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November 1, 2024 9:59 pm

जघन्य नरसंहार  ; सुरखुरु योगी सरकार की कार्रवाई में नप गए ये अधिकारी, गहन समीक्षा के बाद सरकारी कार्यवाही

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश के बाद शासन देवरिया हत्याकांड की गहन समीक्षा में जुट गया था. शासन द्वारा देवरिया हत्याकांड की गहन समीक्षा के बाद अब कार्रवाई का दौर शुरू हो गया है. एसडीएम, सीओ, दो तहसीलदार, तीन लेखपाल, चार कॉन्स्टेबल, दो हल्का प्रभारी एवं थाना प्रभारी निलंबित कर दिए गए हैं. हत्याकांड के बाद सीएम योगी ने एक-एक अधिकारी और कर्मचारी की भूमिका की जिम्मेदारी तय करने का आदेश दिया था. उन सभी अधिकारियों/कर्मचारियों पर कारवाई की गई है, जो पूर्व, वर्तमान में तैनात थे. ऐसे लोगों को भी बख्शा नहीं गया, जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनके संज्ञान में भी ये मामला था.

देवरिया हत्याकांड में नौ साल से जमीन के विवाद में पीड़ित पक्ष की तरफ से राजस्व, प्रशासन और पुलिस को दर्जनों बार शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन किसी ने भी इसको गंभीरता से नहीं लिया. थक हारकर सत्य प्रकाश दुबे को कोर्ट का सहारा लेना पड़ा. अगर किसी ने भी इसको गंभीरता से लिया होता तो इतना जघन्य अपराध शायद नहीं होता. आईजीआरएस और विभागीय जांच के बाद 15 लोगों की जिम्मेदारी तय हुई. इन सभी 15 लोगों को निलंबित कर दिया गया है.

रुद्रपुर SDM-CO को किया गया निलंबित, विभागीय जांच के आदेश

एसडीएम योगेश गौड़ और सीओ रुद्रपुर जिलाजीत को निलंबित कर दिया गया है. विशाल नाथ यादव (राजस्व निरीक्षक), राजनंदनी यादव (क्षेत्रीय लेखपाल), अखिलेश (लेखपाल) को भी निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है. हेड कॉन्स्टेबल राजेश प्रताप सिंह, कॉन्स्टेबल अवनीश चौहान, हल्का प्रभारी/उपनिरीक्षक जय प्रकाश दुबे और प्रभारी निरीक्षक नवीन कुमार सिंह को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई शुरू करने की संस्तुति की गई है.

IGRS पर बार-बार शिकायत की, पर नहीं लिया संज्ञान

सत्य प्रकाश दुबे ने आईजीआरएस के माध्यम से कई बार मामले की जानकारी दी थी, लेकिन कोई कारवाई नहीं हुई. इसको देखते हुए कॉन्स्टेबल कैलाश पटेल, कॉन्स्टेबल राम प्रताप कन्नौजिया, सुभाष यादव एवं उ.नि. सुनील कुमार, पूर्व प्रभारी निरीक्षक रूद्रपुर को निलंबित किया गया है. साथ ही तत्कालीन सीओ रूद्रपुर दिनेश कुमार सिंह यादव के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है.

पिछले 10 सालों में वो तमाम अधिकारी/कर्मचारी, जो इस मामले से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े रहें, उन सब पर कारवाई हुई है. कार्य में लापरवाही और शिथिलता बरतने के आरोप में उन पर भी हंटर चला है, जो रिटायर हो गए हैं. अभी ये लिस्ट और लंबी हो सकती है. इस बात की भी संभावना है कि निलंबन के बाद कुछ कर्मचारियों की बर्खास्तगी भी हो सकती है.

अधिकारियों पर हुई कार्रवाई की वजह क्या?

नौ साल से सत्य प्रकाश दुबे तहसील, राजस्व और पुलिस के हर उस अधिकारी के पास गए, जहां से उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद थी, लेकिन किसी ने भी उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया. इस प्रकरण में शासन ने वर्तमान एसडीएम योगेश कुमार को कार्य के प्रति लापरवाह माना और उनके निलंबन की संस्तुति की. यही आरोप 2014 से 2023 के बीच रहे पूर्व एसडीएम राम विलास, ध्रुव शुक्ला, ओमप्रकाश और संजीव उपाध्याय पर भी है, लिहाजा ये सभी अधिकारी सस्पेंड कर दिए गए हैं.

