उत्तर प्रदेश में ताबीज बेचने वाला एक बाबा कैसे बन बैठा 106 करोड़ के काले साम्राज्य का मालिक? पढ़िए बलरामपुर के छांगुर बाबा धर्मांतरण रैकेट की राष्ट्रविरोधी साजिश की सनसनीखेज कहानी।
चुन्नीलाल प्रधान और जयप्रकाश की खास रिपोर्ट
ताबीज बेचने से शुरू हुआ सफर और अंत में 106 करोड़ रुपये का काला साम्राज्य। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में पकड़े गए जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की गिरफ्तारी ने एक संगठित, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रविरोधी साजिश का खुलासा कर दिया है।
🔴 कौन है ये छांगुर बाबा?
बलरामपुर जिले के रेहरा माफी गांव का रहने वाला यह शख्स कभी साइकिल पर घूम-घूमकर अंगूठी और ताबीज बेचता था। लेकिन धीरे-धीरे उसकी तस्वीर बदलने लगी। पहले वह गांव का प्रधान बना, फिर कथित ‘बाबा’ के रूप में पहचान बनाने लगा। इसी बीच उसकी जिंदगी में आई नीतू उर्फ नसरीन, जो उसकी सबसे बड़ी सहयोगी साबित हुई।
छांगुर बाबा ने मधुपुर गांव के पास एक आलीशान इमारत बनाई, जिसका एक हिस्सा रहन-सहन के लिए और दूसरा “छुपे मंसूबों” के लिए आरक्षित था। 15 CCTV कैमरे और खूंखार कुत्तों की निगरानी में रखा गया यह भवन अब ATS की जांच के दायरे में है।
📌 धर्मांतरण नहीं, डेमोग्राफिक जिहाद!
ATS ने जब इस मामले की तह में जाना शुरू किया, तो ये केवल ‘धर्म परिवर्तन’ का मामला नहीं निकला। बाबा और उसके गुर्गे उत्तर प्रदेश के कई जिलों में एक सुनियोजित जनसंख्यात्मक बदलाव की योजना पर काम कर रहे थे।
गरीब, मजदूर, विधवा महिलाएं और बेसहारा युवतियां इस गिरोह का मुख्य निशाना थीं। आर्थिक मदद, शादी या नौकरी का झांसा देकर इन्हें इस्लाम में परिवर्तित कराया जाता था। बाबा का उद्देश्य था — बलरामपुर जैसे जिलों में हिंदू आबादी को अल्पसंख्यक बनाना।
🏦 40 बैंक खाते, 106 करोड़ की काली कमाई
बाबा के 40 बैंक खातों में जमा कुल राशि 106 करोड़ रुपये के पार है। जांच एजेंसियों ने पाया कि इस पैसे का बड़ा हिस्सा मध्य-पूर्व देशों से आया। दुबई, कतर और ओमान से भेजी गई मोटी रकम से बाबा और उसका नेटवर्क यूपी में जमीनें खरीद रहे थे।
इस साजिश में नया नाम जुड़ा — नवीन रोहरा, जो दुबई से आता-जाता था। उसके खातों में विदेशी फंडिंग के ट्रांजेक्शन मिले, जिनमें से रकम सीधे नीतू, जलालुद्दीन और एक तीसरे सहयोगी महबूब के खातों में भेजी गई थी।
🌍 स्विस बैंक अकाउंट और लोनावाला कनेक्शन
खुलासे यहीं नहीं रुके। ATS को पता चला कि बाबा और नवीन ने महाराष्ट्र के लोनावाला में 16.49 करोड़ रुपये की ज़मीन खरीदी थी। इस डील में सामने आया एक और नाम — मोहम्मद अहमद खान। वह न केवल जमीन बेचने वाला था, बल्कि बाबा के खातों में पैसे भी भेज चुका है।
चौंकाने वाली बात यह है कि नवीन के पास स्विस बैंक में भी एक संदिग्ध खाता मिला है, जिससे यह पूरा नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय आतंक-फंडिंग की ओर इशारा करता है।
🧾 क्या बनता था उस इमारत में?
बाबा की जिस इमारत पर प्रशासन ने बुलडोज़र चलाया, उसका एक हिस्सा खाली पड़ा था। कहा गया कि वहां अस्पताल या कॉलेज खुलेगा — लेकिन वर्षों तक सिर्फ अफवाहें उड़ीं। वहां भारी सुरक्षा, हाई-टेक कैमरे और दो आक्रामक कुत्ते किसी गहरे रहस्य की तरफ इशारा करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, यह हिस्सा किसी कट्टरपंथी प्रशिक्षण शिविर के रूप में तैयार किया जा रहा था।
⚖️ ATS ने खोला काला पिटारा
ATS के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि छांगुर बाबा एक संगठित गिरोह चला रहा था। इस नेटवर्क के जरिए वह हिंदू विरोधी विचारधारा फैलाकर, देश में सांप्रदायिक असंतुलन पैदा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा था।
अब ATS की टीम जलालुद्दीन और नीतू को बलरामपुर ले जाएगी, जहां धर्मांतरण से जुड़े कागज़ात और डिजिटल सबूत जुटाए जाएंगे। इनके मोबाइल फोन, लैपटॉप, लेन-देन और संपर्कों की जांच की जाएगी। गिरोह के अन्य सदस्यों को भी चिन्हित किया जा रहा है।
🚨 बड़ा सवाल: और कितने छांगुर छुपे हैं?
इस खुलासे ने सिर्फ बलरामपुर या उत्तर प्रदेश को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया है। क्या देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे “डेमोग्राफिक स्लीपर सेल” छुपे हैं? क्या यह मामला केवल धर्मांतरण तक सीमित है या इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय कट्टरपंथी ताकतें सक्रिय हैं?
📢 जांच जारी है। देश देख रहा है।
यह एक बाबा की कहानी नहीं, एक सुनियोजित साजिश का खुलासा है — जिसमें धर्म की आड़ में देश की नींव को खुरचने की तैयारी चल रही थी।