जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
बलिया जिले के मनियर थाना क्षेत्र के बिजलीपुर गांव में एक ऐसा हृदयविदारक मामला सामने आया है, जहां बेटी की शादी की खुशियों में अचानक मातम छा गया। शादी के बाद बेटी की विदाई के समय पिता की भावुकता के बीच जो घटना घटी, उसने पूरे परिवार को गहरे शोक में डुबो दिया।
बेटी की शादी और विदाई की तैयारी
राय बहादुर पांडेय की सबसे छोटी बेटी, नेहा पांडे की शादी 9 दिसंबर को आशीष मिश्रा से हुई थी, जो बांसडीह रोड के रहने वाले हैं। शादी की सारी रस्में हंसी-खुशी पूरी की गईं। बारातियों का स्वागत बड़े उत्साह के साथ किया गया। विदाई की रस्म 11 दिसंबर बुधवार को तय हुई थी। आशीष मिश्रा सुबह करीब 11 बजे अपनी दुल्हन नेहा को विदा करवा रहे थे।
विदाई का क्षण आया तो बेटी और पिता दोनों भावुक हो गए। बेटी को विदा करते समय राय बहादुर पांडेय अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए और फफक-फफककर रोने लगे। बेटी नेहा ने भी अपने पिता को गले लगा लिया और रोते हुए विदा हुई।
अचानक आया वह मनहूस फोन
दुल्हन की गाड़ी जैसे ही घर से कुछ दूर मनियर बस स्टैंड तक पहुंची, तभी नेहा के पास एक फोन आया। इस फोन ने उसकी दुनिया बदल दी। फोन पर सूचना मिली कि उसके पिता राय बहादुर पांडेय को दिल का दौरा पड़ा है। यह सुनते ही नेहा और उसके पति आशीष तुरंत वापस लौट गए।
राय बहादुर पांडेय को गंभीर हालत में एक निजी क्लीनिक ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनका ब्लड प्रेशर 30 से अधिक नहीं बढ़ रहा था। परिवार के लोग उन्हें मनियर अस्पताल ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।
खुशी का माहौल बना गम का समंदर
पिता की मृत्यु की खबर से पूरे परिवार में मातम छा गया। घर में खुशी का माहौल गम में बदल गया। राय बहादुर पांडेय के परिवार में उनकी पत्नी निर्मला पांडेय, दो बेटे अभिषेक (रिंकू) और रविकेश, और तीन बेटियां सोनी, मोनी, और सबसे छोटी नेहा हैं।
बेटी नेहा से राय बहादुर का विशेष लगाव था। उनकी मृत्यु के बाद नेहा गहरे सदमे में चली गई और परिवार के सभी सदस्य रो-रोकर बेहाल हो गए।
अंतिम संस्कार और परिवार का दुःख
राय बहादुर पांडेय का अंतिम संस्कार सरजू नदी के तट पर किया गया। उनके बड़े बेटे आशीष पांडेय ने बताया कि उनके पिता अपनी छोटी बेटी नेहा को सबसे ज्यादा प्यार करते थे। उसकी विदाई का क्षण उनके लिए असहनीय हो गया और इसी भावुकता के बीच उन्हें दिल का दौरा पड़ा।
यह घटना पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गई। जिस घर में कुछ ही समय पहले खुशियों की गूंज थी, वहां अब सिर्फ सन्नाटा और आँसू हैं। परिवार के सदस्य अब भी इस गहरे दुःख से उबरने की कोशिश कर रहे हैं।