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November 23, 2024 9:52 am

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चोरी-ठगी करते-करते बाबागिरी के खेल में कैसे शिवमूरत से इच्छाधारी बन गया ये शातिर ? आइए जानते हैं

14 पाठकों ने अब तक पढा

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट 

इसे कोई इच्छाधारी बाबा कहता, तो कोई स्वामी भीमानंद चित्रकूट वाले, तो कोई राजीव, तो कोई शिवमूरत द्विवेदी. इसके जितने नाम है, उतनी ही बड़ी काले कारनामों की लिस्ट है. पिछले कई वर्षों से लोग इसका नाम भूल चुके थे. क्योंकि कई बार जेल की हवा खाने के बाद इसने शायद अपनी काली करतूतों की रफ्तार को थाम लिया था. लेकिन कहते हैं ना कि पुराने कुकर्म भी भविष्य में सामने आ ही जाते हैं. इसके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. एक शख्स के साथ गुंडागर्दी करने, जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने और धोखाधड़ी के आरोप में इसके खिलाफ केस दर्ज हुआ था. इस मामले में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट की जिला अदालत सुनवाई चल रही थी. अदालत ने इस मामले में उसे 50-50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर सशर्त जमानत दे दी है. हालांकि, इससे पहले उसे कई घंटे तक पुलिस हिरासत में रखा गया था.

दरअसल, कुछ वर्ष पहले कथित इच्छाधारी बाबा भीमानंद ने चित्रकूट के मानिकपुर के सकरौंहा गांव में एक धर्मशाला का निर्माण कराया था. इसकी छत की ढलाई के लिए शटरिंग का ठेका इसने एक स्थानीय ठेकेदार को दिया था. काम हो जाने के बाद ठेकेदार ने अपना पूरा पैसा मांगा, तो उसने कुछ पैसे देकर बाकी बाद में देने का वायदा किया. कुछ दिनों बाद ठेकेदार ने जब अपना बकाया मांगा तो भीमानंद ने देने से इंकार कर दिया. इतना ही नहीं गाली-गलौच करते हुए उसे जान से मारने की धमकी तक दे डाली. उसका भाई भी ठेकेदार को धमकाने लगा. पीड़ित राजेश कुमार की शिकायत पर भीमानंद को आईपीसी की धारा 504, 506 और एससी एसटी एक्ट के तहत आरोपी बनाया गया था. इस मामले में चित्रकूट कोर्ट में बहस चल रही थी. पीड़ित पक्ष ने उसके पुराने कुकृत्यों का हवाला दिया, लेकिन कोर्ट ने चेतावनी देते हुए उसे जमानत दे दी है.

सत्संग में सांप के साथ डांस ने किया मशहूर

चित्रकूट का रहने वाला शिवमूरत द्विवेदी शुरू से ही आपराधिक प्रवृत्ति का रहा है. उसने चोरी, डकैती और छिनैती जैसे कई अपराध किए. दिल्ली में नौकरी के दौरान वो एक शख्स के संपर्क में आया, जो कि धार्मिक प्रवृत्ति का था. वो उसके साथ धार्मिक आयोजनों और सत्संग आदि में आने-जाने लगा. उसका मन हुआ कि क्यों न भगवा चोला धारण करके बाबा बन जाए. बस फिर क्या था वो बाबा बन गया. दिल्ली-एनसीआर में अलग-अलग जगहों पर जाकर सत्संग-भजन करने लगा. इस दौरान लोगों को सांप के साथ करतब भी दिखाता था. इससे लोग उससे बहुत प्रभावित होते थे. अपनी समस्याएं उसके सामने रखते थे. वो लोगों की समस्या का समाधान करने के नाम पर उनसे पैसे ऐंठने लगा. ज्यादातर लोगों की समस्या शादी और बेरोजगारी की ही होती है. वो इस बात को समझ गया था. इसलिए उसने लोगों की शादी कराने से लेकर नौकरी दिलाने तक का काम शुरू कर दिया.

नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को ठगा

शिवमूरत द्विवेदी अब इच्छाधारी बाबा भीमानंद बन चुका था. उसके हजारों की संख्या में भक्त बन गए थे. हर रोज उसके वहां दरबार लगता था. वहां बड़ी संख्या में लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते थे. एक दिन दिल्ली की रहने वाली एक लड़की अपने परिवार की समस्या लेकर पहुंची. वो अपने और पिता-भाई के लिए नौकरी चाहती थी. बाबा ने उस लड़की को अपने जाल में फंसा लिया. उसे भरोसा दिला दिया कि वो तीनों को नौकरी दिला देगा. इसके लिए पूजा-पाठ के नाम पर 12 लाख रुपए की मांग कर डाली. लड़की ने किसी तरह से 2 लाख रुपए का जुगाड़ कर उसे दे दिया. बाबा के चेलों ने उसे भरोसा दिलाने के लिए एक कंपनी में फर्जी नौकरी दिला दी. इसके बाद बचे हुए पैसों की मांग करने लगे. मजबूरन लड़की ने बचे हुए 10 लाख रुपए भी दे दिए. इसके बाद चेलों ने फोन उठाना बंद कर दिया. पीड़ित को समझ आ चुका था को ठगी गई है.

