अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में दिवाली के माह ने शराब व्यापारियों के लिए एक रिकॉर्ड-ब्रेकिंग समय साबित किया। प्रदेश के 75 जिलों में एक महीने के भीतर कुल 3797 करोड़ रुपये की शराब बिक्री दर्ज की गई, जो पिछले साल के इसी अवधि के मुकाबले लगभग 471 करोड़ रुपये अधिक है।
साल 2023 में इसी माह में 3326 करोड़ रुपये की शराब बिकी थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस बार की बिक्री ने पुराने रिकॉर्ड को काफी पीछे छोड़ दिया है।
प्रयागराज का उदाहरण लें, तो इस जिले ने शराब बिक्री के सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुए पहली बार 104 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है। इससे पहले, कभी भी इस जिले में शराब की बिक्री से 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा नहीं छुआ गया था। इस आंकड़े ने समाज में शराब के बढ़ते उपभोग को दर्शाने के साथ ही कई चिंताजनक सवाल खड़े कर दिए हैं।
सावन का महीना, जो आमतौर पर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण संयम का समय माना जाता है, शराब की बिक्री के लिहाज से कमजोर रहा। इसके बाद पितृ पक्ष के दौरान भी शराब विक्रेताओं को निराशा हाथ लगी। लेकिन दिवाली के उत्सव के महीने में स्थिति पूरी तरह बदल गई और शराब की दुकानों पर उमड़ी भीड़ ने सारे पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। अक्टूबर महीने की बिक्री का डाटा नवंबर की शुरुआत में प्रदेश के सभी जिलों से इकट्ठा किया गया, जिससे यह पुष्टि हुई कि दीवाली के समय शराब की खपत चरम पर थी।
समाज के लिए संदेश
इस समाचार के जरिए यह सोचने का अवसर मिलता है कि हमारा समाज किस दिशा में बढ़ रहा है। दिवाली, जो कि रोशनी, उमंग, और खुशहाली का पर्व माना जाता है, उसे हम किस तरह से मना रहे हैं? क्या हमें अपनी खुशियों को मनाने के लिए शराब जैसे माध्यमों पर निर्भर होना चाहिए, या हमें इस पर्व का असली महत्व समझकर अपने और दूसरों के जीवन में प्रकाश और सकारात्मकता फैलाने पर ध्यान देना चाहिए?
शराब की अत्यधिक खपत कई सामाजिक समस्याओं को जन्म देती है, जिनमें परिवारों में कलह, दुर्घटनाएं, और स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं। एक जिम्मेदार समाज के तौर पर हमें यह सोचना चाहिए कि हम कैसे अपनी परंपराओं और उत्सवों को इस तरह मना सकते हैं कि वे न केवल हमें बल्कि हमारे आसपास के लोगों को भी खुशहाली प्रदान करें।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की