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November 2, 2024 6:57 pm

सरकारी विकास ; राप्ती नदी पर ग्रामीणों ने खुद के खर्चे पर बनाया लकड़ी का पुल ; सरकारी अमले को कोई फ़िक्र नहीं

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नौशाद अली की रिपोर्ट

श्रावस्ती ।  इकौना तहसील क्षेत्र के मलौना खासिहारी भुतहा ककरा घाट पर दशकों से राप्ती नदी पर कोई भी पुल निर्माण नहीं किया गया है। जिसके चलते अब ग्रामीणों ने खुद से लकड़ी के पुल का निर्माण कर लिया है। वहीं करीब 40 से अधिक गांव के सभी लोग स्वयं निर्माण किये लकड़ी के पुल को प्रतिदिन पार करके तहसील इकौना में पहुंचते हैं।

गांव लोगों से चंदा लेकर बनाया

राप्ती नदी को पार करने के लिए ग्रामीणों ने खुद अपने आने जाने के लिए लकड़ी का पुल बनाया है। इस लकड़ी के पुल को बनाने में बांस की बल्ली और घास का इस्तेमाल किया गया। ग्रामीणों ने गांव के लोगों से पैसे इक्क्ठा कर पुल का निर्माण किया है। इसकी लागत करीब डेढ़ लाख रुपए है। जिस पर हजारों लोग प्रतिदिन अपने वाहन से आते जाते हैं।

हर साल बह जाता है पुल

ग्रामीणों के मुताबिक इस पुल पर मोटरसाइकिल ट्रैक्टर भी निकाला जा सकता है। लकड़ी का पुल इस इलाके के करीब 40 गांवो को जोड़ने का काम करता है। 

आसपास के ग्रामीण हर रोज इसे पार करने के लिए जान जोखिम में डालने पर विवश होते हैं। इसके बाद भी शासन प्रशासन इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा।

हर वर्ष बरसात और राप्ती नदी बाढ़ रूपी विकराल रूप ले लेती है। जिसके बाद लकड़ी का पुल राप्ती नदी के धारा में बह जाता है।

कई शिकायतों के बाद भी नहीं मिला समाधान

मामले में प्रीतम ने बताया की इस पुल से निकलने में काफी डर महसूस होता है। बहुत सारी परेशानी उठानी पड़ती है। बरसात के महीने में काफी घूमते हुए जाना पड़ता है। अगर ये रास्ता चालू हो जाए, तो हमारे लिए भी काफी बढ़िया होगा। इस क्षेत्र का विकास भी होगा।

वहीं उन्होंने बताया कि जब जब चुनाव आता है, तो ये पुल हमेशा मुद्दा रहता है। लेकिन 5 साल कैसे गुजर जाते ये पता नहीं चल पाता। हम लोग हर बार ये मुद्दा लेकर रखते हैं। है।

ग्रामीणों ने बताया की 40 से 50 गांव हैं, जो इस पुल से गुजरते हैं। उन्होंने बताया की कई बार इस मामले को लेकर आवाज उठाई गई। लेकिन समाधान नहीं मिला।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."