ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में हुईं 134 मौतों का जिम्मेदार कौन है, यह सवाल हर किसी के मन में है। न केवल उन लोगों के जो अपने परिजनों को खो चुके हैं, बल्कि आम जनता भी जानना चाहती है कि इस दुखद हादसे के पीछे किसकी लापरवाही है।
इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटने के बावजूद वहां कोई वरिष्ठ अधिकारी क्यों नहीं था, और एंबुलेंस जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था क्यों नहीं की गई थी।
सिकंदराराऊ जीटी रोड पर फुलरई मुगलगढ़ी के पास संत्सग कार्यक्रम के समापन के बाद जो हादसा हुआ, उसने हर किसी की रूह को हिला कर रख दिया।
इस हादसे की खबर लखनऊ तक पहुंची, जिससे डीजीपी और मुख्य सचिव को हाथरस आना पड़ा। हाथरस के इतिहास में यह पहली बार इतना बड़ा हादसा हुआ है, और हर कोई जानना चाहता है कि इसका जिम्मेदार कौन है।
प्रशासन का तर्क है कि कार्यक्रम की अनुमति अस्सी हजार लोगों के लिए दी गई थी, लेकिन वहां एक लाख से अधिक भीड़ जमा हो गई। पिछले पंद्रह दिनों से इस कार्यक्रम की तैयारियां चल रही थीं।
भोले बाबा के अनुयाई खुद मैदान की सफाई कर रहे थे। इस कार्यक्रम में आमतौर पर पुलिस से ज्यादा सुरक्षा व्यवस्था रहती है, और अनुयाईयों का एक ड्रेस कोड होता है।
लेकिन इस बार न तो कोई वरिष्ठ अधिकारी कार्यक्रम स्थल पर मौजूद था, न ही कोई एंबुलेंस।
प्रशासन का कहना है कि अस्सी हजार लोगों की अनुमति थी, लेकिन इतनी बड़ी भीड़ के बावजूद पुलिस प्रशासन के कोई वरिष्ठ अधिकारी वहां मुस्तैद नहीं थे। कम से कम चार पुलिस उपाधीक्षक, एसडीएम और पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अगर पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होती, तो शायद यह हादसा नहीं होता। कार्यक्रम स्थल पर न तो कोई एंबुलेंस थी और न ही कोई दमकल की गाड़ी।
हाथरस पुलिस प्रशासन ने अगर पहले ही सावधानी बरती होती, तो निश्चित तौर पर इन निर्दोष लोगों की जान बचाई जा सकती थी। पुलिस प्रशासन ने इस कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया। सबसे बड़ी चूक यह रही कि सिकंदराराऊ के थाना प्रभारी तक कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंचे।
Author: samachar
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