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November 23, 2024 11:01 am

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मौत बस छूकर निकल गई ; रुस यूक्रेन युद्ध गोलीबारी में तीन गोलियां खाकर घर लौटे इस युवक की कहानी

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परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली। यूक्रेन में फंसे छात्रों को पोलैंड के रास्ते भारत वापस लाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। ऑपरेशन गंगा के तहत पोलैंड से 200 छात्रों को लेकर उड़ी भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान की आखिरी फ्लाइट सोमवार शाम करीब छह बजे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर लैंड करेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यूक्रेन में जिस छात्र हरजोत सिंह को तीन गोली लगी थी, वह भी सकुशल वतन वापस आ रहा है। इसी फ्लाइट से केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह भी आएंगे, जो पोलैंड में सारी व्यवस्थाएं संभाल रहे थे।

3 गोली लगने की कहानी, हरजोत सिंह की जुबानी

यह 27 फरवरी का वाकया है। मैं कीव से लवीव जाने के लिए वॉकजाना रेलवे स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने के लिए गया। तीन से चार बार कोशिश की, मगर बोर्डिंग नहीं हो पाई। फिर हमने तय किया कि कैब बुक करते हैं, लेकिन कैब के रेट ज्यादा थे। नॉर्मल रेट तीन से पांच हजार रुपए होते हैं, लेकिन हमसे उस दिन 4 हजार डॉलर यानी तकरीब तीन लाख रुपए की मांग कैब ड्राइवर ने की। आखिर मैंने एक हजार डॉलर (करीब 76 हजार रुपए) में डील फाइनल की।

हम तीन दोस्तों ने कॉन्ट्रीब्यूशन करके डॉलर कैब ड्राइवर को दिए और निकल पड़े। हमने तीन चेक पॉइंट क्रॉस किए। जो तीसरा चेक पॉइंट था, वहां से हमको वापस लौटने के लिए कह दिया गया। रात को सिक्योरिटी रीजन बताते हुए अगले दिन चेक पॉइंट क्रॉस करने को बोला गया। इसलिए हम वापस कीव सिटी आ रहे थे। मैं कैब में पीछे वाली सीट पर बाईं तरफ बैठा था।

यूक्रेन में भयानक गोलीबारी के बीच हम सब डरे हुए थे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी थी।
यूक्रेन में भयानक गोलीबारी के बीच हम सब डरे हुए थे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी थी।

कीव शहर के अंदर मेरी आंखों के सामने गोली कार का शीशा तोड़ते हुए निकल गई। उसके बाद हम सब भयभीत हो गए। कार में नीचे बैठ गए। इस दौरान खूब फायरिंग हुई। तीन-चार लोग जमीन पर और तीन-चार लोग बिल्डिंग पर खड़े होकर एके-47 से फायरिंग कर रहे थे।

केंद्र सरकार ने जिन चार मंत्रियों को अलग-अलग देशों में भेजा था, उनमें एक वीके सिंह भी हैं। वे पोलैंड से तीन हजार छात्रों को भारत भेज चुके हैं।
केंद्र सरकार ने जिन चार मंत्रियों को अलग-अलग देशों में भेजा था, उनमें एक वीके सिंह भी हैं। वे पोलैंड से तीन हजार छात्रों को भारत भेज चुके हैं।

मैंने खुद को बचाने के लिए अपने हाथ सीने पर लगाए और जमीन पर बैठ गया। उसके बाद एक बुलेट घुटने और दूसरी बुलेट दूसरे पैर में लगी। तीसरी गोली हाथ को चीरते हुए सीने के अंदर घुस गई। उसके बाद मैं बेहोश हो गया।

दो मार्च की रात 10 बजे मुझे होश आया। तब डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मैं करीब 3-4 घंटे जमीन पर पड़ा रहा। होश में आने पर सबसे पहले कॉल मैंने अपनी मां को की। मुझे नई जिंदगी मिली है। मैं अब भारत लौट रहा हूं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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