टिक्कू आपचे की रिपोर्ट
मुंबई के गोरेगांव इलाके में शुक्रवार तड़के एक आवासीय इमारत में आग लगने से दो बच्चों समेत सात लोगों की मौत हो गई। 40 से ज्यादा लोग घायल हो गए। कुछ घायलों की हालत गंभीर है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के एक अधिकारी ने बताया कि सात मंजिला इमारत की छत और अन्य तलों से कम से कम 30 लोगों को बचाया गया। आग गोरेगांव पश्चिम के जय संदेश भवन में यह आग लगी थी।
आग से प्रभावित लोगों को जोगेश्वरी में एक ट्रॉमा सेंटर में और जुहू के कूपर अस्पताल ले जाया गया। उनमें से दो बच्चों और दो महिलाओं सहित छह लोगों को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। एक अन्य व्यक्ति की मौत इलाज के दौरान हो गई, जिससे मृतक संख्या बढ़कर सात हो गई। कुछ घायलों की स्थिति गंभीर है।
फायर ब्रिगेड अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल पर दमकल की गाड़ियों के पहुंचने से पहले आग इमारत के चारों ओर फैल चुकी थी। आग की चपेट में आने से दुकानें, कबाड़ और निचले तल पर मौजूद दो पहिया वाहन जलकर नष्ट हो गए थे। आग पर काबू पाने में करीब तीन घंटे लगे। आग बुझाने के अभियान में दमकल की आठ गाड़ियों और अन्य साजो सामान का इस्तेमाल किया गया।
मुंबई के गोरेगांव में स्थित जय संदेश इमारत में लगी आग की लपटों और धुएं के गुबार के बीच मची चीख-पुकार में वहां रह रहे एक परिवार के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया था। उन लोगों ने सोचा कि जान बचाने के लिए क्यों न वे लोग खिड़की से नीचे कूद जाएं। इस सात मंजिला इमारत में जब भीषण आग लगी तो ज्यादातर लोग सो रहे थे। इमारत में रहने वाले कई परिवार उस मंजर को याद करते हुए सहमे दिखाई दिए। आग की वजह से ग्राउंड फ्लोर पर खड़े कई वाहन जलकर खाक हो गए। इमारत में रहने वाली 30 वर्षीय महिला ने बताया कि उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को दमकल कर्मियों ने बचाया। लेकिन कुछ घंटों पहले तक सब कुछ काला, डरावना था और दम घुटने जैसी परिस्थितियां थीं। वे लोग घर के भीतर थे। आग और धुएं की वजह से ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहे थे। महिला ने बताया कि मुझे किडनी की बीमारी है इसलिए मेरे परिवार के सदस्य मुझे लेकर बहुत ज्यादा चिंतित थे। मैं बहुत तेज-तेज सांस ले रही थी। मुझे लगा कि मेरा गला भर सा गया है और मैं उल्टी करना चाहती थी। उन्होंने बताया कि वह और उनके परिवार के सदस्य दरवाजे की ओर भागे लेकिन आग की लपटों की वजह से वहां तक नहीं पहुंच सके। हमारे मन में ख्याल आया कि जान बचाने के लिए खिड़की से कूद जाएं। मेरे पिता ने कई बार ऐसा करने का प्रयास भी किया लेकिन हमने उन्हें रोका। मेरा डरा-सहमा परिवार अंधेरे में मदद के लिए चिल्ला रहा था। एक घंटे बाद दमकल कर्मियों ने दरवाजा तोड़ा और हमें बाहर निकाला।
किसी ने खोई मां तो किसी की गोद हुई सूनी
साया उठ गया
आग की घटना में थापा परिवार ने भी अपने एक सदस्य विष्णु अल्ले (45) को खो दिया। मृतक के भाई मिन बराल ने बताया कि परिवार पिछले कुछ सालों से इस इमारत में रह रहा है। यह लोग फर्स्ट फ्लोर पर रहते थे। परिवार में जीजा, बहन और उनके दो बच्चे थे। इस हादसे में इमारत की तीसरी मंजिल पर रह रहे तुसामड परिवार ने अपनी बेटी खो दी है। बाकी परिवार के सदस्य हॉस्पिटल में एडमिट हैं। मृतक 12 वर्षीय दीया तुसामड के चचेरे भाई संजू तुसामड ने बताया कि परिवार में कुल 5 लोग हैं। दीया 5वीं में पढ़ती थी। उसने गुरुवार को नए कपड़े लिए थे और उसी रात उसकी मौत हो गई। परिवार के सभी लोगों की हालत नाजुक है। इस हादसे में तीसरी मंजिल पर रहनेवाले मलंग मुरलीधर मल्लाह की जान बाल-बाल बची। मलंग ने बताया कि जब आग लगी, तो मैं अपने चार साल के बच्चे को लेकर इमारत से बाहर आया, लेकिन मेरी बीवी अंदर ही थी। फिर हमने फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों को बताया, तब उन्हें भी निकाला किया गया। इस घटना में मेरा हाथ झुलस गया।
