संतोष कुमार सोनी के साथ सोनू करवरिया की रिपोर्ट
नरैनी, बांदा: गोपाष्टमी पर्व के मौके पर जब पूरा देश श्रद्धा और उल्लास के साथ गौ माता की पूजा कर रहा है, नरैनी क्षेत्र की गौशालाओं की हालत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। विश्व हिन्दू गौ रक्षा समिति के तहसील अध्यक्ष सोनू करवरिया और उनकी टीम द्वारा आज नरैनी ब्लॉक के कुछ गौशालाओं का दौरा किया गया। इस दौरान जो हकीकत सामने आई, वह न केवल चिंताजनक थी बल्कि मानवीयता को भी शर्मसार करने वाली थी।
ग्राम पंचायत तेरा “ब” की गौशाला
इस गौशाला की हालत बेहद खराब पाई गई। चारों ओर कीचड़ और दलदल से भरी हुई इस गौशाला में गौवंश भूख से बिलबिलाते नजर आए। सोनू करवरिया ने बताया कि जब वे वहां पहुंचे, तो सभी गौवंश जमीन पर बिखरे कचरे में से तिनके चुन-चुनकर अपना पेट भरने की कोशिश कर रहे थे। भूसा और पानी की चरही (चारा पात्र) में गंदगी का अंबार लगा हुआ था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यहां के गौवंशों को कई दिनों से कुछ भी खाने को नहीं मिला।
ग्राम पंचायत महुटा की गौशाला
महुटा गांव की गौशाला की स्थिति तो और भी बदतर पाई गई। यहां पर गौवंश गंदगी और गोबर से सने पुआल के तिनके बीनकर खाने को मजबूर थे। भूसा की चरही पर सीमेंट, ईंट, और अन्य कचरा बिखरा हुआ था। यहां के केयरटेकर से जब पूछा गया कि गौवंशों को भोजन क्यों नहीं दिया जा रहा है, तो उन्होंने लापरवाही से जवाब दिया कि “अभी भूसा मंगवाया जाएगा, तब दिया जाएगा।”
गौशाला के बाहर थोड़ी मात्रा में पुआल पड़ा हुआ था, लेकिन वह भी इन बेजुबान गौवंशों को नसीब नहीं हो पा रहा था। स्थिति इतनी खराब थी कि गौवंशों की मृत देह को उठाकर रोड किनारे फेंक दिया जाता है, जिससे वहां से गुजरने वाले लोगों का रास्ते से निकलना भी दूभर हो जाता है।
जिम्मेदार अधिकारियों को सूचित किया गया
इस मामले की जानकारी सोनू करवरिया ने खण्ड विकास अधिकारी नरैनी प्रमोद कुमार और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी बांदा शिव कुमार को दी है। अब देखना यह है कि क्या इन गौशालाओं की दुर्दशा पर कोई ठोस कार्रवाई की जाती है या फिर हमेशा की तरह इसे भी आपसी तालमेल से रफा-दफा कर दिया जाएगा।
गोपाष्टमी का पर्व और भूख से तड़पते गौवंश
गोपाष्टमी का पर्व सनातन संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इस दिन को गौ माता की सेवा और उनकी भलाई के लिए समर्पित माना जाता है। लेकिन नरैनी की इन गौशालाओं में भूख से तड़पते गौवंशों की दुर्दशा देखकर यह सवाल उठता है कि क्या हम वास्तव में गौ माता की सेवा कर रहे हैं या सिर्फ दिखावे के लिए पर्व मना रहे हैं? इन निरीह गौवंशों को भोजन के अभाव में तड़पने के लिए छोड़ दिया गया है।
गौवंशों के साथ हो रहा अत्याचार:
जनपद बांदा की अधिकतर गौशालाओं में गौवंशों का भूख और प्यास से तड़पकर मरना अब आम बात हो गई है। यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है, लेकिन ग्राम प्रधान और सचिव की लापरवाही के चलते किसी भी स्तर पर सुधार नहीं हो पाया। शिकायतें करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती, शायद सभी जिम्मेदार अधिकारी आपस में मिलकर इन बेजुबान जानवरों के हक को छीनने का काम कर रहे हैं।
आखिर कब तक?
गोपाष्टमी जैसे पवित्र पर्व पर जब गौ माता की पूजा की जाती है, ऐसे में इन गौशालाओं की हालत समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। क्या इन निरीह प्राणियों को इस तरह तड़पता छोड़ देना हमारी जिम्मेदारी से भागना नहीं है? यह समय है कि समाज और प्रशासन मिलकर इन गौवंशों की दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठाएं, ताकि गोपाष्टमी का असली उद्देश्य पूरा हो सके।