✍ नरेश ठाकुर की रिपोर्ट
फिरोजाबाद के एक गांव में सड़क किनारे फेरी वाले से खरीदी गई चुर्री-पापड़ खाने से 24 लोग फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो गए। इनमें 9 बच्चे भी शामिल हैं। 12 लोगों को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं और आरोपी फेरी वाले की तलाश जारी है।
गांव की गलियों में घुला ज़हर: चुर्री-पापड़ खाने से 24 बीमार
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में गुरुवार की शाम एक मामूली सी लगने वाली घटना ने गांव वालों की नींद उड़ा दी। हिरगांव क्षेत्र के ग्राम मेहरी में एक फेरी वाले से खरीदी गई चुर्री-पापड़ खाने के बाद 24 ग्रामीणों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। इनमें बच्चे, किशोर और महिलाएं शामिल हैं। घटना से गांव में हड़कंप मच गया और अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
शुरुआत कैसे हुई?
दरअसल, शाम लगभग 6 बजे एक अनजान फेरी वाला गांव में पहुंचा और चुर्री-पापड़ बेचने लगा। बच्चों की भीड़ उसकी रेहड़ी पर जुट गई और देखते ही देखते कई ने वह खाद्य सामग्री खा ली। कुछ ही देर में बच्चों को पेट दर्द, उल्टी और दस्त की शिकायतें शुरू हो गईं। स्थिति इतनी तेजी से बिगड़ी कि आसपास के लोगों को भी परेशानी होने लगी।
स्थानीय नेताओं ने दी प्रशासन को सूचना
गांव के प्रधान सुबोध कुमार और भाजपा मंडल अध्यक्ष दयाशंकर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जिला प्रशासन को सूचना दी। सूचना मिलते ही एंबुलेंस प्रभारी राजेश कुमार ने 5 एंबुलेंस गांव के लिए रवाना कीं। साथ ही फिरोजाबाद ट्रॉमा सेंटर को अलर्ट पर रखा गया।
मरीजों की हालत और इलाज की स्थिति
अब तक 12 मरीजों को सरकारी ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया गया है। इनमें अधिकांश बच्चे हैं —
वेदप्रकाश (6), वंदनी (16), शालू (8), गुंजन (4), तमन्ना (4), नंदनी (8), देवेंद्र (10), शिवानी (12), सूरज (4), ओमवीर (6)
वयस्कों में मीरा देवी (45) और वर्षा (16) को भर्ती कराया गया है। अन्य मरीजों को निजी अस्पतालों और आगरा के बड़े चिकित्सा केंद्रों में रेफर किया गया है।
अस्पताल की व्यवस्थाएं टूटीं, फिर भी राहत जारी
जैसे-जैसे मरीजों की संख्या बढ़ी, ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्था चरमराने लगी। कई मरीजों को एक ही बेड पर लिटाया गया, तो कुछ को पहले से भर्ती मरीजों के बेड से शिफ्ट कर अस्थायी जगह दी गई। अस्पताल प्रशासन ने तत्काल अतिरिक्त स्टाफ को बुलाया और राहत कार्य तेज़ किया।
फेरी वाला फरार, जांच तेज़
फूड प्वाइजनिंग की आशंका को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल जांच शुरू कर दी है। प्रशासन उस फेरी वाले की तलाश कर रहा है जो गांव में जहरीली खाद्य सामग्री बेचकर फरार हो गया। अब तक उसकी पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन ग्रामीणों के बयान और CCTV फुटेज से पुलिस सुराग जुटा रही है।
स्थानीय प्रशासन की अपील और एहतियाती कदम
प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे अनजाने विक्रेताओं से खाद्य सामग्री न खरीदें और किसी भी संदिग्ध खाद्य वस्तु की जानकारी तुरंत दें। गांव में एक अस्थायी मेडिकल कैंप भी लगाया गया है, जहां सामान्य बीमारियों का तत्काल इलाज किया जा रहा है।
अभी स्थिति नियंत्रण में — डॉक्टरों की पुष्टि
डॉक्टरों के मुताबिक, सभी भर्ती मरीजों की स्थिति अब स्थिर है और किसी की जान को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। समय रहते इलाज शुरू हो गया, इसलिए बड़ा हादसा टल गया।
फिरोजाबाद की यह घटना एक चेतावनी है — हमारी खाद्य सुरक्षा व्यवस्था में अभी भी गंभीर खामियां हैं। यह जरूरी है कि स्थानीय प्रशासन सतर्क रहे, और आम जनता को जागरूक किया जाए कि वे सस्ते और अनपेक्षित स्रोतों से खाद्य पदार्थ खरीदने से पहले सोचें। वरना यह ‘चुर्री-पापड़’ किसी की जिंदगी भी छीन सकता है।