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November 6, 2024 5:22 am

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मन्नत और आस्था की “हिंदुस्तानी सतरंगी चादर” अब 1381 मीटर लंबी हो गई 

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सोनम यादव की रिपोर्ट

आगरा : मुगल बादशाह शाहजहां के 367वें उर्स में तीसरे दिन मंगलवार को नजारा एकदम बदला हुआ था। ताजमहल के मुख्य मकबरे पर कव्वालियां गूंज रहीं थीं तो रॉयल गेट पर शहनाई और नगाड़ा बज रहा था।

अकीकतमंद ढोल के साथ नाचते हुए अपनी मन्नत और आस्था की चादर और पंखे चढ़ाने पहुंचे। मंगलवार दोपहर दो बजे के बाद सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द की मिसाल 1381 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर के साथ अकीकतमंद दक्षिण गेट से ताजमहल परिसर में दाखिल हुए। देखते ही देखते फोरकोर्ट, रॉयल गेट, सेंट्रल टैंक और चमेली फर्श से होकर हिंदुस्तानी सतरंगी चादर ताजमहल के मुख्य मकबरे पर पहुंची तो पूरा ताजमहल परिसर सतरंगी हो गया।

मुगल बादशाह शाहजहां का उर्स हर साल हिजरी कैलेंडर के रजब माह के 25, 26 और 27 तारीख को मनाया जाता है। इस वर्ष 27 फरवरी से शाहजहां का 367वां उर्स शुरू हो गया। उर्स में आखिरी दिन एक मार्च (मंगलवार) को सुबह से ही पर्यटकों की फ्री एंट्री रही. तीसरे दिन कुल के छींटों के साथ कुरानख्वानी, फातिहा और चादरपोशी शुरू हुई।

मन्नत की चादर और पंखे शाम तक चढ़ाए गए। उर्स में खास खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की 1381 मीटर (4516 फीट) की हिंदुस्तानी सतरंगी चादर रही। 40 साल पहले हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल 100 मीटर की लंबी चादर खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी ने दक्षिण गेट के हनुमान मंदिर से शुरू की गई की।

मोहब्बत की निशानी का नजारा मंगलवार को शाहजहां के 367वें उर्स में सतरंगी था। सर्वधर्म सद्भाव की प्रतीक सत्संगी चादर का एक छोर जहां दक्षिणी गेट पर नजर आ रहा था तो दूसरा छोर ताजमहल के मुख्य मकबरा में स्थित शाहजहां और मुमताज की कब्र पर था। हर कोई अपने कैमरों में इस यादगार पल को कैद करने में लगा था।

मुगल शहंशाह शाहजहां के 367 वें उर्स में तीन दिन तक ताजमहल का नजारा एकदम बदला दिखा। ताजमहल के मुख्य मकबरा के तहखाने में स्थित शाहजहां और मुमताज की कब्रें लोगों ने देखीं। जहां पर उर्स की तीन दिन तक अलग रस्म हुईं।

खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट हाजी ताहिरउद्दीन ताहिर ने बताया कि 1381 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की सांप्रदायिक सौहार्द और सद्भाव की मिसाल है। यह हिंदुस्तानी सतरंगी चादर विश्व में अमन चैन और शांति की दूत है। आज से 25 साल पहले इसे हिंदुस्तानी सतरंगी चादर नाम दिया था। यह चादर न मेरे खानदान की है और न आपके खानदान की।

 

यह चादर किसी एक जाति की नहीं है। न किसी एक नेता की है और ना ही किसी एक समाज की है। यह चादर सर्व समाज की है। यह चादर हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की है। सभी धर्म और आस्था की चादर है। यह हिन्दुस्तान की चादर है। सभी मिलकर इसे बनाते हैं। हर साल की तरह इस बार भी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की चादरपोशी करके मोहब्बत की निशानी ताजमहल से दुनिया में अमन चैन की दुआ मांगी है।

भीड़ तोड़ रही रिकॉर्ड, खुली शाहजहां और मुमताज की कब्रेंशाहजहां के उर्स में तीन दिन ताजमहल में भीड़ का रेला उमड़ रहा है। इससे अव्यवस्थाओं का आलम चारों तरफ है। यही वजह है कि भीड़ बेकाबू होने पर सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही सीआईएसएफ को लाठियां भी फटकारनी पड़ी हैं। एएसआई की व्यवस्था फेल रही। ताजमहल के पूर्वी और पश्चिमी गेट पर एंट्री के लिए 500 मीटर से ज्यादा लंबी लाइन लगी। इसके साथ ही ताजमहल परिसर में भी मुख्य मकबरा तक पहुंचने के लिए भी लंबी कतार लगी रही।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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