कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ के बन्थरा क्षेत्र में पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से अवैध नशे का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। पान की दुकानों और जनरल स्टोर्स की आड़ में गांजा, देशी शराब और अन्य मादक पदार्थों की खुलेआम बिक्री हो रही है। इस स्थिति ने स्थानीय लोगों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के लिए सड़कों पर निकलना मुश्किल कर दिया है।
पुलिस की सरपरस्ती में फल-फूल रहा नशे का धंधा
सरोजिनी नगर क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत से लेकर बन्थरा कस्बा और नगर पंचायत क्षेत्र में नशेड़ियों का आतंक चरम पर है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस की सरपरस्ती में यह अवैध कारोबार तेजी से फैल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस अधिकारी और क्षेत्रीय दबंग मिलकर नशे के कारोबारियों से “सुविधा शुल्क” वसूलते हैं, जिससे अवैध गतिविधियों को संरक्षण मिलता है।
घरेलू महिलाओं की मुश्किलें बढ़ीं
बन्थरा बाजार से हनुमान मंदिर और कासिम खेड़ा चौराहे तक के क्षेत्र में मादक पदार्थों का कारोबार खुलेआम चल रहा है। नशेड़ियों द्वारा उत्पात मचाने और सार्वजनिक जगहों पर अश्लील हरकतें करने के कारण शरीफ महिलाओं का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। महिलाएं और बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन इन मुद्दों पर कार्रवाई करने में नाकाम साबित हुआ है।
सरकार की नाकामी या अधिकारियों की मनमानी?
योगी आदित्यनाथ सरकार, जो कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर अपनी पीठ थपथपाती रहती है, इस मामले में मूकदर्शक नजर आ रही है। उच्च अधिकारियों और क्षेत्रीय पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से यह समस्या और गंभीर हो गई है। सरकारी भूमि पर कब्जा, अवैध मिट्टी खनन और गांजे की कालाबाजारी जैसी समस्याएं भी इसी पुलिस-प्रशासन के संरक्षण में हो रही हैं।
जनता का आक्रोश बढ़ा
स्थानीय जनता का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का “रामराज्य” का सपना भ्रष्ट अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की मनमानी के कारण दम तोड़ रहा है। जनता को लूटने और अवैध कारोबार को बढ़ावा देने के लिए पुलिस और माफियाओं के गठजोड़ ने क्षेत्र में अराजकता का माहौल बना दिया है।
आवश्यक कार्रवाई की मांग
जनता ने सरकार और उच्च अधिकारियों से अविलंब सख्त कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वे आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे।
यह स्थिति उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है और यह देखना बाकी है कि योगी सरकार इस चुनौती से कैसे निपटेगी।