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November 2, 2024 4:55 pm

इस महिला को ठाकुरों ने, पुलिस वालों ने सबने रौंदा, बाप और पति से प्रताड़ित इसने बदले में इतिहास रच दिया

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अनिल अनूप की खास रिपोर्ट

इस कहानी में कई किस्से हैं, जिनके आधार पर कोई उससे सहानुभूति रखता है तो कोई उसे खूंखार डकैत मान कर सख्त नफरत करता है।

आज फूलन देवी  की मृत्यु को लगभग 21 वर्ष बीत चुके हैं परन्तु जीवन में अनगिनत उतार-चढ़ाव देखने वाली फूलन देवी के एक मासूम लड़की से दस्यु सुंदरी बनने के किस्से आज भी चंबल के बीहड़ों में सुने और सुनाए जाते हैं। 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव गोरहा में जन्मी फूलन का परिवार बहुत गरीब था। उसके पिता मेहनत मजदूरी कर जैसे-तैसे घर चला रहे थे। फूलन के परिवार के पास केवल एक एकड़ जमीन थी जिससे पूरे परिवार का गुजारा भी बहुत मुश्किल से हो पाता था। इस जमीन को लेकर भी उनके पिता तथा उनके भाई के बीच झगड़ा होता रहता था। उनकी जमीन पर उगे हुए एक नीम के पेड़ को बचाने के लिए वह अपने परिवार से भी लड़ पड़ी थी।

फूलन की शादी महज 11 वर्ष की उम्र में एक बूढ़े आदमी पुट्टी लाल से हो गई। वो शादी के लिए तैयार नहीं थी और शादी के बाद ही उसे यौन शोषण का शिकार हो गई। इसके बाद वो वापस अपने घर भागकर आ गई और अपने पिता के साथ मजदूरी में हाथ बंटाने लगी।

छोटी उम्र में इस तरह के हादसे के बाद फूलन सहम गई। अपने बाप से शादी का विरोध करने लगी। अब फूलन अपने बाप से ही लड़ने लगी थी। तंग आकर बाप ने उसको ससुराल भेज दिया। फूलन के पति ने उसका और भी ज्यादा शोषण करना शुरू कर दिया। वो वहां से झगड़ा कर बार-बार घर वापस आ जाती। इस बात से फूलन का बाप और ज्यादा परेशान हुआ।

बाप ने चोरी का इल्जाम लगाया, फिर पुलिसवालों ने रेप किया

फूलन के बार-बार मायके आ जाने से बाप परेशान हुआ और एक दिन थाने जाकर फूलन के खिलाफ रपट लिखा दी। बाप ने बेटी पर सोने की अंगूठी चोरी करने का आरोप लगाया था। पुलिस आई और फूलन को उठा कर ले गई। थाने ले जाकर तीन दिन तक हवालात में रखा। इस दौरान कई पुलिसवालों ने उसका रेप किया। इन सभी घटनाओं के बाद फूलन के पास कोई रास्ता नहीं बचा था।

जेल से छूटकर फूलन वापस आई। पिता ने फिर ससुराल भेज दिया। तब तक पति ने दूसरी शादी कर ली थी। उसने फूलन को मार कर घर से बाहर निकाल दिया। अब फूलन अपने घर भी वापस नहीं आ सकती थी। जाती तो जाती कहां?

जब फूलन 15 वर्ष की थी तब उसके गांव के ही ठाकुरों ने उसके साथ गैंगरेप किया। पूरे गांव के सामने उसे निर्वस्त्र कर प्रताड़ित किया गया। इस घटना को लेकर फूलन दर-दर भटकती रही लेकिन न्याय नहीं मिला। इस पर उसने बदला लेने का निश्चय किया।

कुछ ही समय बाद उसके गांव में डकैतों ने हमला किया। डकैत जाते वक्त फूलन को भी अपने साथ उठा ले गए। वहां उसके साथ लगातार रेप होने लगा। यहीं उसकी मुलाकात विक्रम मल्लाह से हुई। दोनों ने मिलकर डाकुओं का एक अलग गैंग बनाया।

खुद का गैंग बनाने के बाद फूलन ने अपने गैंगरेप का बदला लेने के लिए गांव पर छापा मारा और 1981 में गांव के ही 22 सवर्ण जाति के लोगों को एक लाइन में खड़ा कर गोलियों से छलनी कर दिया। इस घटना के बाद वो देश की नामी डकैत बन गई। सरकार ने उसके सिर पर इनाम रख दिया, उत्तरप्रदेश तथा मध्यप्रदेश की पुलिस उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे लग गई।