रुद्रपुर सीओ जिलाजीत की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए इन्हें शासन ने निलंबित कर दिया है. इनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में भी जांच की संभावना है. इन पर आरोप है कि मामले में जानबूझकर प्रभावी कारवाई नहीं की. राजस्व विभाग के भी कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर कारवाई हुई है. केशव कुमार तहसीलदार को सस्पेंड कर दिया गया है. इनके खिलाफ विभागीय जांच भी चल रही है. इन पर आरोप है कि इन्होंने समय रहते मामले का निस्तारण नहीं किया.

राजस्व निरीक्षण और लेखपालों पर भी हुई कार्रवाई

विशाल नाथ यादव, राजस्व निरीक्षक पर आरोप है कि मृतक प्रेम यादव के इनसे अच्छे संबंध थे, जिसकी वजह से प्रकरण में कोई कारवाई नहीं की गई. इनको भी सस्पेंड कर विभागीय जांच के आदेश हुए हैं. राजनंदिनी यादव और अखिलेश ये दोनों लेखपाल हैं, इन पर आरोप है कि इन्होंने जमीन की पैमाइश और संबंधित कार्यवाही में शिथिलता बरती, जिसकी वजह से मामले में कोई प्रगति नहीं हुई. इन दोनों को भी निलंबित कर इनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.

2 रिटायर अफसर भी विभागीय जांच की जद में आए

रिटायर अधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध मानी गई है. कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में सेवानिवृत्त तहसीलदार वंशराज राम और रिटायर राजस्व निरीक्षक रामानंद पाल के खिलाफ भी विभागीय कारवाई शुरू हो गई है. इस पूरे प्रकरण में रुद्रपुर कोतवाली की भूमिका को शासन ने गंभीर माना है. जांच में ये बात सामने आई है कि सत्य प्रकाश दुबे और प्रेम यादव के बीच जमीन का विवाद कोर्ट में होने के बाद भी रुद्रपुर कोतवाली ने 13 जून 2022 को सत्य प्रकाश को बुलाकर जबरन सुलहनामा लिखवाया.

इसमें कोतवाल और कुछ सिपाहियों की भूमिका सामने आ रही है. उन सभी के खिलाफ कार्रवाई हुई है. इस बात की जानकारी सत्य प्रकाश दुबे ने 17 जून 2022 को मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पोर्टल, डीजीपी और एडीजी जोन गोरखपुर को भी दी थी, लेकिन अफसरों ने उनकी शिकायत की अनदेखी की थी.

राजस्व विभाग के कर्मचारियों से थे प्रेम यादव के नजदीकी संबंध

जांच में ये बात सामने आई है कि रुद्रपुर के फतेहपुर में हुए हत्याकांड की जड़ में राजस्व विभाग की भूमिका थी. कागज पर ही सत्य प्रकाश दुबे की समस्या का निस्तारण कर दिया गया था. सत्य प्रकाश दुबे ने ये जानकारी दी थी कि प्रेम यादव ने शिक्षण संस्थान और वन विभाग की जमीन पर कब्जा किया है. कब्जे की ही जमीन पर दो मंजिला मकान भी बनवाया है, लेकिन इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. राजस्वकर्मियों के प्रेम यादव के प्रभाव में रहने की वजह से ही कोई कार्रवाई नहीं हुई.

सत्य प्रकाश दुबे के बार-बार कोशिश करने पर तहसील प्रशासन से रिपोर्ट लगा दी गई कि गेहूं की फसल खड़ी है और वहां जमीन मापी अभी संभव नहीं है, लेकिन फसल कटने के बाद भी कर्मचारियों ने कोई सीमांकन नहीं किया. रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि लेखपाल राजनंदिनी और उनके लेखपाल पति अखिलेश के संबंध प्रेम यादव से थे, जिसकी वजह से राजस्व विभाग प्रभावी कार्रवाई नहीं करता था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."