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November 23, 2024 8:28 am

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मानसिक रोगी नहीं है ‘मुर्तजा अब्बासी’, इसके शातिर दिमाग ने सबको हिला कर रख दिया  

16 पाठकों ने अब तक पढा

कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

लखनऊ: आईआईटी मुंबई से केमिकल इंजिनियरिंग करने वाले गोरखपुर निवासी अहमद मुर्तजा अब्बासी को तीन अप्रैल 2022 को जब गोरखनाथ मंदिर के बाहर सुरक्षाकर्मियों पर हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था तो हर किसी को लगा था कि वह मानसिक विक्षिप्त है। शुरुआत में पुलिस को भी लगा कि बांका लेकर कौन आतंकी हमले को अंजाम देगा? मुर्तजा के घरवाले भी विकृत चित्त, 295 सिंड्रोम अर्थात सिजोफ्रिनिया का मरीज बताकर मामला हल्का करने में जुटे थे। कोर्ट में उन्होंने यह साबित करने की कोशिश भी की, लेकिन जैसे-जैसे एटीएस की जांच आगे बढ़ी मामला गंभीर होता गया। मात्र दो माह के ट्रायल में मुर्तजा को हुई फांसी की सजा के बाद लोगों को अहसास हुआ कि मामला कितना गंभीर था। ट्रायल के दौरान कोर्ट के सामने मुर्तजा से जुड़े कई ऐसे तथ्य सामने आए जिन्होंने उसके आईएसआईएस कनेक्शन को तो साबित किया ही, उसे फांसी की सजा दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई।

सिक्स्थ मुगल के नाम से बनाई थी आईडी

भारत में छठा मुगल शासक यानी औरंगजेब। मुर्तजा औरंगजेब से सबसे ज्यादा प्रभावित था। इसलिए उसने अपनी मेल आईडी भी सिक्स्थ मुगल के नाम से बनाई थी। उसने एजेंसियों को पूछताछ में बताया कि औरंगजेब ने इस्लाम को संपूर्ण भारत में स्थापित करने के लिए कई मंदिर तोड़े और बुतपरस्ती खत्म करने की कवायद की थी। वह भी कुछ ऐसा ही चाहता था। वर्ष 2012 में जब वह जिहाद से प्रभावित हुआ तो उसने ऑनलाइन प्लैटफॉर्म इस्लामिक अवेकनिंग फोरम्स से सबसे पहले सिक्स्थ मुगल के नाम से 350 से ज्यादा पोस्ट किए।

828 पासवर्ड, 52 ई-मेल आईडी बनाई थीं

मुर्तजा करीब 10 साल से एजेंसियों को चकमा देने और प्रतिबंधित ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर अपने डिजिटल फुटप्रिंट मिटाने के लिए हर वो तरीका अपना रहा था जो लोगों की सोच से कहीं बाहर की बात थी। मुर्तजा के आईफोन की फरेंसिक पड़ताल से खुलासा हुआ कि उसने 52 ई-मेल आईडी बना रखी थीं। मेल आईडी और अपने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म को सिक्योर रखने के लिए उसने 828 पासवर्ड बनाए थे।

700 से ज्यादा ऐप इंस्टॉल की थीं फोन पर

एजेंसियों से बचने के लिए मुर्तजा ने अपने फोन पर 700 से ज्यादा ऐप डाउनलोड की थीं। इनमें सबसे अहम थी नॉर्ड वीपीएन। इस ऐप से वह इंटरनेट पर क्या सर्च कर रहा है इसे कोई ट्रैक नहीं कर सकता था। उसने नॉर्ड वीपीएन के पेड वर्जन के लिए करीब 4,500 रुपये का भुगतान भी किया था। जब वॉट्सऐप ने अपनी सिक्योरिटी पॉलिसी में बदलाव किया तो उसने बातचीत के लिए सिग्नल ऐप्लिकेशन डाउनलोड की। क्योंकि सिग्नल ऐप अपनी सूचनाओं को भारत से साझा नहीं करता है।

हस्ड ऐप्लिकेशन से खरीदता था वर्चुअल नंबर

जीमेल, फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर फर्जी आईडी से अकाउंट बनाने के लिए मुर्तजा वर्चुअल नंबर खरीदता था। वर्चुअल नंबर खरीदने के लिए उसने अपने फोन पर हस्ड ऐप डाउनलोड की थी। हस्ड के अलावा वह कई ऐसी वेबसाइट से भी नंबर खरीदता था जो म्यूचुअल नंबर देती थीं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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