फूलन अमीरों को लूटती और लूटे हुए पैसों को गरीब मल्लाहों में बांट देती। उनकी बेटियों की शादी भी कराती थी। इस सब के बाद मल्लाह समाज फूलन को अपना मसीहा मानने लगा। इसका फायदा फूलन को तब मिलता जब पुलिस उसे ढूंढने आती। पुलिस के फूलन तक पहुंचने से पहले ही मल्लाह समाज के लोग उसको पुलिस की एक-एक मूवमेंट की जानकारी दे देते। इसी तरह 7 महीने बीत गए।

बेहमई हत्याकांड: फूलन ने कहा, “इस शादी में मौजूद सारे राजपूत मर्दों को कतार में खड़ा कर दो”

7 महीने बीत चुके थे लेकिन फूलन देवी को अपने गैंगरेप के तीन काले हफ्ते नहीं भूल रहे थे। एक दिन फूलन को जानकारी लगती है कि बेहमई गांव में एक राजपूत के यहां शादी है। 14 फरवरी, 1981 को फूलन अपने पूरे गैंग के साथ पुलिस की ड्रेस में बेहमई गांव पहुंचती है। उस पूरे शादी वाले घर को घेर लिया जाता है। शादी में उन लोगों को चुन-चुन कर ढूंढा जाता है जिन्होंने फूलन का बलात्कार किया था लेकिन सिर्फ दो लोग ही मिल पाते हैं।

बेहमई कांड के बाद दबाव में आकर तब के यूपी के मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने इस्तीफा दे दिया। कई धरना प्रदर्शन हुए। तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेना की सबसे ताकतवर टुकड़ियों और एसटीएफ की टीमों को मैदान में उतार दिया। फूलन की गैंग के कई सदस्य मारे गए लेकिन फूलन को पकड़ नहीं पाए। इस दौरान फूलन ने कई और लोगों को अपना निशाना बनाया। दर्जनों अपहरण और हत्याएं की। हर वारदात के बाद फूलन दुर्गा माता के मंदिर मत्था टेकने जरूर जाती थी।

एसपी के सीने पर बंदूक अड़ा कर बोली, “मैं फूलन देवी हूं, तुम्हें अभी गोली से उड़ा सकती हूं”

चंबल इलाके से सटे भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी फूलन को सरेंडर कराने की लगातार कोशिश कर रहे थे। मुखबिरों के माध्यम से बातचीत होनी शुरू हुई। काफी मशक्कत के बाद वो खुद भी बीहड़ में जाकर फूलन से मिले। फूलन को कॉन्फिडेंस में लिया। काफी लंबी बातचीत हुई। फूलन ने उन्हें अपने हाथ की बनी बाजरे की रोटियां खिलाईं।

इसी बीच राजेंद्र चतुर्वेदी ने टेप रिकॉर्डर निकाल कर प्ले कर दिया। उसमें अपनी बहन और मां की आवाज सुन कर फूलन अपनी सुधबुध खो चुकी थी। दरअसल, फूलन से मिलने से पहले राजेंद्र फूलन की मां और बहन मुन्नी से मिल कर आये थे और उन्होंने उनकी बातें रिकॉर्ड कर ली थीं।

फिर अचानक फूलन पूछती है, ‘आप मुझसे चाहते क्या हैं?’ चतुर्वेदी कहते हैं, ‘आप आत्मसमर्पण कर दीजिए।’ इतना सुनते ही फूलन उनपर बंदूक तान देती है और कहती है, “तुम क्या समझते हो, तुम्हारे कहने पर मैं हथियार डाल दूंगी? मैं फूलन देवी हूं। मैं तुम्हें इसी वक्त गोली से उड़ा सकती हूं।”

इंदिरा गांधी की अपील पर किया सरेंडर 

वर्ष 1983 में फूलन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अपील पर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। उस वक्त तक उसका साथी विक्रम मल्लाह भी मारा जा चुका था और दूसरी गैंग्स के मुकाबले उसका गिरोह कमजोर हो गया था। हालांकि उसने सरेंडर करते समय कुछ शर्तें रखी जिन्हें सरकार ने मान लिया। 

सरकार के सामने फूलन की 6 शर्तें क्या थीं?

