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November 1, 2024 10:00 pm

“कुंवारे बुजुर्गों का गांव” दुनिया का एकमात्र गांव जहां 150 सालों से नही बजी शहनाई, लोग हैं कुंवारे, कारण चौंका देगी

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट 

उत्तर प्रदेश में दुनिया का इकलौता ऐसा गांव है। जहां 150 साल से शहनाई ही नहीं बजी। यहां आज भी लोग कुंवारे ही रहते हैं। जी हां, आप यह बात जानकर चौंक सकते हैं, लेकिन यह बिल्कुल सही है। दरअसल, यूपी के औरैया जिले में दुनिया का इकलौता एक ऐसा अनोखा गांव है। जहां पर अंग्रेजों के समय से लेकर आज तक शहनाइयां नहीं बजी हैं। 

यह गांव कुंवारे बुजुर्गों के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है। इसके साथ ही यहां का आज तक विकास भी नहीं हो सका है। यानी इस गांव में न तो बहुएं आती हैं और न ही सरकार की विकास की योजनाएं पहुंचती हैं। आइए बताते हैं इसके पीछे की सारी कहानी…

यूपी के औरैया जिले के अयाना थाना क्षेत्र के बिजली ग्राम कैथोली की सूरत देखकर आप भी सोचने पर विवश हो जाएंगे कि क्या आज के युग में ऐसा संभव है, जहां पर लगभग 70% आबादी कुंवारी हो, लेकिन यह सच है। औरैया जिले में कुंवारे बुजुर्गों के नाम से प्रसिद्ध हो चुके इस गांव के लोगों की मानें तो यहां पर इक्का-दुक्का छोड़कर लगभग 70% आबादी कुंवारी है। इन कुंवारों को अपने घर में खुद रोटियां बनानी और सेकनी पड़ती हैं। शादी की बात पर इनका कहना है कि दोबारा उनका इस गांव में जन्म न हो। अब आप शायद यह सोच रहे होंगे कि इस गांव में कोई बीमारी फैली होगी। जिसके कारण यहां पर शादियां नहीं होती, लेकिन इस गांव में किसी को कोई भी बीमारी नहीं है, सभी स्वस्थ हैं। शादी न होने की वजह दूसरी है।

ग्रामीणों की मानें तो शादियों का आंकड़ा 100 में 2% ही बताते हैं। यानी की 98% आबादी कुंवारी हैं। सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि इन अविवाहित कुंवारे बुजुर्गों और जवान लोगों को खाना बनाने की आदत स्वयं ही डालनी पड़ती है। इसका कारण यह है कि यहां घरों में काम करने वाली महिलाएं नहीं मिलती। इसके साथ जिन घरों में मां और बहुएं हैं, वहां तो रोटी बनी बनाई मिल जाती है। काम करने वाली बाई या खाना बनाने के लिए यहां कोई महिला न मिलने के चलते बाकी अन्य कुंवारे उनको अपने हाथ से ही रोटियां सेकने पड़ती हैं।

70 फीसदी आबादी कुंवारी रहने का ये है मूल कारण

तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि लगभग 15 दशक पूर्व औरैया जनपद दुर्दांत दस्यु जिसमें नामी-गिरामी डकैत लालाराम, निर्भय गुर्जर ,चंदन आदि के नाम शुमार है. इन डकैतों के आने जाने की वजह से बीहड़ और बिहड़ी क्षेत्र इन डकैतों का रहने का सुरक्षित अड्डा माना जाता था। इस वजह से डकैतों का इस गांव में आना-जाना बरकरार था। जिस कारण कोई भी पिता अपनी बेटी की शादी इस गांव में करने को तैयार नहीं रहता था।

डकैतों के उन्मूलन के बाद हालात बदले लेकिन तस्वीर नहीं बदली। इस बिहड़ी गांव में विकास की कोई भी बयान नहीं पहुंची। पहले डकैतों के कारण अब विकास न हो का पाने के कारण इस गांव में शादियां नहीं होती हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."