ब्यूरो रिपोर्ट
जालना। बुरहान नगर स्थित हसनिया मस्जिद के पास महाराष्ट्रा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के विभिन्न शहरों के आलिमों/ इमामों को एक ही साथ क़ाज़ी का नियुक्ति पत्र ग़ौसे आज़म फाउंडेशन द्वारा दिया गया। रात में आरिफ़ कॉलोनी स्थित ज़म ज़म मस्जिद में एक विशाल और ऐतिहासिक सुन्नी इज्तिमा बनाम उर्से हुज़ूर सदरूश्शरिया व हुज़ूर ताजुश्शरिया का आयोजन भी किया गया।
क़ाज़ी का नियुक्ति पत्र देते समय ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी ने बताया कि क़ाज़ी अधिनियम 1880 का विस्तार प्रथमतः केवल फोर्ट सेंट जार्ज के व इसी अधिनियम का 1970 के विनियम सं. 2 की धारा 2 और अनुसूची द्वारा (15-10-1970 से) लक्षद्वीप संघ राज्यक्षेत्र पर और 1968 के अधिनियम सं. 26 की धारा 3 और अनुसूची द्वारा पांडिचेरी संघ राज्यक्षेत्र पर विस्तार किया गया है। इस अधिनियम का विस्तार महाराष्ट्र राज्य पर नहीं है। इसलिए इस अधिनियम की कोई बात महाराष्ट्र राज्य में लागू नहीं होगी व ग़ौसे आज़म फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा सभी नियुक्त क़ाज़ी-ए-निकाह महाराष्ट्र राज्य में निकाह पढ़ाने के लिए वैध हैं और इस्लामी शरीअत द्वारा भी वैधता रखते हैं।
हज़रत मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी ने बताया कि क़ाज़ी अधिनियम से संबंधित एक ज्ञापन पुरे दस्तावेज़ के साथ ग़ौसे आज़म फाउंडेशन की जानिब से ज़िला कलेक्टर जालना, श्रीमान डॉक्टर विजय राठौड़ और पुलिस अधिक्षक (एस.पी) ऑफिस जालना में श्रीमती रागसुधा आर को दिया गया।
ज्ञापन में सूचनार्थ प्रतिलिपि आवश्यक कार्यवाही हेतु माननीय मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र सरकार, माननीय पुलिस अधीक्षक (SP), जालना, माननीय थानाधिकारी, जालना, माननीय विवाह पंजीयन अधिकारी, जालना, माननीय समस्त सम्भागीय आयुक्त, जालना अंकित किया गया है। दोनों जगहों पर ग़ौसे आज़म फाउंडेशन को अच्छा रिस्पांस मिला।
रावणा पड़ाड़ा स्थित हज़रत सय्यद अलाउद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह की दरगाह में ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के चेयरमैन हज़रत मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी का हज़रत हाफ़िज़ सय्यद अयाज़ क़ादरी ने दस्तार बांधकर और माला पहनाकर इस्तिक़बाल किया। दरगाह में हाज़री देने से पहले हज़रत मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी ने जुमा में तक़रीर किया और जुमा की नमाज़ भी पढ़ाया।
ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के जालना शहर के क़ाज़ी हज़रत क़ाज़ी अल्लाह बख़्श अमजदी ने बताया कि कार्यक्रम में जीएएफ के मालेगांव शहर क़ाज़ी, हज़रत क़ाज़ी महमूदुल हसन रज़वी, जीएएफ कर्नाटक के सरपरस्त, हज़रत सूफ़ी तालिब अतहरूल क़ादरी, हज़रत क़ाज़ी मोहम्मद आरिफ रज़ा, हज़रत क़ाज़ी वसीम रज़ा, हज़रत मुफ्ती गुलाम नबी अमजदी, हज़रत क़ाज़ी अब्दुल अलीम, हज़रत क़ाज़ी जलालुद्दीन, हज़रत क़ाज़ी मोहम्मद मुश्ताक़, हज़रत क़ाज़ी आबिद रज़ा, हज़रत क़ाज़ी मिर्ज़ा अतहर, हज़रत क़ाज़ी दाऊद रज़ा, हज़रत क़ाज़ी कैसर रज़ा, हज़रत क़ाज़ी यासीन, हज़रत क़ाज़ी अब्दुल जब्बार, हज़रत क़ाज़ी मोहम्मद रमज़ान, हज़रत क़ाज़ी अब्दुल गफ्फार, हज़रत क़ाज़ी शमीम रज़ा अंसारी, ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद ओसामा सैफुल्लाह आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता रेहान रज़ा ने किया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."