यूपी में सरेंडर नहीं करूंगी, यूपी पुलिस पर भरोसा नहीं।

एमपी में सरेंडर करूंगी, एमपी के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की उपस्थिति में करूंगी।

पुलिस के सामने हथियार नहीं डालूंगी, जहां हथियार डालूंगी वहां दुर्गा मां और महात्मा गांधी की तस्वीर होनी चाहिए।

सरेंडर के बाद मुझे और मेरी गैंग के एक भी लड़के को फांसी नहीं दी जानी चाहिए।

मुझे छोड़कर गैंग के किसी भी सदस्य को 8 साल से ज्यादा जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। आठ साल के बाद उनको रहने के लिए जमीन भी दी जानी चाहिए।

जिस दिन मैं सरेंडर करूंगी मेरे परिवार के सभी सदस्य वहां मौजूद होने चाहिए।

सभी शर्तें सरकार तक पहुंचीं, अलग-अलग लेवल पर कई मीटिंग करने के बाद सरकार मान गई।

सरेंडर देखने के लिए 15 हजार लोग इकट्ठे हो गए थे

फूलन के सरेंडर के लिए भिंड जिले में एक जगह तय हुई। सरेंडर की एक रात पहले फूलन अपने प्यार मान सिंह के साथ थी। तनाव की वजह से पूरी रात सोई नहीं। उस रात एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी भी उनके आस-पास ही थे, रात में कई बार मिले और फूलन को समझाया। इसी बीच फूलन ने एक बार उनकी स्टेन गन भी छीनने की कोशिश की थी ताकि वो सबको भून कर रख दे। दरअसल, उस वक्त उसका दिमागी संतुलन ठीक नहीं था।

अगली सुबह मैदान में देखा तो 15 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ थी। लोग इस ऐतिहासिक सरेंडर को लाइव देखने आये थे। फरवरी, 1982 में एमपी के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और करीब 300 आला अफसरों के सामने फूलन ने सरेंडर किया। इसके बाद एक-एक कर गैंग के सभी सदस्यों ने भी सरेंडर किया।

बच्चादानी निकाल दी गई ताकि दूसरी फूलन देवी पैदा न हो

48 मुकदमे लगाकर फूलन को जेल में बंद किया गया। जेल में रहने के दौरान फूलन की तबीयत खराब हुई। उसके दो ऑपरेशन हुए। एक ऑपरेशन में उनकी बच्चेदानी को निकाल दिया जाता है। जानकार बताते हैं, “ऐसा इसलिए किया गया था ताकि फूलन देवी कभी किसी दूसरी फूलन को जन्म ना दे सके।” 11 साल तक फूलन जेल में बंद रही। कोई सुनवाई नहीं हुई, कोई मुकदमा नहीं चला।

मुलायम सिंह सारे केस वापस वापस लेते हैं, फूलन बौद्ध बन जाती है

11 साल बाद साल 1994 में फूलन देवी को इलाज के लिए पैरोल पर रिहा कर दिया गया। कुछ दिन बाद यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव फूलन देवी को सरप्राइज देते हुए बेहमई हत्याकांड समेत उन पर चल रहे सभी मुकदमे वापस ले लेते हैं। फूलन की जिंदगी आसान हो जाती है। मुलायम सरकार के इस फैसले के बाद 1995 में फूलन उम्मेद सिंह नाम के एक व्यक्ति से शादी कर लेती हैं। पति-पत्नी बौद्ध धर्म अपना लेते हैं।

दो बार संसद पहुंची, फिर सिर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई

शादी के कुछ दिनों बाद मुलायम सिंह, फूलन को एक और सरप्राइज देते हैं। फूलन के चर्चित होने का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए 1996 में लोकसभा का टिकट दे देते हैं। फूलन समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर सीट से चुनाव लड़ती हैं और बिना किसी रुकावट के चुनाव जीत जाती हैं। इस तरह चंबल के बीहड़ों से निकलते हुए फूलन दिल्ली तक का रास्ता तय करती हैं।

साल 1996 से 1998 तक लोकसभा की सदस्य रहीं। देश में दोबारा चुनाव हुआ, साल 1998 में फूलन फिर चुनाव लड़ीं लेकिन इस बार हार गईं। साल 1999 में फिर चुनाव हुआ। इस बार फूलन मिर्जापुर से दोबारा चुनाव जीत गईं।

फूलन अपने कार्यकाल के दो साल पूरे कर चुकी थीं। साल 2001 में 25 जुलाई को दिल्ली में उनके बंगले के गेट पर शेर सिंह राणा नाम का शख्स दो अन्य साथियों के साथ मिल कर उन पर हमला कर देता है। फूलन को 5 गोलियां लगती हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."