अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 20 नवंबर को मतदान संपन्न हो गया। चुनाव आयोग के अनुसार, मतदान का औसत प्रतिशत 49.3% रहा। ये सीटें लोकसभा चुनाव में विधायकों के सांसद बनने के कारण खाली हुई थीं। मतगणना 23 नवंबर को होगी, जिसके बाद इन सीटों का भविष्य तय होगा।
मतदान प्रतिशत और वेबकास्टिंग व्यवस्था
मतदान प्रक्रिया के दौरान अलग-अलग सीटों पर मतदान प्रतिशत इस प्रकार रहा:
मीरापुर: 57.1%, कुंदरकी: 57.7%,
गाजियाबाद: 33.3% (सबसे कम), खैर: 46.3%, करहल: 54.1%, सीसामऊ: 49.1%, फूलपुर: 43.4%, कटेहरी: 56.9%, मझवां: 50.4%
मतदान की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए 50% से अधिक मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की गई। इस प्रक्रिया की निगरानी जिला निर्वाचन अधिकारी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा की गई।
उपचुनाव में विवाद और राजनीतिक बयानबाजी
चुनाव के दौरान कई जगहों से बवाल और हंगामे की खबरें आईं। सपा ने भाजपा, पुलिस और प्रशासन पर पक्षपात के आरोप लगाए। अखिलेश यादव की शिकायत पर चुनाव आयोग ने पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया।
अखिलेश यादव की अपील
समाजवादी पार्टी के मुखिया ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे ईवीएम के सील होने और स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंचने तक निगरानी रखें। उन्होंने कार्यकर्ताओं से फॉर्म 17 ग (भाग-1) लेने की अपील भी की।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकार चुनाव प्रक्रिया और व्यवस्थाओं को कमजोर कर रही है और लोगों को परेशान कर रही है।
सुरक्षा और पर्यवेक्षण की तैयारी
मतदान प्रक्रिया के लिए 3,718 मतदान केंद्रों पर ईवीएम और वीवीपैट लगाए गए। शिकायतों के तत्काल निस्तारण के लिए पर्याप्त अधिकारी तैनात थे। साथ ही, 9 सामान्य प्रेक्षक, 5 पुलिस प्रेक्षक, और 9 व्यय प्रेक्षक चुनाव प्रक्रिया की निगरानी कर रहे थे।
चुनावी मुकाबला
भाजपा: आठ सीटों पर उम्मीदवार, एक सीट रालोद के हिस्से में।
सपा: कांग्रेस के समर्थन से सभी नौ सीटों पर मैदान में।
बसपा: सभी नौ सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रही है।
नतीजों का महत्व
ये उपचुनाव भाजपा के लिए अपनी पकड़ बनाए रखने और सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए अपनी सियासी ताकत दिखाने का अवसर हैं। 23 नवंबर को आने वाले नतीजे राज्य की राजनीतिक दिशा को नई धार देंगे।