राकेश सूद की रिपोर्ट
लुधियाना। देश के विभिन्न हिस्सों में आए दिन पत्रकारों पर हमले और झूठे मुकदमे में फंसाने की घटनाएं सुनने में आती रहती है। निश्चित रूप से यह लोकतंत्र पर किसी बज्रपात से कम नहीं है।
अभी पंजाब में पिछले दिनों एक स्वतंत्र पत्रकार के साथ हुई शर्मनाक घटना की टीस खतम भी नहीं हुई थी कि यूपी के ग्रामांचल में एक दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता को झूठे मुकदमे में सरकारी अधिकारी द्वारा फंसाने की घटना भी सामने आ गई।
लोकसभा में पेश राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक 2013 से अब तक देश में पत्रकारों पर सबसे ज्यादा हमले उत्तर प्रदेश में हुए है। उत्तर प्रदेश में 2017 में जब से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बनी है, तब से राज्य में अक्सर ही मीडिया के दमन और पत्रकारों पर हमलों संबंधी आरोप भी लगते रहे हैं।
रिपोर्ट कहती है कि 2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से लेकर फरवरी 2022 तक राज्य में कुल 12 पत्रकारों की हत्या हुई, 48 पर शारीरिक हमले हुए, 66 के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ या उनकी गिरफ्तारी हुई और धमकी, हिरासत या जासूसी संबंधी 12 मामले सामने आए।
राष्ट्रीय स्वरूप अखबार से जुड़े राकेश सिंह को बलरामपुर में उनके घर में ही आग लगाकर मार डाला गया था। आरोप है कि भ्रष्टाचार को उजागर करने के चलते उनकी जान ली गई।
वहीं, उन्नाव के शुभम मणि त्रिपाठी को रेत माफिया के खिलाफ लिखने के चलते धमकियां मिलीं तो उन्होंने पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें गोली मार दी गई।
हम महसूस कर सकते हैं तो यह बात स्वतः स्पष्ट रूप से साफ हो जाएगी कि आम तौर पर वैसे सरकारी हुक्मरान पत्रकार को तंग ओ तबाह करते हैं जिनका सिर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार की दलदल में फंसा हुआ हो।
अस्पताल में एक नवजात शिशु को किसी जानवर द्वारा नोंचा गया और बच्चे की मौत हो गई तो इसकी खबर लिखा जाना पत्रकार के लिए कहर बन गई। ज़िला के सर्वोच्च अधिकारी जिलाधिकारी ने स्वयं आदेशित कर उक्त पत्रकार पर विभिन्न संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया।
देश के नामचीन और वरीष्ठ पत्रकार एक पंचायत की खामियों पर गौर करता है तो उसे एक प्रधान के दलाल द्वारा मुकदमा दायर कर तबाह कर देने की धमकी मिलती है। क्या इसके पीछे बिना अधिकारियों की शह की कोई ताकत काम कर रही है ? कभी नहीं।
उक्त बिंदुओं पर आज “मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार संघ” की पंजाब ईकाई द्वारा आयोजित बैठक में चर्चा हुई।
बैठक में पंजाब केसरी, हिंदुस्तान टाइम्स, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, दैनिक वीर अर्जुन, प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया, भाषा, यूनीवार्ता, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम, समाचार दर्पण 24 डॉट कॉम, रायटर्स, ए एन आई और दैनिक नवभारत टाइम्स के पत्रकार उपस्थित थे।
उपस्थित पत्रकारों ने एक स्वर से गोंडा यूपी के अमर उजाला दैनिक के स्थानीय संवाददाता उमानाथ तिवारी पर अस्पताल की महिला कर्मचारी द्वारा जिलाधिकारी गोंडा के आदेश पर दर्ज मुकदमे, दिल्ली प्रेस के सरिता, मुक्ता और सरस सलिल के स्थाई लेखक एवं प्रतिष्ठित वैबसाइट समाचार दर्पण 24 के संस्थापक संपादक अनिल अनूप को फोन और व्हाट्सएप चैट पर दुलहापुर बनकट पंचायत के स्वघोषित प्रधान प्रतिनिधि रविन्द्र प्रताप सिंह द्वारा मुकदमा की धमकी और अशिष्ट एवं असम्मान जनक भाषाओं का प्रयोग, पठानकोट के स्वतंत्र पत्रकार लेखक टिप्पणीकार मनमोहन वारसी को जान से हाथ धोने की धमकी पर विस्तार से चर्चा की गई।
उक्त पीड़ित पत्रकार के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई और देश के प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखकर ऐसे मामलों में उचित देशव्यापी कार्रवाई करने की मांग की गई।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."