घुटनों के दर्द के कारण नहीं निकल पाई
रवि भौजेय्या ने कहा कि हम इमारत की तीसरी मंजिल पर रहते हैं। आग लगने के बाद लोग चिल्ला रहे थे और इधर-उधर भाग रहे थे। हम सब भी निकल कर भागे, लेकिन मेरी चाची नंदा भौजेय्या (58) नहीं निकल पाई। उनकी उम्र और घुटनों के दर्द के कारण वो बाहर नहीं आ पाईं और उनकी दम घुटने से मौत हो गई। संजू तुसामड ने अपनी ऐम्बुलेंस की मदद से कई मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया। उन्होंने बताया कि मैं समीप की इमारत में रहता हूं। जब हमें पता चला कि आग लगी है और लोग फंस गए हैं तो मैं तुरंत ऐम्बुलेंस लेकर वहां पहुंचा। उन्होंने बताया कि उस समय एक 108 ऐम्बुलेंस और एक मेरी ऐम्बुलेंस उपलब्ध थी। हमने सभी को तुरंत अस्पताल पहुंचाया।
बिल्डिंग में नहीं था फायर फाइटिंग सिस्टम
मुंबई में आग की घटना के बाद अक्सर यह बात सामने आती है कि बिल्डिंग का फायर फाइटिंग सिस्टम बंद था या खराब था। ऐसी ही बात गोरेगांव पश्चिम की जय भवानी बिल्डिंग को लेकर भी सामने आई है, जिसमें आग लगने से 7 लोगों की मौत हो गई है। इस घटना में 60 से अधिक लोग अपना इलाज करा रहे हैं। फायर ब्रिगेड के एक अधिकारी ने बताया कि बिल्डिंग में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं था, यह क्यों नहीं लगाया लगा था यह जांच का विषय है। आगे की जांच शुरू है। इसमें सभी बातें सामने आएंगी। अधिकारी ने बताया कि मुंबई में आग लगने की घटनाओं में लगभग 60 प्रतिशत बिल्डिंग में फायर फाइटिंग सिस्टम या तो खराब होता है या बंद रहता है। गोरेगांव की एसआरए बिल्डिंग का निर्माण वर्ष 2006 में हुआ था। उस दौरान फायर फाइटिंग को लेकर ज्यादा कड़े नियम नहीं थे। जब गोरेगांव जैसी घटना सामने आती है, तब लोगों को सेफ्टी की याद आती है। इससे पहले ग्रांट रोड की हाईराइज सचिनम हाइट बिल्डिंग और करी रोड की वन अविघ्न बिल्डिंग में भी फायर फाइटिंग सिस्टम काम नहीं करने का मामला सामने आया था। बता दें कि पिछले दिनों एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसके मुताबिक मुंबई में पिछले 7 सालों में आग की 33 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं, जिसमें 221 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
30 बाइक, 4 कार जलकर खाक
खिड़कियों से कूदे लोग
बिल्डिंग में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि आग के कारण सीढ़ियों से बाहर निकलना मुश्किल था, इसलिए कई लोग जान बचाने के लिए अपने घरों की खिड़कियों से भी कूद गए। एक महिला ने बताया कि उसे और उनके परिवारवालों को फायर ब्रिगेड के जवानों ने बचाया। एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि रात के करीब 3 बजे उन्होंने एक धमाका सुना, जिसके बाद वे अपने परिवार के साथ सीढ़ियों से नीचे भागने लगे। इस दौरान अन्य लोगों को इस हादसे के बारे में बताने के लिए सभी के दरवाजे भी खटखटाए और इमारत से बाहर निकलने में कामयाब हुए। एक अन्य महिला ने बताया कि आग के कारण अफरा-तफरी मच गई। उसके परिवार के नौ सदस्यों ने सीढ़ियों से बचकर निकलने की कोशिश की। नीचे जाने के दौरान उनके बेटे के हाथ में चोट भी लगी।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."