मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट
दिन शनिवार था। यूपी विधानसभा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रौद्र रूप की गवाह बनी। अखिलेश यादव ने उन्हें बोलने पर उकसाया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने अचानक सदन में उमेश पाल हत्याकांड का मुद्दा उठा दिया था। जबाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को धुल डाला था। लेकिन, उनकी एक बात सबके कानों में गूंजती रही। गुस्से में तमतमाकर योगी बोले थे माफिया किसी भी पार्टी का हो मिट्टी में मिला दिया जाएगा। सिर्फ दो दिनों बाद इस कथनी को करनी में बदल दिया गया। उमेश पाल की हत्या में शामिल आरोपियों में से एक को योगी की पुलिस ने जहन्नुम पहुंचा दिया है। योगी ने इसके जरिये फिर साफ मैसेज दे दिया है। दबंगों और माफियाओं के खिलाफ उनकी ‘जीरो टॉलरेंस’ पॉलिसी में रत्तीभर फर्क नहीं पड़ा है। कोर्ट-कचहरी की आड़ में जेल की रोटियां तुड़वाने की जगह योगी सरकार इन्हें बिना टिकट ऊपर पहुंचाएगी। यही योगी स्टाइल और वो इसे नहीं बदलेंगे।
यूपी में ‘योगी राज’ शुरू होने के बाद से ही दबंगों और माफियाओं की सिट्टी-पिट्टी गुम है। पहली बार सीएम पद की शपथ लेने के बाद ही मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया था कि दंबगों, माफियाओं और अपराधियों को ‘पाताल लोक’ पहुंचा दिया जाएगा। इनके खिलाफ योगी ने अपनी पुलिस को खुला छोड़ दिया। उन्हें जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने के आदेश दे दिए। ऐसे ऐक्शन की वो समय-समय पर समीक्षा करने लगे। दुर्दांत अपराधी धड़ाधड़ गिराए जाने लगे। उनके बचकर भाग निकलने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए। फैसला फटाफट होने लगा। बदमाशों को चुनचुनकर पुलिस ने निशाना बनाया।
आंकड़े देते हैं बानगी
आंकड़ों पर नजर डालें तो भी आपको माफियाओं के खिलाफ योगी सरकार के ऐक्शन का कुछ अंदाजा मिल जाएगा। मार्च 2017 से पिछले साल नवंबर तक योगी सरकार में करीब 170 दुर्दांत अपराधियों को मार गिराया गया। 4,500 से ज्यादा अपराधी पुलिस की गोली से अस्पताल में पहुंचे। योगी सार्वजनिक मंचों पर भी कहते रहे हैं कि जरूरत पड़ी तो गाड़ी भी पलटेगी और बुलेट भी चलेगी। बिकरू कांड के बाद मुख्य आरोपी विकास दुबे की गाड़ी पलटी थी और उसका एनकाउंटर हुआ था। उसी संदर्भ में योगी ने यह बात कही थी। जब वाराणसी में तैनात उपनिरीक्षक अजय यादव की गोली मारकर हत्या की गई और उनकी सर्विस रिवॉल्वर लूट ली गई तो भी पुलिस ने आक्रामक तेवर दिखाए थे। पिस्टल लूटने वाले इन बदमाशों को ऑपरेशन पाताल लोक के तहत मुठभेड़ में मार गिराया गया था। वाराणसी में ही बिहार के कुख्यात मनीष और रजनीश को मुठभेड़ में मार गिराए जाने पर पुलिस टीम को पांच लाख रुपये इनाम की घोषणा की गई थी।
यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद 2017 में पहला एनकाउंटर 27 सितंबर को मंसूर पहलवान का हुआ था। मंसूर सहारनपुर का रहने वाला था। उस पर 50 हजार रुपये का इनाम था। विपक्ष कई बार एनकाउंटर पर सवाल उठाता रहा है। लेकिन, सच यह है कि तमाम मरने वाले अपराधियों का रेकॉर्ड बताता हैं कि ये दुर्दांत अपराधी थे। इनके कारण लोगों में डर था। इनमें से बड़ी संख्या में इनामी थे।
सदन में जब गरजे सीएम योगी
शनिवार को जब अखिलेश ने उमेश पाल मर्डर केस का मुद्दा उठाया तो योगी तमतमा गए। उन्होंने समाजवादी पार्टी पर बदमाशों को प्रश्रय और बढ़ावा देने की बात कही। फिर गुस्से में बोले कि माफिया किसी भी पार्टी का हो हमारी सरकार मिट्टी में मिला देगी। शनिवार को योगी की इस भविष्यवाणी के बाद दो ही दिनों के भीतर उमेश पाल की हत्या में शामिल आरोपियों में से एक को वाकई में मिट्टी में मिला दिया गया। शुक्रवार को उमेश पाल और उनके सुरक्षाकर्मी संदीप निषाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हमले में घायल दूसरे सुरक्षाकर्मी राघवेंद्र सिंह को गंभीर हालत में एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां से रविवार को उन्हें लखनऊ भेज दिया गया था। विधायक राजू पाल हत्याकांड के उमेश पाल मुख्य गवाह थे। हत्या में शामिल आरोपियों में से एक अरबाज को सोमवार को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया । हमलावरों ने जिस कार का इस्तेमाल किया था, अरबाज उस कार का ड्राइवर था। पुलिस के साथ अरबाज की मुठभेड़ दोपहर करीब तीन बजे हुई। अरबाज के साथ और दो-तीन लोग थे जो मौके से भाग गए।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."