ठग से सेक्स रैकेट का सरगना बना बाबा

पैसे की हवस बहुत बुरी होती है. वो इंसान को बुरा से बुरा बनाती चली जाती है. ठगी से लाखों रुपए कमाने वाले इच्छाधारी बाबा का पेट अब बड़ा होता जा रहा था. इसके साथ ही उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता जा रहा था. उसे दिल्ली के बदरपुर में अपना भव्य आश्रम बना लिया था. वहां बड़ी संख्या में लोग आने लगे थे. ज्यादातर लोग किसी न किसी समस्या से ग्रसित थे, जो कि बाबा से समाधान चाहते थे. बाबा के भक्तों में कॉलेज जाने वाली लड़कियां, मॉडल और एयर होस्टेस भी हुआ करती थी. किसी के पास नौकरी नहीं थी, तो कोई ज्यादा पैसा कमाना चाहता था. यहीं से बाबा के मन में आइडिया आया, उसने कुछ लड़कियों को बहला-फुसला कर जिस्मफरोशी कराने लगा. इस तरह उसका रैकेट तेजी से बढ़ने लगा. दिन में भगवा चोला पहनने वाला इच्छाधारी बाबा रात को जींस और टी-शर्ट में आ जाता था. वो इतना मॉडर्न रहता कि उसे पहचान पाना भी मुश्किल होता था. 

600 लड़कियों वाला हाई प्रोफाइल रैकेट 

खुद को सांई बाबा का अवतार बताने भीमानंद का सेक्स रैकेट पूरे दिल्ली एनसीआर में फैल चुका था. उसके लिए 600 से अधिक लड़कियां काम कर रही थीं. उसमें अधिकतर कॉलेज स्टूडेंट्स, मॉडल और एयर होस्टेस थीं. वो अपने वहां काम करने वाली कई लड़कियों को सैलरी तक देता था. पूरा नेटवर्क किसी बड़ी कंपनी तरह काम कर रहा था. साल 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन होने वाला था. बाबा बहुत खुश था, क्योंकि उसे बड़ी संख्या में विदेशी ग्राहक मिलने वाले थे. इसमें उसकी कमाई कई गुना बढ़ने वाली थी. वो अपने वहां काम करने वाली लड़कियों पर दबाव बढ़ाने लगा. इसी दौरान एक लड़की टूट गई. उसने दिल्ली पुलिस के पास जाकर बाबा का भांडाफोड़ दिया. पुलिस ने अपना जाल बिछाया और भीमानंद को गिरफ्तार कर लिया. उसके साथ कई कॉल गर्ल भी गिरफ्तार हुई थी. बाबा के पास से एक डायरी भी मिली थी, जिसमें कई राज थे.

भीमानंद जैसे ठग भगवान कैसे बन जाते हैं?

1- इच्छाधारी बाबा भीमानंद से लेकर राम रहीम जैसे लोगों में स्वांग रचाने की कला होती है. स्वांग यानी एक चरित्र से दूसरे चरित्र में ढाल कर नाटक करना. इन बाबाओं की बॉडी लैंग्वेज पर बारीक नजर डाली जाए, तो स्वांग साफ-साफ नजर आता है. ढोंगी खुद को भगवान के रूप में प्रदर्शित करते हैं. उनके जैसी मुद्राएं और भाव-भंगिमाएं बनाते हैं. भोले भाले लोग उन्हें भगवान मान लेते हैं. आकर्षित होकर उनकी पूजा करने लगते हैं. इसका फायदा उठाकर ये ठग लोगों का शोषण करते हैं. 

2- ऐसे स्वयंभू संत अपनी वाकपटुता की वजह से लोगों को अपने जाल में आसानी से फंसा लेते हैं. उनके अंदर बात बनाने की वो कला होती है, जो लोगों को सम्मोहित कर लेती है. इसके बाद लोगों को उनकी हर बात सही लगने लगती है. अपनी बातों में फंसाकर ये ढोंगी बाबा लोगों को बरगलाने लगते हैं. तरह-तरह के बहाने बनाकर उनसे पैसे ऐंठते हैं. उनकी बातों में फंसी जनता को इसका आभास बहुत देर से होता है. जबत होता है, तबतक वो लुट चुके होते हैं. 

3- ढोंगी बाबाओं के केस में अक्सर देखा गया है कि ये आकर्षक आवरण में होते हैं. उदाहरण के लिए इच्छाधारी बाबा भीमानंद, राधे मां, स्वामी नित्यानंद और निर्मल बाबा के कपड़ों और रहन-सहन पर गौर कीजिए. ये सामान्य से हटकर परिधान पहनते हैं. इनके बैठने के आसन, कपड़ों का स्टाइल, बैठने का तरीका, मंच की साज-सज्जा अनोखी होती है, जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. इतना ही नहीं ये खास तरह के क्रियाकलाप भी करते हैं, ताकि लोग फंसे रहें. 

4- ढोंगी बाबाओं को लोगों और धर्म की कमजोरियों को फायदा उठाने की कला बखूबी आती है. उन्हें पता होता है कि लोगों की कमजोरियां क्या हैं. वे उसे धर्म से जोड़ देते हैं. लोगों को भनक भी नहीं लगती कि आस्था के नाम पर उनके साथ खेल हो रहा है. ऐसे फर्जी संतों के निशाने पर ज्यादातर गरीब और अनपढ़ लोग होते हैं. कुछ मजबूर और पीड़ित लोग भी उनकी जाल में फंस जाते हैं. वहीं कुछ अमीर अपने काले धन को सफेद करने के लिए ही उनकी शरण में जाते हैं. 

5- इस जमाने में ब्रैंडिंग और मार्केटिंग सबसे बड़ी कला मानी जाती है. ढोंगी बाबाओं का ये सबसे बड़ा औजार होता है. टीवी, अखबार और सोशल मीडिया के माध्यम से ये लोग खुद के पैसे से खुद का प्रचार कराते हैं. खुद को भगवान का अवतार बताते हुए, लोगों की सभी परेशानियां दूर करने का दावा करते हैं. अपने दुख में उलझी जनता इनके झांसे में आसानी से आ जाती है. इनको भगवान मानने लगती है. लेकिन अंतिम सत्य यही है कि जनता हर बार ठगी जाती है. 

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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