google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
गुमलाझारखंड
Trending

इस लड़की ने ट्रैक्टर से अपना खेत जोत लिया तो समाज ने बहिष्कार किया…पढ़िए विकासशील भारत की वीभत्स कहानी

IMG-20250425-WA1620
IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
Green Modern Medical Facebook Post_20250505_080306_0000
IMG-20250513-WA1941
IMG_COM_202505222101103700
IMG_COM_202505241858562290

विवेक चौबे की रिपोर्ट 

झारखंड के सुदूर इलाकों में से एक गुमला ज़िला के सिसई प्रखंड के शिवनाथपुर पंचायत का दाहुटोली गांव की मंजू उरांव इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं।

इसकी वजह जानकर आप चौंक सकते हैं. दरअसल मंजू उरांव ने स्वयं ट्रैक्टर चलाकर अपने खेतों की जुताई कर दी और उनकी इस आत्मनिर्भरता पर ग्रामीणों ने आपत्ति जताते हुए सदियों पुराने उरांव समाज की परंपरा को तोड़ने का आरोप लगाया।

आपत्ति जताने वालों में सिर्फ पुरुष नहीं, बल्कि अधिक संख्या में महिलाएं थीं।

हालाँकि मंजू के ट्रैक्टर से खेत जोतने के मामले को लेकर ग्रामीणों के बीच अलग-अलग राय हैं। आपत्ति करने वाले कुछ ग्रामीण, उरांव समाज के पूर्व में बनी परंपरा का हवाला दे रहे हैं।

इस परंपरा का ज़िक्र करते हुए मंजू का विरोध करने वाले तैंतीस वर्षीय ग्रामीण सुगरु उरांव कहते हैं, “मंजू एक लड़की ज़ात हैं, लड़की ज़ात को उरांव समाज में हल चलाना मना है, चाहे जैसी परिस्थिति हो, खेत परती भी रह जाएं तब भी यहां के रिवाज के हिसाब से लड़की हल नहीं चला सकती। लेकिन मंजू ने ट्रैक्टर से खेत जोता, इस कारण गांव के लोगों में नाराज़गी है। अत: महिलाओं का जो काम है वह महिला करें और पुरुषों का जो काम है वह पुरुष करें।”

महिला का खेत की जुताई करना अपशकुन है? इस प्रश्न का जवाब देते हुए मंजू का साथ देने वाले उनके चचेरे भाई और पेशे से प्राइवेट स्कूल में अध्यापक सुकरु उरांव ने कहा, “आदिवासी समाज में कुछ ऐसी प्रथाएं हैं जिसके कारण मंजू उरांव का ग्रामीणों के द्वारा विरोध किया जा रहा है। ये निंदनीय घटना है. लेकिन ग्रामीणों को समझना चाहिए कि मंजू ने बैल से खेत की जुताई नहीं की, उसने मशीन यानी ट्रैक्टर से खेत की जुताई की है। अत: ये अपशकुन नहीं है।”

“आज जब भारत की राष्ट्रपति ट्राइबल बन सकती हैं, तो मंजू भी आत्मनिर्भर होने का सपना देख रही हैं। इसलिए उन्होंने ट्रैक्टर ख़रीदा और उससे खेती करना चाहती हैं। ये ठीक वैसे ही है जैसे महिला आत्मनिर्भर बनने के लिए शिक्षित हो रही हैं, सभी कामों में वह आगे बढ़ रही हैं। ये महिलाएं ट्रेन, बस, प्लेन अदि चला रही हैं।”

जबकि अपत्ति करने वालों में से एक पैंतालीस वर्षीय महिला ‘कंदाइन उरांव’ जो पेशे से सहिया (सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मी) हैं, उन्होंने बीबीसी से बातचीत के दौरान विवाद को दूसरे कोण से परिभाषित किया।

उन्होंने बताया कि प्रवीण मिंज नामक ग्रामीण जो ईसाई समाज से संबंधित है, उसने दाहुटोली गांव के दो परिवारों का धर्मांतरण करा दिया, जो उरांव समाज से संबंधित थे। इस विषय पर ग्रामीणों ने दो जुलाई को ग्रामसभा के आयोजन आयोजन किया. जहां के धर्मांतरण कर चुके दोनो परिवार व प्रवीण मिंज का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया।

क्या कहना है ग्रामीणों का?

कंदाइन उरांव ने कहा कि “ग्रामीणों ने ग्राम सभा में तय किया था कि प्रवीण मिंज के खेतों में कोई ग्रामीण खेती नहीं करेंगे। इस के बावजूद समाज से बहिष्कृत किए जा चुके प्रवीण मिंज के खेतों में मंजू ने हल चलाया, मंजू की इस हरकत पर हम लोगों को आपत्ति है।”

सामाजिक बहिष्कार झेल रहे पंकज मिंज से संपर्क किए जाने पर उन्होंने बताया, “गांव के बंधन उरांव की पत्नी बंधिन उरांव अस्वस्थ होने के दौरान इसाई धर्म की प्रार्थना में जाने लगीं, उनको लाभ होने के बाद बृसमुनि उरांव भी प्रार्थना में शामिल होने लगीं।”

