google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
राष्ट्रीय

हॉस्टल में नॉन वेज और हवन को लेकर हुए बवाल की अंदरूनी तहकीकात

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली। तो क्या जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय  के कावेरी हॉस्टल में नॉन वेज और हवन को लेकर हुए बवाल को रोका जा सकता था? दरअसल, इस बवाल के एक दिन बाद हॉस्टल के मेस सचिव राजीब ने कहा कि अगर मेन्यू में कोई बदलाव होता है तो छात्रों के बीच बातचीत के बाद इसमें फैसला होता है। अथॉरिटी की इसमें कोई भूमिका नहीं होती है। उन्होंने कहा कि अगर उनके पास कोई लिखित आदेश आ जाता तो ऐसी नौबत नहीं आती। उधर हॉस्टल वॉर्डन गोपाल राम ने कहा था कि तनाव कम करने के लिए हमने छात्रों को नॉन वेज खाना टालने की सलाह दी थी। लेकिन अंतिम फैसला छात्रों को करना था।

तो क्या इसे लेकर हॉस्टल में कोई मीटिंग नहीं हुई थी? इसपर राजीब कहते हैं कि हमारे मेन्यू के अनुसार, रविवार समेत सप्ताह में तीन दिन नॉन वेज खाना परोसा जाता है। शनिवार को मेस वॉर्डन में मुझे बताया कि नॉन वेज रविवार को नहीं परोसा जाएगा। लेकिन इस बारे में कोई बैठक या चर्चा नहीं हुई थी तो मैंने इस बारे में लिखित आदेश मांगा। पर मेस वॉर्डन ने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद मैंने उन्हें मेस टाइमिंग के दौरान काउंटर पर खड़े रहने को कहा था। ये हिंदू-मुस्लिम या राइट-लेफ्ट का मुद्दा नहीं था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है।

नॉन वेज खाना न परोसा जाए, वॉर्डन ने दी थी सलाह

इधर जेएनयू प्रशासन नॉन वेज खाने पर हुए इस संघर्ष को लेकर चिंतित है। मेस वॉर्डन गोपाल राम ने बताया कि वेंडर को हॉस्टल में डिलिवरी के लिए आने को कहा गया था। नॉन वेज खाना परोसने के खिलाफ कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया था। इस बारे में छात्रों के पास अधिकार है कि वो क्या खाएं और क्या न खाएं। यहां तक कि रात के खाने में भी इसका इंतजाम था लेकिन इसी बीच संघर्ष हो गया। मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि शनिवार मेस कमिटी को एक सलाह दी गई थी नॉन वेज खाना रविवार को न परोसा जाए। लेकिन स्थिति ऐसी थी कि एक गुट केवल वेज खाने की मांग कर रहा था और दूसरा गुट इसका विरोध कर रहा था। बतौर वॉर्डन पर मेरी जिम्मेदारी थी कि इस तनाव को खत्म किया जाए क्योंकि यहीं पर हवन होना था। मैंने सलाह दी की नॉन वेज खाने से रविवार को बचा जा सकता है। लेकिन हॉस्टल और मेस लोकतांत्रिक तरीके से चलता है तो हमने ये फैसला छात्रों पर छोड़ दिया।

इससे पहले एबीवीपी के जेएनयू यूनिट के अध्यक्ष रोहित कुमार ने दावा किया था कि कावेरी हॉस्टल के छात्रों ने एक सप्ताह पहले ये फैसला किया था कि हवन के कारण रविवार को वेज खाना ही मेस में परोसा जाएगा। हालांकि रोहित के बयान का प्रेसिडेंट, मेस सचिव और हॉस्टल ने खंडन किया है। इस बीच, एबीवीपी इस मुद्दे से खुद को दूर करने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि हवन का दूसरे पक्ष के लोग विरोध कर रहे थे और इसी कारण संघर्ष हुआ।

मेस सचिव ने एबीवीपी के दावे को किया खारिज

एबीवीपी के दावे पर कि इस बारे में मीटिंग हुई थी राजीब ने कहा कि मीटिंग हुई इसका सबूत कहा हैं कि कोई ऐसी मीटिंग या जीबीएम हुई थी? अगर कोई प्रस्ताव पास हुआ होता तो उसपर हस्ताक्षर होता। ऐसा कोई भी लिखित आदेश या नोटिस नहीं था। इसलिए हम अपने मेन्यू के अनुसार ही खाना बनाए। लेकिन जब वेंडर आया तो उसके साथ बदसलूकी हुई।

हॉस्टल के अध्यक्ष नवीन कुमार ने कहा कि वे लोग हमपर थोपना चाहते हैं। हवन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था। समस्या तब शुरू हुई जब छात्र साढ़े 7 बजे डिनर के लिए आए और देखा कि वहां केवल वेज खाना ही परोसा जा रहा था।

85 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close