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छत्तीसगढ़

सिंधी नाटक “मायट्रीयुन में देर जिम्मेदार केर” को मिली पूरे सिंधी समाज की सराहना

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हरीश चंद्र गुप्ता की रिपोर्ट 

रायगढ़। सिंधी समाज में युवा वर्ग के रिश्तो में हो रहे विलम्ब और बच्चों को सिंधी बोलने में आ रही दिक्कत के पृष्ठभूमि में अनेक कारण है। लेकिन उनमें से मुख्य कारणों पर फोकस करते हुए राष्ट्रीय सिंधी मंच (रजि) के राष्ट्रीय प्रवक्ता हीरा मोटवानी द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाटक   “मायट्रीयुन में देर जिम्मेदार केर”   को चेट्रीचंड्र पर्व के पूर्व संध्या पर मंचन किया गया। नाटक की समाप्ति पर तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा सदन गूंज उठा और वहीं पूरे समाज में यह नाटक चर्चा का विषय बना हुआ है । 

इस नाटक को लिखने के कारण बताते हुए हीरा मोटवानी ने कहा कि वह पिछले चार  वर्षों से अपने समाज में ही लोगों को युवक युवतियों के बायोडाटा जो कि उन्हें पूरे देश से विभिन्न माध्यमों से प्राप्त होते हैं निशुल्क उपलब्ध कराते हैं। 

 बच्चों के अभिभावकों से लगातार संपर्क कर  उनमें से कुछ रिश्तो को जोड़ने में  सफलता भी  प्राप्त हुई पर इस पूरे चर्चा के दौरान उन्होंने महसूस किया कि इस दौर में युवतियां तो पढ़ी लिखी है परंतु युवक कम पढ़े लिखे और व्यापार में जुटे हुए हैं जिसके कारण कई रिश्ते नहीं हो पाते क्योंकि पढ़े-लिखे बच्चों की डिमांड पढ़े-लिखे बच्चे ही होते हैं। दूसरा कारण इस आधुनिक युग में युवतियों की पहली मांग बड़े शहरों  और सुख समृद्धि से भरपूर घरों की चाहत का होना है। हर युवती के माता-पिता भी यही चाहते हैं जिसके कारण छोटे शहरों में रह रहे बच्चे अपनी वैवाहिक उम्र से कहीं ज्यादा समय  तक कुंवारे बैठे हैं, क्योंकि छोटे शहरों में कोई जाना नहीं चाहता सबको मॉल ,थिएटर, वाटर पार्क, फाइव स्टार होटल, बड़े अस्पताल, कॉन्वेंट स्कूल, स्टाइलिश बाजार, चाहिए।  

युवतियां चाहती हैं कि उन्हें छोटा परिवार मिले जिसमें वह और उसके पति तथा उसके बच्चे ही हों यहां तक की कई जगहों पर तो उन्हें सास ससुर के साथ रहने  से भी तकलीफ है।  ऐसी मानसिकता में बच्चों की उम्र लगातार बढ़ती जा रही है परंतु वे अपने विचारों में परिवर्तन नहीं ला पा रहे हैं  जिसके कारण रिश्ते होने कम हो गए हैं। वहीं लिंगानुपात के कारण प्रत्येक 1000 युवकों के पीछे केवल 940 युवतीयां है जिसके कारण प्रति हजार 60 युवक तो कुंवारे ही रह जाने हैं। 

इस नाटक में इन्हीं सब मुद्दों को बड़ी खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया है।  राष्ट्रीय सिंधी मंच महिला विंग द्वारा मंचित इस नाटक में  समाज के एक सम्मानित व्यक्ति जिन्हे आदर पूर्वक भाई साहब कहा जाता है जो कि रिश्ते चलाने में लोगों की मदद करते हैं उनका किरदार निभाया है श्रीमती पूनम मोटवानी ने वही बच्चों के माता पिता के रूप में सुशील और शीला का किरदार  पूजा अंबवानी और परी कटारे , बच्चों के बुआ आशा ,नताशा के किरदार में भूमिका वालेचा और सौम्या कटारे , भाई अनंत बहन अनन्या के रोल को मुस्कान अंबवानी और अंजलि लालवानी और पड़ोसन का किरदार चित्रा बलानी ने निभाया है। 

हर कलाकार ने मानो  मंच पर अपने किरदार को आत्मसात कर लिया था।  इसमें पर्दे के पीछे दो और शख्सियत ने अपना सहयोग दिया ऑडियो मिक्सिंग में मदद  भवानी गुरु ने की और श्रीमती रेखा वलेचा ने पूरी टीम को अपने घर पर रिहर्सल करने की अनुमति दी और  उनके उत्साह को भी बढाती रहीं।  इस पूरे नाटक की सराहना न केवल रायगढ़ का सिंधी समाज कर रहा है बल्कि रायपुर में भी इसकी धूम मची हुई है। हीरा मोटवानी ने बताया कि इस नाटक का मंचन रायपुर में भी किया जाएगा और कोशिश की जाएगी कि छत्तीसगढ़ के हर उस कस्बे शहर जहां भी सिंधी परिवार रहते हैं धीरे-धीरे इस नाटक का मंचन किया जाए यदि हम कुछ युवाओं और उनके परिजनों की मानसिकता को सकारात्मक मोड़ दे सके तो हमें अत्यंत प्रसन्नता होगी। 

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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