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लखनऊ

नाले के सीने पर बस्तियां हावी तो शहर पर काबिज होगा ही नाला ; उफनती बजबजाती नालियां नवाबी शान की दे रही दुहाई

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

लखनऊ। कहीं इस नाले की चौड़ाई 15 मीटर है तो कहीं पांच मीटर भी नहीं रह गयी है। तेज बारिश में नाला उफना जाता है। इससे यह बस्तियां तो टापू बनती ही हैं शहर का तमाम इलाका भी डूबता है। लाखों लोग पेरशान व बेघर होते हैं। शहर का सबसे बड़ा यह नाला है हैदर कैनाल। राजाजीपुरम से लेकर सदर पुल तक इस नाले के किनारे 17 बस्तियां बस गयी हैं। इसकी वजह से नाला सिमट गया है। 

केवल यही एक नाला नहीं है। शहर के एसे 50 से ज्यादा नाले हैं जिन पर अवैध कब्जे कर लोगों ने मकान बनाए हैं। नगर निगम अवैध कब्जों को नहीं तोड़ रहा है।

जल भराव की वजह से कई कालोनियों व मोहल्लों में लोगों को अपने मकान ऊंचे कराने पड़े हैं। गोपालनगर, डिफेंस कालोनी, भगवती विहार में दर्जनों लोगों ने अपने घर पांच पांच फुट ऊंचे कराए है। मकानों को ऊंचे कराने पर लाखों रुपए खर्च किए हैं। अभी भी यहां के तमाम लोग अपने मकान ऊंचे करा रहे हैं। कालोनी की विद्या देवी ने बताया कि उन्होंने अपना मकान पांच फुट ऊँचा कराया है। मकान नई तकनीक से ऊंचा कराया है। इसके लिए जैक से इंजीनियरों ने मकान को पांच फुट ऊँचा कराया। इसमें लाखों रुपए खर्च हो गए हैं।

राजधानी के 88 नाले ऐसे हैं जिन पर पूरे शहर का पानी बाहर निकालने की जिम्मेदारी है। इसमें से 30 नाले ट्रांस गोमती नगर क्षेत्र के हैं। जबकि बाकी 58 नाले सिस गोमती क्षेत्र के हैं। इन नालों की लम्बाई करीब 65 किलोमीटर है। इनमें से लगभग 50 नाले ऐसे हैं जिनके किनारे बस्तियां बस गयी हैं। जो शहर में जल भराव का बड़ा कारण बन रही हैं। 

प्रत्येक वर्ष नालों से लगभग 150 टन पालिथीन निकाली जाती है। नगर निगम के मुख्य अभियन्ता राम नगीना त्रिपाठी कहते हैं कि बारिश में पालिथीन नालों में फंस जाती है। जिसकी वजह से सबसे ज्यादा दिक्कतें होती हैं। केवल बड़े नालों से ही जेसीबी मशीन से प्रति वर्ष बारिश से पहले लगभग 150 टन पालिथीन निकाली जाती है। यह पुलिया के नीचे जाम कर देती है। जिसकी वजह से पानी नहीं निकल पाता है।

इन बस्तियों में हजारों लोगों ने घर बनाकर रहना शुरू कर दिया है। हैदर कैनाल नाला तो केवल बानगी है। बारिश में इसकी वजह से भीषण जल भराव होता है। इसी तरह सरकटा नाले के किनारे भी लोगों ने कब्जा कर रखा है। वजीरगंज नाले की स्थिति तो और भी खराब है। यहां तो अवैध कब्जे की वजह से नाले की चौड़ाई आधी भी नहीं रह गयी है। कुछ जगह नाला बहुत सिमट गया है।

पिछले वर्ष नगर निगम में जल भराव से जुड़ी 1466 शिकायतें आयी थीं। यह शिकायतें बारिश में जल भराव से जुड़ी थीं। नगर निगम के अफसरों ने जैसे तैसे पानी निकाल दिया था। लेकिन इन क्षेत्रों में जल भराव से निपटने के लिए कोई ठोस काम नहीं किया। पड़ताल में पता चला कि शिकायतें बारिश खत्म होने के साथ ही दफ्न हो गयीं। अफसरों की लापरवाही की वजह से शिकायतों पर कोई काम नहीं हो पाया।

किलामोहम्मदी ड्रेन कानपुर रोड योजना व आशियाना क्षेत्र का सबसे बड़ा नाला है। इस नाले पर भी लोगों ने कब्जे कर लिए हैं। खजाना चौराहे के पास ही इस नाले को बंद कर दिया गया है। एक तरफ से चार शोरूम बन गये हैं। किसी ने कब्जा कर जेनरेटर लगा दिया है तो किसी ने शोरूम के बाहर दूसरी दुकानें भी लगवायी हैं। इससे आगे औरंगाबाद गांव की तरफ भी तमाम लोगों ने नाले की जमीन पर मकान बना लिए हैं। नाले की चौड़ाई सिमटकर आधी भी नहीं रह गयी है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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