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December 12, 2024 7:50 am

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टमाटर तो तेवर दिखा ही रहा था, आलू भी इतराने लगा, नींबू ने तो हद ही कर दी… 

40 पाठकों ने अब तक पढा

इरफान अली लारी की रिपोर्ट

टमाटर की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी के बाद अब आलू और नींबू की बढ़ती कीमतों ने आम जनता की रसोई का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। इटौंजा क्षेत्र में आलू की कीमत में 5 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है, जिससे खुदरा बाजार में इसकी कीमत 30 से 35 रुपये प्रति किलो हो गई है। आलू, जो हर रसोई की आवश्यक सब्जियों में से एक है, अब आम आदमी की पहुंच से दूर हो रहा है। व्यापारियों के अनुसार, आगामी दिनों में आलू की कीमतों में और भी इजाफा हो सकता है, जिससे हालात और गंभीर हो सकते हैं।

थोक बाजार में भी महंगाई का असर

इटौंजा के मानपुर मंडी में सफेद आलू की थोक कीमतें 23 से 24 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी हैं। मंडी के आढ़ती अशोक कुमार का कहना है कि आलू की कीमतें थोक बाजार में फिलहाल इसी स्तर पर रहेंगी और जल्द ही 25 रुपये प्रति किलो का आंकड़ा भी पार कर सकती हैं। उनका कहना है कि फिलहाल आलू की कीमतों में कमी की कोई संभावना नहीं है। राहत की उम्मीद तब की जा सकती है जब पंजाब, बिहार और बंगाल से नई फसल की खेप लखनऊ पहुंचेगी।

व्यापारी यह भी मानते हैं कि आलू की कीमतों में गिरावट चुनावों के बाद ही देखने को मिल सकती है। तब तक कीमतों में लगातार बढ़ोतरी की संभावना है, जिससे आम जनता के बजट पर सीधा असर पड़ रहा है। जो आलू कुछ हफ्ते पहले 20 से 25 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, अब वह 30 रुपये से ऊपर पहुंच चुका है, जिससे रसोई का बजट बिगड़ता जा रहा है।

नींबू की बढ़ती कीमतें भी परेशान कर रही हैं

आलू के साथ-साथ नींबू की कीमतों में भी तेजी देखी जा रही है। लखनऊ में बढ़ती गर्मी की वजह से नींबू की कीमतों में दोगुनी वृद्धि हो चुकी है। फिलहाल खुदरा बाजार में 10 रुपये में सिर्फ एक नींबू बिक रहा है। गर्मियों में नींबू की मांग बढ़ने के बावजूद उत्पादन में कमी के चलते कीमतें आसमान छू रही हैं। व्यापारियों के अनुसार, आने वाले दिनों में नींबू की कीमतों में और इजाफा हो सकता है, जिससे जनता की परेशानी बढ़ सकती है।

महंगाई का चुनावी प्रभाव

आलू और नींबू की बढ़ती कीमतों का असर केवल रसोई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका राजनीतिक प्रभाव भी दिख रहा है। व्यापारियों और मंडियों में चर्चाओं के अनुसार, अगर आलू और प्याज जैसी आवश्यक सब्जियों की कीमतों में इस तरह की वृद्धि जारी रही, तो इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है। आलू और प्याज दोनों ही हर घर की जरूरत हैं, और इनकी कीमतों में इजाफा लोगों के बीच असंतोष पैदा कर रहा है।

महंगाई से राहत की उम्मीद कब?

आलू और नींबू की महंगाई से आम जनता की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। त्योहारों का मौसम चल रहा है, और इस दौरान लोग अपने खर्चों को सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन बढ़ती कीमतों ने उनकी कोशिशों को नाकाम कर दिया है। व्यापारियों का कहना है कि जैसे ही नई फसल बाजार में आएगी, कीमतों में थोड़ी राहत मिल सकती है। हालांकि, यह राहत कब तक आएगी, इस पर स्पष्ट रूप से कुछ कहना मुश्किल है।

कीमतों में वृद्धि का कारण

आलू और नींबू की बढ़ती कीमतों का सबसे बड़ा कारण मांग और आपूर्ति में असंतुलन है। उत्पादन में गिरावट, मौसम के प्रतिकूल प्रभाव और परिवहन की समस्याओं के कारण इन वस्तुओं की उपलब्धता में कमी आई है, जिससे कीमतों में वृद्धि हो रही है। अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो यह महंगाई आम आदमी के लिए एक लंबी समस्या बन सकती है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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