, मंदिरों और मठों के संत अपने योग्य चेलों की सिफारिश करते हैं।
2. रमता पंच की परीक्षा
चयनित चेलों को रमता पंच के सामने प्रस्तुत किया जाता है। रमता पंच अखाड़े का इंटरव्यू बोर्ड होता है, जो साधुओं की गहन परीक्षा लेता है।
3. स्नान और शपथ
चेलों को अखाड़े के इष्ट देवता के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
संगम में स्नान कराया जाता है।
उन्हें संन्यास परंपरा की शपथ दिलाई जाती है।
4. धूने की परीक्षा
चेलों को खुले आसमान के नीचे धूने (अलाव) के सामने एक लंगोटी में कई दिनों तक रहना होता है। इस परीक्षा का उद्देश्य साधु की सहनशक्ति और तपस्या को परखना है।
IAS इंटरव्यू से कठिन क्यों है यह परीक्षा?
तंगतोड़ा साधु बनने के लिए जो सवाल पूछे जाते हैं, उनके उत्तर किसी भी किताब में नहीं मिलते।
यह प्रश्न पूरी तरह गोपनीय होते हैं और केवल वही व्यक्ति जवाब दे सकता है, जिसने लंबे समय तक अखाड़े की सेवा की हो।
कोई मॉक इंटरव्यू या तैयारी का विकल्प नहीं होता।
वास्तविक परिस्थितियों में साधु के ज्ञान और सेवा भाव की परख की जाती है।
प्रमुख विषयों पर सवाल
1. टकसाल: अखाड़े की परंपराओं का गहन ज्ञान।
2. गुरु मंत्र: आध्यात्मिक मंत्र और उनके अर्थ।
3. चिमटा और धुंधा: साधुओं के उपकरणों और पूजा विधियों का उपयोग।
4. रसोई व्यवस्था: अखाड़े के नियमों का पालन।
सिर्फ एक दर्जन का चयन
हर साल इस कठिन प्रक्रिया में भाग लेने वाले दर्जनों साधुओं में से मुश्किल से एक दर्जन का ही चयन होता है। चयनित साधुओं को अखाड़े में विशेष स्थान और सम्मान प्राप्त होता है।
तंगतोड़ा साधुओं का महत्व
तंगतोड़ा साधु बनने के बाद साधु को अखाड़े की प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं।
ये साधु धार्मिक आयोजनों का संचालन करते हैं।
अखाड़े की परंपराओं को आगे बढ़ाते हैं।
अखाड़े की कोर टीम का हिस्सा बनते हैं।
श्रीमहंत महेश्वरदास का बयान
बड़ा उदासीन अखाड़े के श्रीमहंत महेश्वरदास का कहना है कि तंगतोड़ा साधु बनने की प्रक्रिया साधुओं के त्याग, तपस्या और सेवा भाव को परखने के लिए होती है। यह केवल आध्यात्मिक ज्ञान का परीक्षण नहीं है, बल्कि अखाड़े की परंपराओं और आदर्शों के प्रति साधु के समर्पण का आकलन है।
महाकुंभ में तंगतोड़ा साधुओं की भूमिका
महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में तंगतोड़ा साधुओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे न केवल अखाड़े की परंपराओं का पालन करते हैं, बल्कि समाज के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक प्रेरणा का स्रोत भी बनते हैं।
महाकुंभ 2025 में इन साधुओं की उपस्थिति इस आयोजन को और अधिक पवित्र और भव्य बनाएगी।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."