“ये बात ग्रामीणों को नागवार गुज़री, अत: ग्रामीणों के द्वारा मुझ पर धर्मांतरण कराने का अरोप लगाया गया, मेरे ख़िलाफ़ थाने में शिकायत भी हुई। समाज से बहिष्कृत होने के बाद मैंने प्रशासन से बात की, लेकिन गांव में उरांव समाज की संख्या बहुत अधिक है, इस कारण प्रशासन भी सहायता कर पाने में असमर्थ है।”

प्रवीण मिंज ने दावा करते हुए कहा कि “मेरा परिवार दो पीढ़ी पूर्व से ईसाई है। जबकि न तो बंधन उरांव और न ही बृसमुनि उरांव के परिवार ने ईसाई धर्म अपनाया है। लेकिन सामाजिक बहिष्कार होने के बाद दोनों परिवार के चौदह सदस्यों ने गांव छोड़ दिया है।”

प्रवीण मिंज ने स्वीकार किया कि उनके डेढ़ एकड़ खेत मंजू ने खेती करने के लिए लीज़ पर लिया है। इसी खेत को जोतने के लिए मंजू ने ट्रैक्टर से हल चलाया, जिसे लेकर विवाद है।

मंजू उरांव ने बताया, “जितने खेत मेरे परिवार में हैं, मेरे खेती करना का लक्ष्य उन खेतों से पूरा नहीं होगा। इसलिए मैंने प्रवीण मिंज के खेत लीज़ पर लिए हैं, लेकिन प्रवीण मिंज का सामाजिक बहिष्कार होने से पहले लिए।”

नाराज़ ग्रामीण महिलाओं के द्वारा की गई बैठक के संदर्भ में मंजू कहती हैं कि “बैठक दौरान ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज करते हुए मुझ से कहा कि गांव से जिस प्रवीण मिंज का बहिष्कार किया गया, तुम उस‍के खेत को लीज़ पर ले कर खेती कर रही हो। इस पर मैंने ग्रामीणों से कहा कि प्रवीण मिंज का सामाजिक बहिष्कार होने के बाद भी जब गांव की किराना दुकान के द्वारा उसे सामान बेच कर कारोबार किया जा सकता है तब मैं भी प्रवीण मिंज से कारोबार कर सकती हूँ।”

अन्य विरोधी करमचंद उरांव ने कहा कि मंजू ने प्रवीण मिंज के खेत को लीज़ पर लेकर जुताई की, और करेंगे, यह भी कह रही हैं, इस बात से ग्रामीणों को अफ़सोस व दुख है। अब यदि मंजू बहिष्कार किए गए प्रवीण के खेत को छोड़ देती हैं तो समाज की इज़्ज़त बच जाएगी।

करमचंद आगे कहते हैं कि “यदि ग्रामीणों के द्वारा समझाने के बावजूद मंजू नहीं मानेंगी तो मामला आदिवासियों के ‘पाड़हा’ समाज के अधीन जाएगा, जिसके तहत सज़ा हो सकती है।”

मंजू का क्या है कहना?

मंजू की 58 वर्षीय माता अंगनी भगत एक मरीज़ हैं, जबकि 65 वर्षीय पिता ‘लालदेवभगत’ बुज़ुर्ग हैं। छोटा भाई शंकर भगत मांसिक रूप से कमज़ोर है। 33 वर्षीय विनोद भगत मंजू के बड़े भाई हैं, जिनके साथ मंजू खेती करती है।

दरअसल मंजू अपना करियर कृषि में बनाना चाहती हैं। इसलिए उन्होंने पिछले वर्ष कुछ खेत लीज़ पर लिए थे। मंजू ने इस वर्ष भी दस एकड़ खेत लीज़ पर लिए हैं, जबकि उनके पिता के पास 6 एकड़ खेत हैं। खेती करने के लिए मंजू ने पिछले वर्ष की खेती से हुई आमदनी, कुछ कर्ज़ और दोस्तों की मदद से एक पुराना ट्रैक्टर खरीदा।

मंजू कहती हैं, “ये कर्ज़ मजबूरी में लिया, मैं किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लेना चाहती थी, लेकिन लोन नहीं मिला। अत: मैं देश की पहली ट्राइबल राष्ट्रपति से कहना चाहती हूं कि इस देश से लड़का-लड़की का भेद खत्म किया जाए। पुरुषों की तरह लड़कियों को भी लोन की सुविधा मिलनी चाहिए ताकि वह आत्मनिर्भर होकर बेहतर कर सकें।”

इस मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी सुनिला खालखो ने कहा, “मंजू को लोन न मिलने की मामला मेरे संज्ञान में है, आदिवासी महिलाओं को ज़मीन पर मालिकाना हक नहीं मिलता है, चाहे वह विवाहित हों या अविवाहित। इस लिए बैंक लोन देने में डिनाय करते हैं। बैंक कहते हैं कि पिता के नाम पर लोन ले लीजिए।”

मंजू प्रकरण से खुद को आश्चर्यचकित बताते हुए बीडीओ ने कहा कि हमलोग गांव में बैठक कर रहे हैं, उसमें स्पष्ट रूप से कहूंगी कि यदि समाज के लोग मंजू पर जुर्माना या उसका सामाजिक बहिष्कार की बात करेंगे, तो हमारी ओर से उनपर क़ानूनी कार्रवाई होगी। यह निर्देश ज़िला प्रशासन की ओर से भी है।

107 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close