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November 1, 2024 1:04 pm

निकाय चुनाव में कमल के मुरझाने की प्रबल संभावना ; प्रत्याशियों को कई सीटों पर बागियों का डर

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में निकाय चुनाव (Hamirpur Nagar Nikay Chunav 2023) को लेकर तमाम बागियों के चुनावी मैदान में आने से अब भाजपा समेत अन्य प्रमुख दलों के उम्मीदवार टेंशन में हैं। कई सीटों में पार्टी छोड़ दलीय उम्मीदवारों को तगड़ा झटका देने के लिए बागी जातीय समीकरण बिगाड़ने में जुटे हैं। नगर पालिका परिषद की तीनों अनारक्षित सीटों के चेयरमैन की कुर्सी के लिए सभी उम्मीदवार एक दूसरे के गढ़ में हुंकार भर रहे है।

हमीरपुर जिले में पहली बार नगर पालिका परिषद की तीनों सीटें अनारक्षित हैं। हमीरपुर सदर सीट के अलावा मौदहा और राठ की सीट पर भाजपा इस समय त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में दिख रही है लेकिन उसके जातीय और परम्परागत वोट सपा, बसपा और बागी उम्मीदवारों के कारण बिखरते नजर आ रहे है। सबसे ज्यादा झटका तो सदर सीट पर भाजपा को लग रहा है। यहां भाजपा के परम्परागत वोटों को साधने के लिए बसपा उम्मीदवार चुनावी समर में पसीना बहा रही है वहीं साइकिल को भाजपा के गढ़ में रफ्तार देने में तमाम दिग्गज जुट गए है। इससे भाजपा की जीत की राहें अबकी बार बड़ी मुश्किल दिख रही है।

उम्मीदवारों के जातीय समीकरणों में होगा उलटफेर

नगरीय निकाय की सात सीटों में सबसे अधिक सदर, मौदहा और सुमेरपुर की सीट के लिए चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे तमाम उम्मीदवारों में गहरी चिंताएं देखी जा रही है। नाम वापसी के बाद अब भाजपा, सपा और अन्य प्रमुख दलों के उम्मीदवारों में जातीय समीकरणों के उलटफेर होना तय माना जा रहा है। टिकट वितरण में इस बार सभी राजनैतिक दलों ने युवाओं को तवज्जो दी है। भाजपा के सिद्धार्थ सिंह समेत ज्यादातर उम्मीदवार चुनावी समर में नए चेहरे है जो अभी से एक दूसरे के गढ़ में सेंधमरी कर जातीय समीकरण बिगाड़ने में जुट गए हैं।

भितरघातियों ने भी दलीय उम्मीदवारों की बढ़ाई चिंता

अबकी बार निकाय चुनाव में भाजपा, सपा समेत अन्य प्रमुख दलों के उम्मीदवार भितरघातियों की भितरघात से टेंशन में है। इससे साफ दिखता है कि चुनाव के अंतिम दौर में दलीय उम्मीदवारों की चुनावी गणित बिगड़ सकती है। नगर पालिका परिषद की सदर सीट पर सबसे ज्यादा चुनावी घमासान मचा हुआ है। यहां करीब 6600 मुस्लिम मतदाता है जबकि करीब 8600 निषाद, 3 हजार ब्राम्हण, 2200 क्षत्रिय व अन्य जातिगत मतदाता है। यहां निषाद बिरादरी व मुस्लिम मतदाता चुनाव में निर्णायक माने जाते है। इस बार निषाद बिरादरी और ब्राम्हण मत बिखर सकते है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."