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December 14, 2024 6:11 am

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एक्जिट पोल ; किसी के जीत दुहराने की रणनीति दिख रही है फेल तो भाजपा अपनी खोई साख की वापसी को लेकर है आश्वस्त

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मोहन द्विवेदी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव का मतदान 20 नवंबर को समाप्त हो गया। इन उपचुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। भाजपा जहां अपनी खोई हुई साख को वापस पाने और लोकसभा चुनाव से पहले जनता का विश्वास मजबूत करने में जुटी थी, वहीं सपा ने 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी जीत को दोहराने की रणनीति बनाई।

एग्जिट पोल का पूर्वानुमान

एग्जिट पोल के मुताबिक, भाजपा इन उपचुनावों में बढ़त बनाती दिख रही है। खासकर फूलपुर और खैर जैसी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीत दर्ज करने के करीब माने जा रहे हैं।

फूलपुर सीट

फूलपुर में भाजपा के दीपक पटेल को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। टाइम्स नाउ जेवीसी और मैटराइज सर्वे दोनों में भाजपा की जीत का अनुमान लगाया गया है। इस सीट पर सपा के मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी और बसपा के जितेंद्र कुमार सिंह मुख्य विपक्षी उम्मीदवार थे। मतदान प्रतिशत यहां 43.4% रहा।

करहल सीट

यह सीट विशेष रूप से चर्चा में रही क्योंकि यह सपा प्रमुख अखिलेश यादव का गढ़ मानी जाती है। 2024 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अखिलेश ने करहल विधानसभा सीट खाली की थी। इस बार सपा ने तेज प्रताप यादव को टिकट दिया, जबकि भाजपा ने उनके रिश्तेदार अनुजेश यादव को मैदान में उतारा। एग्जिट पोल के अनुसार, सपा इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रख सकती है।

खैर सीट

पश्चिमी यूपी की खैर (अजा.) सीट पर भी भाजपा का प्रभाव नजर आ रहा है। इस सीट पर भाजपा के सुरेंद्र दिलेर का मुकाबला सपा की चारु कैन से था। मतदान प्रतिशत 46.3% रहा। एग्जिट पोल में भाजपा को इस सीट पर जीत का अनुमान है। भाजपा इस सीट पर 2017 और 2022 में भी जीत दर्ज कर चुकी है, और अब जीत की हैट्रिक लगाने की उम्मीद कर रही है।

चुनाव प्रचार और रणनीति

भाजपा की तैयारी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इन उपचुनावों की कमान संभाली थी। भाजपा ने हर सीट पर प्रभावी प्रचार और मजबूत संगठनात्मक रणनीति बनाई।

सपा का जोर: अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं को मतदान केंद्रों और ईवीएम सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। करहल जैसे पारंपरिक गढ़ में सपा ने आक्रामक प्रचार किया।

कांग्रेस और बसपा की भूमिका: इन उपचुनावों में कांग्रेस और बसपा ने भी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन एग्जिट पोल में इन दलों की कमजोर उपस्थिति दिखाई दे रही है।

चुनाव के दौरान विवाद

सपा ने मतदान प्रक्रिया के दौरान भाजपा, पुलिस और प्रशासन पर बेईमानी के आरोप लगाए। सपा के विरोध के बाद चुनाव आयोग ने कई पुलिसकर्मियों को निलंबित किया।

अगले कदम

23 नवंबर को मतगणना के बाद इन उपचुनावों के परिणाम सामने आएंगे। ये नतीजे यूपी की राजनीतिक स्थिति और 2024 के लोकसभा चुनाव की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।

इन उपचुनावों के नतीजों से यह स्पष्ट हो सकता है कि भाजपा का वोटर बेस कितना मजबूत है और विपक्षी गठबंधन कितना प्रभावी साबित हो रहा है। फिलहाल, एग्जिट पोल भाजपा के पक्ष में हैं, लेकिन अंतिम परिणाम आने तक राजनीतिक सरगर्मी बनी रहेगी।

Dusclaimerविभिन्न एजेंसियों के एक्जिट पोल के आधार पर यह समाचार तैयार की गई है। हमारा लक्ष्य किसी भी राजनीतिक दलों के अरमानों पर कुठाराघात करने की कतई नहीं है। चुनाव परिणाम हमारे अनुमान के अनुकूल या प्रतिकूल होना संयोग मात्र है – संपादक

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