आर्य संतोष कुमार वर्मा की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में ठंड से बचने के लिए बनाए गए नगर निगम के रैन बसेरा में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। जरूरतमंदों के लिए बनाए गए इस रैन बसेरा का उपयोग गरीबों को सहारा देने के बजाय शराब और मटन पार्टी के लिए किया जा रहा था। यह शर्मनाक हरकत नगर निगम अधिकारियों द्वारा की गई अचानक छापेमारी में उजागर हुई।
रैन बसेरा में लकड़ियां जलाईं, मटन पकाया
जानकारी के अनुसार, रैन बसेरा में जिन लकड़ियों का इस्तेमाल ठंड से ठिठुरते लोगों को राहत देने के लिए किया जाना था, उनका उपयोग मटन पकाने के लिए किया गया। आरोप है कि रैन बसेरा चलाने वाले निगम कर्मचारी और बाहरी लोग मिलकर रैन बसेरा के आंगन में शराब पीते और मटन पकाते हुए पाए गए। छापेमारी के दौरान निगम अधिकारियों ने मौके से शराब, मटन और अन्य सामान जब्त किया।
रंगे हाथ पकड़े गए कर्मचारी और बाहरी लोग
नगर निगम की सहायक आयुक्त अंकिता जैन ने बताया कि छापेमारी के दौरान 6-7 लोगों को रंगे हाथों पकड़ा गया। इनमें रैन बसेरा में तैनात कर्मचारी और कुछ बाहरी लोग शामिल थे। उन्होंने कहा, “इस मामले में सभी दोषियों से पूछताछ की जा रही है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। रैन बसेरों का ऐसा दुरुपयोग किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
मुख्यमंत्री के निर्देशों की अनदेखी
इस घटना ने इसलिए और तूल पकड़ा क्योंकि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को रैन बसेरों का निरीक्षण करने और उन्हें सुव्यवस्थित बनाए रखने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा ऐसी लापरवाही और अनैतिक गतिविधियां प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा है। उन्होंने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “जो जगह गरीब और बेसहारा लोगों की मदद के लिए बनाई गई है, वहां ऐसी हरकतें प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाती हैं।”
कड़ी कार्रवाई के निर्देश
नगर निगम आयुक्त ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। सहायक आयुक्त अंकिता जैन ने कहा, “रैन बसेरे गरीबों और बेघरों के लिए बनाए गए हैं, लेकिन इस तरह की घटनाओं से जरूरतमंदों का भरोसा टूटता है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।”
प्रशासन की साख पर सवाल
यह घटना न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जरूरतमंदों के लिए बनाए गए संसाधनों का कैसे दुरुपयोग किया जा रहा है। अब देखना होगा कि नगर निगम दोषियों के खिलाफ कितनी सख्त कार्रवाई करता है और इस व्यवस्था में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।