संतोष कुमार सोनी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित बाम्बेश्वर पर्वत इन दिनों विवादों के केंद्र में है। यह पर्वत ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का स्थल माना जाता है, जहां की मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान भगवान शंकर का जलाभिषेक किया था। इसी पर्वत पर स्थित प्राचीन शिवलिंग को “बमदेव भोलेनाथ” के नाम से जाना जाता है। लेकिन हाल ही में इस स्थान पर एक मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है।
अवैध निर्माण का आरोप और हिंदू संगठनों का विरोध
विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के नेताओं का आरोप है कि कोरोना महामारी के दौरान जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ था, तब इस पवित्र स्थल पर मुस्लिम समुदाय ने चुपके से मस्जिद का निर्माण कर लिया। VHP के मंडल अध्यक्ष अशोक का कहना है कि मस्जिद के अलावा यहाँ आधा दर्जन मजारें भी बनाई गई हैं। उनके मुताबिक, पहाड़ पर हर शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ी जाती है और रोज फतिहा किया जाता है, जबकि यहाँ पर पहले कभी मुस्लिम बस्ती नहीं थी।
सुरक्षा को लेकर चिंता और सरकारी हस्तक्षेप की माँग
हिंदू संगठनों का कहना है कि इस इलाके में मुस्लिमों की बढ़ती संख्या से सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। VHP और बजरंग दल ने इसे लेकर जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मांग की है कि इस अवैध निर्माण को तुरंत गिराया जाए। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, तो वे स्वयं इस मस्जिद को गिरा देंगे।
“भारत का इस्लामीकरण” का आरोप
हिंदू संगठनों ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि कुछ तत्व भारत का इस्लामीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे वे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता चंद्रमोहन बेदी ने कहा कि यह पर्वत प्राचीन काल से हिंदू धर्म का पवित्र स्थल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिमों ने धीरे-धीरे मजार को मस्जिद में तब्दील कर दिया है, जिससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति बन गई है।
पुजारी और मंदिर कमिटी का समर्थन
इस प्रकरण में बाम्बेश्वर मंदिर के पुजारी पुत्तन महाराज और मंदिर कमिटी के अध्यक्ष ने भी मस्जिद के निर्माण का विरोध किया है। उनका कहना है कि यदि इस मामले पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति अयोध्या, काशी और मथुरा जैसी बन सकती है। पुत्तन महाराज ने सवाल उठाया कि इस पहाड़ी पर, जो कि केवल पत्थरों से घिरी हुई है, मजार और मस्जिद का निर्माण कैसे संभव हुआ।
हिंदू संगठनों की मांग और संभावित कार्रवाई
VHP के महामंत्री दीपू दीक्षित ने बताया कि मुस्लिमों ने पहले इस पर्वत के एक पत्थर को हरे रंग से पोता और फिर धीरे-धीरे इसे मजार में बदल दिया, जिसके बाद यहाँ एक बड़ी मस्जिद बना दी गई। उन्होंने इसे “कैंसर” का रूप बताया और कहा कि अगर इस अवैध निर्माण को तुरंत नहीं हटाया गया तो यह पूरे क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है।
हिंदू संगठनों की मांग है कि इस अवैध मस्जिद और मजार को तुरंत गिराया जाए, साथ ही इसे बनाने वालों को जेल में डाला जाए। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि इन अवैध ढांचों और उसे बनाने वालों के मकानों पर बुलडोज़र चलाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना दोबारा न हो।
प्रशासन का रुख
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। फिलहाल, इस विवाद ने बाँदा जिले के शांतिपूर्ण माहौल को गर्मा दिया है, और लोगों की निगाहें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर हैं कि वे इस मुद्दे को किस प्रकार सुलझाते हैं।
यह मामला अब धार्मिक विवाद के साथ-साथ सामाजिक तनाव का कारण भी बनता जा रहा है। हिंदू संगठनों की चेतावनी और बढ़ते विरोध को देखते हुए प्रशासन को जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाना होगा ताकि क्षेत्र में शांति बनाए रखी जा सके।