संवाददाता- विवेक चौबे
गढ़वा : जिले के कांडी प्रखंड स्थित कोयल नदी से बालू का अवैध खनन लगातार जारी है। जिसपर स्थानीय प्रशासन व न जिला प्रशासन की ओर से कोई रोकटेक नही है। रात के अंधेरे में तो अवैध खनन व ढुलाई जारी ही है दिन के उजाले में भी सोमवार से शुरू हो गया। बीच में 4 फरवरी की रात में गरदाहा मंदिर से मूर्ति की चोरी की घटना के बाद थाना क्षेत्र में पुलिस की चहलकदमी बढ़ जाने की वजह से बालू की अवैध खनन व ढुलाई पर अंकुश लग गया था, लेकिन मूर्ति चोरी मामले में चोरों के गिरफ्तार होने की खबर के बाद से एक बार फिर बालू माफिया सक्रिय हो गए हैं। रात-दिन एक कर बालू की खनन शुरू हो गया।बालू माफिया की चांदी बन आई है। रात के 9 बजे से सुबह के 4 बजे तक बालू का अवैध खनन निर्बाध रूप से चलता है। कांडी प्रखंड के प्रायः सभी सड़के रात में ट्रैक्टर की शोर से गुलजार हो जाते हैं। जबकि दिन में वही सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता है। इक्का दुका वाहन ही दिन में चलते हुए नजर आते हैं। वहीं रात में सैकड़ो की संख्या में ट्रैक्टर कोयल नदी से बालू का अवैध रूप से खनन कर उक्त प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में अपलोड के लिए निकल पड़ते हैं। उक्त सड़क के किनारे पड़ने वाले गांव के लोग अपने घरों में गाड़ी की आवाज से ठीक से सो भी नही पाते हैं। ट्रैक्टरों की इतनी शोर होती है कि लोगों का रहना मुश्किल हो रहा है। कोयल नदी के किनारे बसे गांव भंडरिया, सोहगड़ा, राणाडीह, मोखापी, जयनगरा, खरौंधा व सुंडीपुर बालू घाट से अवैध खनन लगातार जारी है। कांडी प्रखंड स्थित सरकारी टेंडर वाले बालू घाट बन्द रहने के कारण लोगों को अवैध रूप से बालू का व्यापार करने वाले लोगों के सहारे ही अधिक कीमत देकर बालू खरीद करने के लिए मजबूर हैं। पीएम आवास वाले लाभुकों को 1500 से 2500 रुपए तक कीमत देकर एक ट्रैक्टर बालू खरीदना पड़ रहा है। प्रखंड क्षेत्र में चल रहे सरकारी योजनाओं में भी बालू माफिया के माध्यम से ही अवैध बालू की आपूर्ति की जा रही है। नहर पक्कीकरण योजना, चाहरदीवारी निर्माण, भवन निर्माण, सड़क निर्माण सहित अन्य सभी सरकारी योजना में बालू का अवैध आपूर्ति की जा रही है, जिस कारण सरकार को राजस्व का भी नुकशान उठाना पड़ रहा है। इस विषय में जिला खनन पदाधिकारी नंद देव बैठा ने बताया कि कांडी स्थित कोयल नदी से बालू का अवैध खनन अगर हो रहा है तो इसकी जांच कर बड़े पैमाने पर कानूनी कार्रवाई होगी।
Author: samachar
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