चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में गैंगस्टर अनुराग दुबे उर्फ डब्बन दुबे ने रविवार को मऊदरवाजा थाने में अपना बयान दर्ज कराया। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी और गिरफ्तारी पर रोक के आदेश के बाद अनुराग दुबे थाने पहुंचे। बयान दर्ज कराने से पहले उन्होंने फेसबुक लाइव के जरिए अपने परिचितों को सूचित किया और कहा, “मैं थाने पहुंच चुका हूं और बयान दर्ज कराने जा रहा हूं।”
थाने में पहुंचने के दौरान उनके साथ एक साथी भी मौजूद था। अनुराग के इस कदम को यूपी पुलिस की कार्यशैली और एनकाउंटर की आशंका से जोड़कर देखा जा रहा है। अनुराग दुबे ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें यूपी पुलिस से जान का खतरा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उन्होंने कुछ राहत महसूस करने की बात भी कही और न्यायालय का आभार व्यक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और थाने में सुरक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग दुबे को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। इसी आदेश के तहत वे थाने में बयान दर्ज कराने पहुंचे। थाने में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस ने ड्रोन कैमरे से निगरानी की। करीब एक घंटे तक पूछताछ और बयान दर्ज करने की प्रक्रिया चली।
अनुराग का आरोप: ‘मुकदमे फर्जी हैं’
बयान दर्ज कराने के बाद मीडिया से बातचीत में अनुराग ने कहा, “मुझे सुप्रीम कोर्ट और कानून पर 1000 प्रतिशत भरोसा है। मेरे खिलाफ जितने भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं, वे पूरी तरह फर्जी हैं।”
अनुराग पर फरारी के दौरान 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था। उन्होंने पुलिस पर बेबुनियाद आरोप लगाने और झूठे मामलों में फंसाने का आरोप लगाया।
सुप्रीम कोर्ट की यूपी पुलिस पर कड़ी फटकार
28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग दुबे की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “यूपी पुलिस अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल कर रही है और उन्हें संवेदनशील होने की जरूरत है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अनुराग दुबे के खिलाफ लगातार नए मामले दर्ज करना दिखाता है कि पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए बहाने खोज रही है। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर पुलिस ने झूठे आरोपों के आधार पर कार्रवाई की, तो ऐसा कठोर आदेश पारित करेंगे जो डीजीपी को जीवन भर याद रहेगा।”
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को निर्देश दिया कि यदि किसी मामले में गिरफ्तारी जरूरी हो, तो इसके लिए कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। साथ ही पुलिस को यह साबित करना होगा कि गिरफ्तारी क्यों आवश्यक है।
भविष्य की राह
यह मामला यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और आदेश से अनुराग दुबे को राहत जरूर मिली है, लेकिन इससे राज्य की पुलिस के लिए एक कड़ा संदेश भी गया है कि कानून के नाम पर मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।