राष्ट्रीय

सियासी दलों की भीड़ में पहचान बनाए रखने की जद्दोजहद में लगे हैं अखिलेश

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

यूपी में विपक्षी दलों में सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी अभी मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में अपनी प्रत्याशी डिंपल यादव की जीत पक्की करने में जुटी है। इसके लिए पार्टी जीतोड़ मेहनत कर रही है। पार्टी के संस्थापक नेताजी मुलायम सिंह यादव के नहीं रहने से अब राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपनी पार्टी को सियासी दलों की भीड़ में पहचान बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है। यही वजह है कि वह अब मैनपुरी उपचुनाव के साथ-साथ अगले लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तैयारी में जुट गए हैं।

गुरुवार को उन्होंने मीडिया को बताया कि वे 2024 के आम चुनाव में कन्नौज सीट से पार्टी के प्रत्याशी होंगे। उन्होंने साफ किया कि अंतिम फैसला पार्टी लेगी, लेकिन वे वहीं से चुनाव लड़ना पसंद करेंगे, जहां से पहली बार चुनाव लड़े थे। अभी कन्नौज से भाजपा के सुब्रत पाठक सांसद हैं।

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अखिलेश यादव का सियासी सफर कन्नौज लोकसभा सीट से शुरू हुआ था। वे यहां से साल 2000 में हुए उपचुनाव में पहली बार सासंद चुने गए थे। 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में भी वे लगातार जीत हासिल करते रहे। इसके बाद 2012 में वे यूपी के मुख्यमंत्री बनाए गये तो कन्नौज लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।

2019 के चुनाव में कन्नौज से हार गई थीं डिंपल यादव

ऐसे में यहां से उनकी पत्नी डिंपल यादव 2012 में निर्विरोध सांसद चुनी गईं। डिंपल यादव 2014 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट से जीत दर्ज कीं, लेकिन अगले चुनाव 2019 में यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को 12353 वोटों से यहां से हरा दिया।

डिंपल यादव फिलहाल मैनपुरी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी है। उनका मुकाबला यहां भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य से है। डिंपल यादव का इस सीट से जीतना समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के लिए आगे का रास्ता तय करेगा। समाजवादी पार्टी के लिए यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पहली बार कोई चुनाव बिना पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के हो रहा है।

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"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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