चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का सिलसिला अक्सर देखा जाता है, विशेष रूप से पुलिस विभाग में। यहां आए दिन पुलिसकर्मियों की लापरवाही के चलते उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाते हैं। कभी अधिकारियों को पदावनत कर दिया जाता है तो कभी उन्हें जबरन सेवानिवृत्त करने तक की कार्रवाई होती है। ऐसा ही ताजा मामला बहराइच जिले से सामने आया है, जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।
बहराइच जिले के जरवल रोड थाने में एक ऐसी घटना घटी, जहां लापरवाही के चलते एक इंस्पेक्टर और एक दारोगा को पदावनत कर दिया गया। इस मामले में इंस्पेक्टर को सब-इंस्पेक्टर बना दिया गया और दारोगा को सिपाही के पद पर वापस भेज दिया गया।
फरवरी 2024 में जरवल रोड थाने के थानाध्यक्ष के पद पर इंस्पेक्टर विनोद राय तैनात थे, जबकि मोहम्मद असलम चौकी इंचार्ज थे। जरवल कस्बे में दबंगों द्वारा कुछ लोगों की जमीन पर अवैध कब्जा करने की कोशिश हो रही थी, जिसकी शिकायत पीड़ित बार-बार पुलिस अधीक्षक (एसपी) से कर रहे थे। जब एसपी ने इस मामले की जांच की, तो उन्हें इंस्पेक्टर और दारोगा की भूमिका पर शक हुआ।
मामले की गहराई से पड़ताल करने पर यह पाया गया कि दोनों अधिकारियों ने न सिर्फ लापरवाही बरती, बल्कि एसपी को गुमराह करने की भी कोशिश की। इसके बाद एसपी वृंदा शुक्ला ने दोनों पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया और मामले की जांच अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण को सौंपी गई। जांच में इन दोनों को दोषी पाया गया, जिसके बाद शासन के आदेश पर दोनों अधिकारियों को उनके मूल पद पर वापस भेजने का निर्णय लिया गया।
एसपी वृंदा शुक्ला ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि दोनों अधिकारियों को उनके प्रमोशन से पहले के पद पर वापस भेज दिया गया है। इंस्पेक्टर विनोद राय को पदावनत कर सब-इंस्पेक्टर बना दिया गया है, जबकि दारोगा मोहम्मद असलम, जो सिपाही से प्रमोट होकर दारोगा बने थे, उन्हें फिर से सिपाही बना दिया गया है। इस घटना से पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है, और यह कार्रवाई विभागीय अनुशासन का स्पष्ट उदाहरण है।
इस प्रकार की कार्रवाइयां यह संकेत देती हैं कि पुलिस महकमे में लापरवाही और अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह कोई भी पदाधिकारी हो।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."