आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लोकसभा चुनाव के रण में इन दिनों मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा खूब गरमाया हुआ है। हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि मुस्लिमों को आरक्षण मिलना चाहिए। इसके बाद उनके इस बयान पर अब वार-पलटवार का दौर जारी है।
मुसलमान मांग कर ही नहीं रहा’
उत्तर प्रदेश जमीयत उलेमा ए हिंद के लीगल एडवाइजर काब रशीदी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि अजीब विडंबना है। मुसलमान तो आरक्षण की मांग कर ही नहीं रहा है। आरक्षण के लिए न तो कहीं धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है, न ही कहीं ट्रेन-बस रोकी जा रही है। इसके बावजूद भी आरक्षण की माला मुसलमानों के गले में डालकर राजनीतिक यात्रा को सफल बनाने की कोशिश की जा रही है।
‘सीएए का विरोध करते हैं’
उन्होंने कहा कि हम धर्म के नाम पर आरक्षण मांग ही नहीं रहे। इसके बाद भी आप हमें आरक्षण देने की बात कह रहे हैं। मैं इससे सहमत हूं कि संविधान में धर्म के नाम पर आरक्षण देने का प्रावधान नहीं है, इसीलिए हम सीएए का विरोध करते हैं, क्योंकि आपने इसे धर्म के आधार पर तय किया है। इसमें एक खास धर्म के लोगों को आपने बाहर करने का फैसला किया है।
‘चुनाव में असल मुद्दे नहीं’
उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर क्या हम तो बिना धर्म के नाम पर भी आरक्षण की मांग नहीं करते। मैं समझता हूं कि बगैर आरक्षण मांगे उसका प्रचार-प्रसार करना, आरोप प्रत्यारोप करना, चुनाव के दौरान का सबसे बड़ा शिगूफा बन गया है। चुनाव में असल मुद्दे नहीं हैं, इसलिए इस तरह की बयानबाजी की जा रही है।
‘आप देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं’
उन्होंने कहा कि मुसलमान शांत है, वह अपने व्यापार, अपने व्यवसाय में लगा हुआ है। वो चुनावी आपाधापी में कहीं शामिल नहीं हैं। जब पूरा चुनाव उस एक आबादी के ऊपर लड़ा जाने लगे जो खुद ऐक्शन या रिएक्शन नहीं कर रही, तो आप समझ जाइए। चुनाव में गरीबी, बेरोजगारी, पढ़ाई, अच्छी सड़कें, स्वास्थ्य पर बात होने के बजाए मुसलमानों का डमरू बजाया जा रहा है। आप खुद तय कीजिए कि आप देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."