चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
मंगलवार रात प्रयागराज के संगम तट पर हुए दर्दनाक हादसे ने कई परिवारों को बिछड़ने पर मजबूर कर दिया। इस भगदड़ में 17 श्रद्धालुओं की जान चली गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। हादसे के बाद वहां पहुंचे लोग अपनों को ढूंढने में भटकते नजर आ रहे हैं।
इन्हीं में से एक हैं बिहार के नालंदा जिले से आए श्रद्धालु, जो महाकुंभ में स्नान करने के लिए अपने 50 साथियों के साथ पहुंचे थे। भगदड़ की भयावहता को याद करते हुए उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने बताया कि कैसे एक पल में वे अपने परिवार और साथ आए लोगों से बिछड़ गए।
“अपनों को ढूंढ रहा हूं, मेरा मोबाइल भी खो गया”
नालंदा के इस श्रद्धालु ने कहा, “हम सभी भक्तिभाव में लीन होकर संगम की ओर बढ़ रहे थे। हमें इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि कुछ ही पलों में ऐसा हादसा होने वाला है। रात करीब 1 से 1:30 बजे के बीच अचानक भीड़ बढ़ने लगी। पहले तो हमें लगा कि थोड़ी देर में भीड़ छंट जाएगी, लेकिन हालात और बिगड़ते चले गए।”
उन्होंने बताया कि “धीरे-धीरे सांस घुटने लगी। महिलाएं चिल्लाने लगीं— ‘हमें सांस लेने दो, हमें घुटन हो रही है।’ लेकिन सांस लेने की जगह ही कहां थी? चारों ओर बस भीड़ थी। हम आधा कदम भी आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे। धीरे-धीरे शोर बढ़ने लगा और लोग एक-दूसरे को धक्का देने लगे। भगदड़ में हम सब इधर-उधर हो गए। कुछ ही पलों में मैं अपने परिवार और साथियों से पूरी तरह बिछड़ गया।”
“कुछ लोग गिरते गए, कुछ उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे थे”
श्रद्धालु ने बताया कि प्रशासन की व्यवस्था तो ठीक थी, लेकिन भीड़ अनियंत्रित हो गई थी। “इतनी ज्यादा भीड़ होगी, इसका किसी को अंदाजा नहीं था। मैंने देखा कि कुछ लोग भगदड़ में गिर गए। कुछ उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे थे, तो कुछ अपनी जान बचाने में लगे थे। मैंने भी दो लोगों को उठाने की कोशिश की, लेकिन खुद इतनी बुरी तरह भीड़ में फंस गया था कि किसी को बचा पाना मुश्किल था।”
वे बताते हैं, “उस वक्त मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही बात चल रही थी – मेरा परिवार कहां है? क्या वे सुरक्षित हैं?” किसी तरह वह खुद को भीड़ से बाहर निकालने में सफल रहे, लेकिन उनके बाकी 49 साथी कहां हैं, उन्हें कुछ नहीं पता।
“भगवान से बस यही प्रार्थना है कि मेरे अपने सुरक्षित हों”
घटना के बाद वे अपने परिवार और साथियों को ढूंढने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। उनका मोबाइल भी खो गया, जिससे संपर्क करना और मुश्किल हो गया है। भावुक होते हुए उन्होंने कहा, “अन्य लोग स्नान कर चुके हैं, लेकिन मैं तो बस अपने परिवार को ढूंढ रहा हूं। भगवान से बस यही प्रार्थना है कि जहां भी हों, वे सुरक्षित हों।”
“चारों ओर बिखरा पड़ा था सामान”
उन्होंने बताया कि भगदड़ के बाद जगह-जगह टूटी चप्पलें, जूते, कपड़े, खाने के बर्तन और पूजा का सामान बिखरा पड़ा था। इस दृश्य को देखकर उनका दिल दहल उठा।
अब प्रशासन ने संगम तट पर सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी है। NSG कमांडो को तैनात कर दिया गया है, और आम लोगों की एंट्री रोक दी गई है। लेकिन इस दर्दनाक हादसे ने कई परिवारों को अपनों से दूर कर दिया है।