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November 22, 2024 9:27 pm

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नेता जी आगे, पीछे अधिकारी…पढिए राममंदिर उद्घाटन समारोह की खास बात

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब नेताजी और सरकारी अधिकारी के बीच कुर्सी की लड़ाई नहीं होगी। सरकारी कार्यक्रमों को लेकर प्रोटोकॉल जारी कर दिया गया है। सरकारी कार्यक्रमों में जन प्रतिनिधि आगे की पंक्ति में और अधिकारी पीछे की लाइन में बैठेंगे। 

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने शुक्रवार को प्रदेश मुख्यालय और जिला स्तर पर अयोजित बैठकों, आयोजनों में जनप्रतिनिधियों के बैठने के स्थान, सरकारी कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित किए जाने और विज्ञापनों व शिलापट्टों पर उनका नाम अंकित किए जाने के संबंध में प्रोटोकॉल से संबंधित शासनादेश जारी किया। 

शासनादेश के मुताबिक ऐसे कार्यक्रम जो प्रदेश मुख्यालय या जिला मुख्यालय पर होंगे और जिनमें मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगे, उनमें मंच की अग्रिम पंक्ति में सांसद और विधामंडल के सदस्य बैठेंगे।

सरकार के स्तर पर आयोजित ऐसी बैठकों या आयोजनों में अगर जनप्रतिनिधियों की संख्या ज्यादा होती है तो उन्हें दूसरी, तीसरी पंक्ति में बैठाया जा सकता है। 

केवल मुख्य सचिव या जिस विभाग के का कार्यक्रम है, उसके अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव या सचिव मंच की अग्रिम पंक्ति में बैठ सकते हैं। यह शासनादेश 14 सितंबर, 2023 को विधानसभा अध्यक्ष, विधानपरिषद के सभापति और संसदीय कार्य मंत्री की बैठक में जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल के संबंध में हुए निर्णयों के क्रम में हैं।

यह होगी व्यवस्था

शासनादेश के अनुसार किसी भी जिले की बैठक या कार्यक्रम में विधानपरिषद के वही सदस्य आमंत्रित किए जाएंगे, जिनका नाम संबंधित जिले के लिए आवंटित हो।

किसी अन्य जिले में अपनी क्षेत्र विकास निधि से करवाया गया ऐसा काम जो मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में शामिल हो, तब उसके कार्यक्रम में संबंधित विधानपरिषद सदस्य को भी आमंत्रित किया जाएगा और उनका नाम शिलापट्ट व विज्ञापन में भी दिया जाएगा।

प्रदेश मुख्यालय, जिला स्तर पर होने वाली बैठकों में सांसद के दाहिनी तरफ जनप्रतिनिधि और बाईं ओर अधिकारी बैठेंगे।

मुख्यमंत्री के प्रदेश मुख्यालय या जिला स्तरीय कार्यक्रमों में केवल उपस्थित होने की सहमति देने वाले उस जिले के सांसद, विधायक, एमएलए, एमएलसी के नाम ही शिलापट्ट या विज्ञापन में लिखे जाएंगे।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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